December 5, 2025
27 Nov 12
  • रोहतक के बास्केटबॉल खिलाड़ियों की मौत को दीपेंद्र हुड्डा ने “सरकार की आपराधिक लापरवाही” बताया।​

  • दोनों परिवारों को ₹1 करोड़ मुआवज़ा व स्थायी सरकारी नौकरी, और जिम्मेदार अधिकारियों पर क्रिमिनल केस की मांग।​

  • 11 साल से खेल स्टेडियमों की मेंटेनेंस बंद, खेलो इंडिया बजट में हरियाणा को सबसे कम, गुजरात को सबसे ज्यादा फंड मिलने पर सवाल।​

  • धान घोटाला, 40 पेड़ काटकर BJP दफ्तर व बढ़ते अपराध पर सरकार को घेरा, हरियाणा के खिलाड़ियों की उपलब्धियों के बावजूद “अनदेखी” का आरोप।

करनाल: पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक स्व. जय सिंह राणा के पोते की शादी पर बधाई देने पहुंचे राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक में बास्केटबॉल खिलाड़ियों की मौत के मामले पर प्रदेश सरकार को सीधी जिम्मेदार ठहराते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये खिलाड़ी सड़क हादसे में नहीं, बल्कि प्रैक्टिस के दौरान जर्जर खेल ढांचे और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण मारे गए हैं, जो सरकार की “क्रिमिनल नेग्लिजेंस” (आपराधिक लापरवाही) है।​

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि खेल मंत्री स्थल पर तो गए, मगर न किसी बड़े पैकेज की घोषणा की, न दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात की, जबकि अखबारों में छपी 5 लाख की आर्थिक सहायता को उन्होंने पूरी तरह नकारते हुए इसे अपमानजनक बताया। उनका कहना था कि दोनों दिवंगत खिलाड़ियों के परिवारों के साथ न्याय तभी होगा जब सरकार उन्हें स्थायी सरकारी नौकरी और कम से कम ₹1 करोड़ तक की आर्थिक सहायता दे।​

उन्होंने मांग रखी कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक लापरवाही का मुकदमा दर्ज हो और कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। विशेष तौर पर उन्होंने आरोप लगाया कि उनके सांसद कोटे के 18.5 लाख रुपये तीन साल से अटके पड़े हैं, जिनसे खेल सुविधाएं बेहतर हो सकती थीं, और पूछा कि इस फंड को न लगाने के पीछे कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं; जब तक उन पर कार्रवाई नहीं होगी, वे शांत नहीं बैठेंगे।​

सांसद ने कहा कि पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में हरियाणा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 481 खेल स्टेडियम बने थे, जिनमें ब्लॉक और जिला स्तर पर राजीव गांधी खेल स्टेडियम भी शामिल हैं। उनका आरोप था कि बीते 11 साल की भाजपा सरकार ने न तो नए स्टेडियम बनाए, न ही पुराने स्टेडियमों की मेंटेनेंस के लिए बजट दिया, जिसके चलते आज हालत यह है कि कई स्टेडियम खेलने लायक बचे ही नहीं और खिलाड़ी जान गंवा रहे हैं।​

उन्होंने आंकड़ा देते हुए कहा कि खेलो इंडिया के तहत केंद्र सरकार के 3500 करोड़ के खेल बजट में 28 राज्यों में से हरियाणा को सबसे कम 80 करोड़ दिए गए, जबकि गुजरात को 601 करोड़ मिल गए। सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब मेडल सबसे ज्यादा हरियाणा के खिलाड़ी लाते हैं, तो बजट सबसे कम क्यों, और क्या यह हरियाणा के साथ खुला भेदभाव नहीं है, जिसका नतीजा आज जर्जर इंफ्रास्ट्रक्चर और खिलाड़ियों की मौत के रूप में सामने आ रहा है।​

दीपेंद्र हुड्डा ने तीन प्रमुख मांगें दोहराईं:

  1. दोनों खिलाड़ियों के परिवारों को स्थायी सरकारी नौकरी और कम से कम ₹1 करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाए।​

  2. जिन अधिकारियों ने फंड रोक रखे या अपनी जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही की, उन पर आपराधिक लापरवाही का केस दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए।​

  3. वर्तमान खेल नीति की समीक्षा कर पिछली कांग्रेस सरकार की खेल नीति दोबारा लागू की जाए और सभी स्टेडियमों के रखरखाव व अपकीप के लिए पर्याप्त बजट जारी किया जाए।​

अभय सिंह चौटाला द्वारा “कांग्रेस को विधानसभा में मुर्गा बनाऊंगा” वाले बयान पर प्रतिक्रिया से लगभग किनारा करते हुए दीपेंद्र ने कहा कि ऐसी बौखलाहट भरी बातों पर किसी प्रतिक्रिया की जरूरत नहीं समझते। वहीं करनाल में ग्रेनेड मिलने और लगातार बढ़ते अपराध पर उन्होंने कहा कि हरियाणा में कानून–व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण से बाहर है, 80 से ज्यादा गैंगस्टर्स सक्रिय हैं, फिरौती कॉल्स बढ़ रहे हैं और बड़े आतंकी हमलों के तार भी हरियाणा से जुड़े दिख रहे हैं, जिससे सरकार की नाकामी साफ है।​

धान घोटाले पर सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इस बार बारिश के चलते पैदावार कम रही, लेकिन खरीद रिकॉर्ड स्तर पर हुई, जो साफ संकेत है कि बड़े स्तर पर घोटाला हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना सत्तारूढ़ दल के संरक्षण के इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं और किसान–मजदूर की गाड़ी कमाई बीच में भ्रष्टाचारियों ने हड़पी, जबकि किसानों को एमएसपी पर भी 500 रुपये प्रति क्विंटल तक कटौती झेलनी पड़ी और आज बाजार में धान के भाव कहीं ज्यादा दिख रहे हैं।​

करनाल में बीजेपी कार्यालय के लिए हाईवे से रास्ता बनाते हुए 40 पेड़ काटने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार का जिक्र करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बीजेपी खुद को कानून, सुप्रीम कोर्ट और पर्यावरण–सबके ऊपर समझती है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से अर्जित धन के बल पर फाइव–स्टार दफ्तर बनवाने वाली पार्टी अगर ग्रीन बेल्ट में 40 पेड़ काटकर दफ्तर बनाती है और सुप्रीम कोर्ट उसे लताड़ता है, तो यह सरकार के लिए “शर्म से डूब मरने” वाली बात है और मुख्यमंत्री व स्थानीय सांसद को इसका जवाब देना चाहिए।​

खेलों के राष्ट्रीय परिदृश्य पर बात करते हुए उन्होंने करनाल के सम्राट राणा को वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने पर बधाई दी और कहा कि एक बार फिर हरियाणा के खिलाड़ी ने तिरंगा ऊंचा किया है। साथ ही उन्होंने दोहराया कि ओलंपिक, कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों के 50% से ज्यादा मेडल हरियाणा के खिलाड़ी ला रहे हैं, इसके बावजूद कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी गुजरात को देना और भारी निवेश वहीं करना हरियाणा के साथ नाइंसाफी है, जबकि “मेरिट” के आधार पर यह मौका हरियाणा को मिलना चाहिए था।​

अंत में युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर की गई पुलिस कार्रवाई पर दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता के खिलाफ इस तरह की प्रताड़ना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि रोष व्यक्त करने के तरीके पर बहस हो सकती है, लेकिन पुलिस द्वारा अत्यधिक कार्रवाई स्वीकार्य नहीं और वे अपने युवा कार्यकर्ताओं के साथ खड़े हैं।

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