करनाल जिला कोर्ट परिसर में जिला बार एसोसिएशन करनाल की ओर से गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 350वां शहीदी दिवस बड़ी श्रद्धा एवं सम्मान के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में बार एसोसिएशन के सभी अधिवक्ता, न्यायिक अधिकारी एवं अन्य गणमान्य लोग एकजुट होकर शामिल हुए और गुरु साहिब के बलिदान को नमन किया।
बार एसोसिएशन परिसर में सबसे पहले सुखमਨੀ साहिब का पाठ किया गया, जिसमें उपस्थित अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों ने श्रद्धापूर्वक हिस्सा लिया। पाठ के उपरांत रागी और पाठियों द्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब के जीवन, उनके बलिदान और धर्म तथा मानवता की रक्षा के लिए दिए गए उनके योगदान पर व्याख्यान किया गया। उपस्थित संगत ने शांत मन से बैठकर गुरु साहिब की शहादत को स्मरण किया और अरदास में हिस्सा लिया।
बोलने वालों ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपना शीश न्योछावर कर दिया, जिसका दूसरा उदाहरण इतिहास में मिलना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि सिख गुरुओं ने न केवल अपने प्राणों की आहुति दी, बल्कि अपने बच्चों तक को धर्म और देश की रक्षा के लिए दीवारों में चिनवाकर कुर्बान किया। वक्ताओं ने कहा कि जब तक इस देश में मानवता जिंदा है, तब तक गुरु साहिबान और सभी गुरुओं के प्रति यह समाज सदैव ऋणी रहेगा और उनके शहीदी दिवस एवं प्रकाश दिवस इसी श्रद्धा से मनाए जाते रहेंगे।
कार्यक्रम में मौजूद अधिवक्ताओं ने कहा कि करनाल बार एसोसिएशन में शुरू की गई यह परंपरा अब हर वर्ष इसी तरह जारी रहेगी। उनका कहना था कि मानवता की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान सबसे महान उदाहरणों में से एक है, और इस दिन को हर साल संगठित रूप से मनाना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। अधिवक्ताओं ने संकल्प लिया कि आगे भी बार में इस प्रकार के धार्मिक एवं सांस्कृतिक समागम आयोजित कर समाज को सही संदेश दिया जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि आज का यह समागम नौवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित रहा। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब को “हिंद की चादर” और “मानवता की चादर” के रूप में पूरी दुनिया याद करती है, क्योंकि उनकी शहादत केवल किसी एक समुदाय के लिए नहीं, बल्कि समूची मानवता और सभी धर्मों के सम्मान के लिए थी। उन्होंने बताया कि इस समय दुनिया भर में यह 350वां शहीदी वर्ष विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब का संदेश था कि सभी धर्म एक हैं और परमात्मा की नजर में हर इंसान समान है। उनके अनुसार, परमात्मा ने मनुष्य को इस पृथ्वी पर भेजा है, इसलिए सभी धर्मों का आदर करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। इसी संदेश और विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बार एसोसिएशन में यह कार्यक्रम रखा गया, ताकि अधिवक्ताओं सहित समाज के सभी वर्ग गुरु साहिब की शिक्षाओं से प्रेरणा ले सकें।
कार्यक्रम में एक अन्य अधिवक्ता ने बताया कि जिला बार एसोसिएशन करनाल में गुरु तेग बहादुर जी के सिद्धि दिवस के उपलक्ष में कीर्तन समागम का भी आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि हम सभी को गुरु साहिब द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहिए और उनकी दी गई शिक्षाओं का अनुसरण करना चाहिए। उनका मानना था कि गुरु साहिब की जीवन यात्रा और शहादत आज भी समाज को इंसानियत, साहस और धर्मनिष्ठा का संदेश देती है।
एक वक्ता ने कहा कि बार एसोसिएशन में आयोजित यह समागम देश, धर्म और उन सभी वीरों को समर्पित है जिन्होंने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि केवल गुरु तेग बहादुर साहिब ही नहीं, बल्कि उन सभी सेनानियों और शहीदों की पुण्यतिथि और जयंती पर भी विभिन्न संस्थाओं को ऐसे आयोजन करते रहना चाहिए, जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं से लड़ते हुए देश और धर्म की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
समारोह में उपस्थित एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि करनाल कोर्ट में मनाया गया यह कार्यक्रम वास्तव में एक बड़े पर्व के रूप में देखा जा रहा है। उनके अनुसार, गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को आज पूरे देश और विश्व में याद किया जा रहा है और उनकी कुर्बानी को नमन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानवता, धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए गुरु साहिब ने जिस प्रकार से अपने प्राणों की आहुति दी, वह पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है और इसी भावना के साथ करनाल के सभी अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों ने गुरु साहिब को श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में गुरु तेग बहादुर जी की शहादत से जुड़े इतिहास का उल्लेख करते हुए बताया गया कि किस तरह उनके शीश की रक्षा के लिए कई वीरों ने अपने प्राण न्योछावर किए। भाषणों के दौरान खुशाल सिंह दहिया का विशेष रूप से जिक्र किया गया, जो ब खालसा से जुड़े एक शहीद थे। बताया गया कि सोनीपत जिले के उनके गांव से संबंधित यह प्रसंग इतिहास में दर्ज है कि गुरु जी का शीश बचाने के लिए उन्होंने अपना शीश कटवाया और उनके परिवार ने इसे सरहिंद स्थित गुरुद्वारा तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई। इस प्रसंग को आज की पुण्यतिथि के साथ जोड़ते हुए हरियाणा में चल रहे समागमों की श्रृंखला का हिस्सा बताया गया।
हरियाणा अधिवक्ता परिषद के पदाधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा अधिवक्ता परिषद की यूनिट ने आज पूरे प्रदेश के 22 जिलों और हाई कोर्ट में इस प्रकार के समागम आयोजित किए हैं। उनका कहना था कि यह आयोजन केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत और उनके आदर्शों के प्रति सामूहिक प्रणाम है। उन्होंने गुरुओं, शहीदों और वीरों के प्रति बार-बार नमन करते हुए कहा कि अधिवक्ता समाज आगे भी इस तरह के आध्यात्मिक और प्रेरणादायी आयोजनों के माध्यम से समाज में सकारात्मक संदेश देता रहेगा।
अंत में, कार्यक्रम में शामिल सभी अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों ने गुरु तेग बहादुर साहिब के समक्ष नतमस्तक होकर अरदास की और उनके चरणों में अपनी श्रद्धा प्रकट की। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि गुरु साहिब की शहादत केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जीवंत संदेश है, जिसे ऐसे समागमों के माध्यम से हमेशा स्मरण में रखा जाना चाहिए।