आंदोलनरत नॉन ऑपीनियन जेबीटी की अगुवाई कर रही महिला अध्यापक किरण मलिक ने कहा कि बेटियों को बचाने और पढ़ाने का नारा देने वाली सरकार बेटियों के साथ अन्याय करना बंद करे। बेटियों को पढऩे लिखने के बाद नौकरी दी जाए। स्कूलों में ज्वाइनिंग नहीं देकर सरकार ने बेटियों का अपमान करने का काम किया है।
इन जेबीटी शिक्षकों का कहना है कि सरकार कुंभकर्णी नींद से उठे और भेदभाव समाप्त करके सभी योग्य पात्रों को शीघ्र स्कूलों में नौकरी के लिए भेजा जाए। अगर जल्द ऐसा नहीं किया गया तो अध्यापक अपने बच्चों के साथ मुंडन करवाने पर मजबूर हो जाएंगे, इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार और शिक्षा विभाग की होगी। किरण मलिक ने कहा कि 9870 की भर्ती में से बचे हुए चयनित जेबीटी अध्यापको ने कई दिनों से सीएम सिटी में डेरा डाला हुआ है।
ये वह पीडि़त जेबीटी अध्यापक हैं, जिनको 317+84 को फोरेंसिक लैब ने नो डेफिनैट बताया था। 10 महीनों बाद सरकार ने इनमें से 178 को सही बता कर ज्वाइनिंग दे दी और बाकि को नो ऑपिनियन कहकर इनके साथ भेदभाव किया। हालांकि लैब ने इनको रिजेक्ट नही बताया है। उन्होंने कहा कि वह रिजेक्ट नही है फिर उनके साथ ये अन्याय क्यों किया जा रहा है। हाई मेरिट के बाद भी ज्वाइनिंग नही दी गई, ऐसा करके सरकार हमें सजा दे रही है। इस अवसर पर सुनील, अनिल, नक्ष, किरण मलिक, राकेश, आर्यन, अनिल सैनी, राजेश व प्रियंका मौजूद रहे।