December 5, 2025
27 Nov 1
  • करनाल सहित हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में 9–11 बजे तक ओपीडी पेन डाउन, इमरजेंसी सेवाएं जारी।​
  • डॉक्टर्स की दो मुख्य मांगें: डायरेक्ट एसएमओ भर्ती रोकना और संशोधित वेतनमान/ग्रेड पे लागू करना।​
  • 160 से ज्यादा एसएमओ व डिप्टी सिविल सर्जन पद खाली, कई जिलों में एक भी गाइनकोलॉजिस्ट नहीं।​
  • डॉक्टर्स बोले: लड़ाई मरीजों से नहीं, नीतियों से है; सरकार तक आवाज पहुंचाने के लिए सांकेतिक स्ट्राइक।

करनाल: सरकारी अस्पताल में आज सुबह 9 बजे से 11 बजे तक सरकारी डॉक्टरों ने पेन डाउन स्ट्राइक कर ओपीडी सेवाएं बंद रखीं, जिससे दो घंटे तक सामान्य बाह्य रोगी सेवाएं बाधित रहीं। डॉक्टर्स का कहना है कि उनकी लड़ाई मरीजों के खिलाफ नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों के खिलाफ है और इमरजेंसी, आईसीयू, एसएनसीयू, लेबर रूम, एचडीयू, पोस्टमार्टम सहित सभी आपातकालीन सेवाएं पहले की तरह जारी रहीं।​

डॉक्टर्स की प्रमुख मांग है कि एसएमओ (सीनियर मेडिकल ऑफिसर) और डिप्टी सिविल सर्जन की डायरेक्ट भर्ती न की जाए और सेवा में वर्षों से काम कर रहे हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस के डॉक्टरों को प्रमोशन के जरिए ही यह पद दिए जाएं। उनका कहना है कि प्रदेश में लगभग 160 पोस्ट एसएमओ और डिप्टी सिविल सर्जन की खाली पड़ी हैं, लेकिन सरकार न तो समय पर भर्ती कर रही है और न ही मौजूदा डॉक्टर्स को प्रमोशन दे रही है, जबकि कई जिलों में एक भी गाइनकोलॉजिस्ट नहीं है और लाखों की आबादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है।​

डॉक्टर्स ने आरोप लगाया कि सरकार यह दिखा रही है मानो डॉक्टरों की भरमार है और बाहर से भी प्राइवेट सेक्टर के डॉक्टरों को 5 साल बाद डायरेक्ट एसएमओ के रूप में एंट्री देने की तैयारी है, जबकि वर्ष 2000 से सेवा दे रहे नियमित सरकारी डॉक्टर्स के प्रमोशन लंबित हैं। उनका सीधा सवाल है कि बाहर से लाकर किसको फायदा पहुंचाया जा रहा है और क्यों पुराने सेवा-नियमों और प्रमोशन पॉलिसी की अनदेखी की जा रही है।​

दूसरी बड़ी मांग संशोधित वेतनमान को लागू करने की है, जिसे लेकर उनका कहना है कि मुख्यमंत्री स्तर पर सिद्धांततः सहमति बन चुकी है। डॉक्टर्स के अनुसार, मुख्यमंत्री ने 9500 और 8000 ग्रेड पे सहित संशोधित पे-स्केल को लिखित रूप से मंजूर किया, स्वास्थ्य मंत्री के साथ 10 से अधिक मीटिंग्स हो चुकीं, ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट भी जारी हो चुका है, लेकिन फाइनेंस डिपार्टमेंट और ब्यूरोक्रेसी ने एक साल से अधिक समय से फाइनल नोटिफिकेशन रोक कर रखा है।​

डॉक्टर्स ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेटिक लॉबी इतनी मजबूत हो गई है कि मुख्यमंत्री के लिखित आदेश भी लागू नहीं हो पा रहे। उन्होंने कहा कि अगर राज्य के सबसे बड़े निर्वाचित पदधारी ने मांग मान ली है तो किसी भी अफसर को इसे रोकने का अधिकार नहीं होना चाहिए और वे इस डॉक्यूमेंट की कॉपी मीडिया के साथ भी साझा करेंगे।​

एचसीएमएस एसोसिएशन के बैनर तले हो रही इस पेन डाउन स्ट्राइक के तहत आज पूरे प्रदेश में पीएचसी, सीएचसी, एसडीएच, अर्बन हेल्थ सेंटर और जिला नागरिक अस्पतालों की ओपीडी सुबह 9 से 11 बजे तक बंद रखी गई। एसोसिएशन प्रतिनिधियों के अनुसार, यह केवल चेतावनी स्वरूप दो घंटे की सांकेतिक हड़ताल है, जिसका उद्देश्य सरकार को जगाना और मांगों पर गंभीरता से विचार कराने के लिए दबाव बनाना है।​

डॉक्टर्स ने स्पष्ट किया कि वे रोजाना 10–12 घंटे तक ड्यूटी कर रहे हैं और मरीजों से कभी मुंह नहीं मोड़ा, लेकिन वर्षों से लंबित ग्रेड पे, वेतनमान और प्रमोशन जैसे मुद्दों पर अब चुप रहना संभव नहीं है। उनका कहना है कि अगर विशेषज्ञ डॉक्टरों (जैसे गाइनकोलॉजिस्ट, ऑर्थोपेडिशियन, रेडियोलॉजिस्ट, सर्जन आदि) को बेहतर सर्विस कंडीशन और सम्मानजनक वेतन नहीं मिलेगा तो वे हरियाणा में आना या टिकना पसंद नहीं करेंगे, जिसका सीधा नुकसान आम जनता को होगा।​

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि फिलहाल केवल ओपीडी और प्रशासनिक कार्य ही रोके गए हैं, बाकी किसी भी इमरजेंसी केस, डिलीवरी, सिजेरियन या गंभीर मरीज को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने दी गई। उन्होंने दोहराया कि उद्देश्य सिर्फ सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाना है, न कि आम मरीजों को दिक्कत में डालना, इसलिए 11 बजे के बाद ओपीडी सेवाएं सामान्य रूप से शुरू कर दी जाएंगी।​

डॉक्टर्स ने नारेबाजी करते हुए “एचसीएमएस एसोसिएशन जिंदाबाद”, “डॉक्टर्स एकता जिंदाबाद” और “सरकार हमारी मांगों को पूरी करो” जैसे नारे लगाए और सरकार से अपील की कि वह समय रहते दोनों मुख्य मांगों—डायरेक्ट एसएमओ भर्ती पर रोक और संशोधित वेतनमान लागू करने—पर सकारात्मक फैसला ले। उनका कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो आंदोलन और तेज किया जा सकता है, हालांकि अगला कदम तय करने से पहले सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार किया जाएगा।​

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