करनाल – हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि केंद्र सरकार के नए अध्यादेश नंबर 35/20 दिनांक 5 जून 2020 जारी करके मंडियों के बहार अनाज की बिक्री व खरीद पर मार्केट फीस व विकास सैस हटाया गया है व मंडियों में अनाज आने पर राज्य सरकार मार्केट फीस व सैस ले सकती है।
यह आदेश पूरी तरह से आढ़ती व किसान विरोधी है। इस बाबत हमारी राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, यूपी, हिमाचल के प्रदेश के प्रधानों से बात हुई है। इस फैसले के विरोध में व्यापार मंडल की राष्ट्रीय स्तरीय बैठक बुलाकर आगामी अंदोंलन रूप रेखा तैयार की जाएगी।
यह फैसला किसान व व्यापारियों में आपसी भाईचारा खराब करने की साजिश है। प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि इस फैसले से प्रदेश ही नहीं पूरे देश की मंडिया बर्बाद हो जाएगी। केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू करते समय यह घोषणा की थी कि देश में सिर्फ एक टैक्स जीएसटी रहेगा।
जब केंद्र सरकार ने जीएसटी के तहत अनाप-शनाप टैक्स लगा दिए तो अपने वायदे के अनुसार सरकार को मार्केट फीस पूरी तरह समाप्त करनी चाहिए। ताकि देश के किसान, आढ़ती व मिलरों को राहत मिल सके। जब की यूपी सरकार ने मंडी से बाहर के व्यापार पर मार्केट फीस समाप्त कर दी है और मंडी के अंदर माल खरीद व बेच पर 1 प्रतिशत यूजर चार्ज लगा दिया है। जो 1 प्रतिशत टैक्स लगाया है वह उचित नहीं है।
प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा की सरकार को अनाज की खरीद ऑनलाइन ना करके ऑफलाइन करनी चाहिए और हर फसल की खरीद व भुगतान मंडी के आढ़तियों के माध्यम से ही होनी चाहिए। ताकि किसान की फसल समय पर बिक्री होने के साथ-साथ उचित दाम किसानों को मिल सके। जबकि जो फसल मंडी के आढ़तियों के माध्यम से नहीं बिकती है।
उस फसल को बेचने के लिए किसानों को मंडियों में कई कई दिन तक धक्के खाने पड़ते हैं और सरकारी अधिकारी सरसों, कपास, बाजरा, मूंग आदि की सीधी खरीद होने के कारण अपने निजी स्वार्थ के लिए किसानों को नाजायज तंग करते हैं। जिस के कारण किसानों को बड़ी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
फसल मंडी के आढ़तियों के माध्यम से बिकने से किसान को उसी समय आढ़तियों से पैसे मिल जाते हैं। जिससे किसान को अपनी फसल बेचने के लिए कोई दिक्कत नहीं आती है।