प्रेस नोट : 27 जून, 2025
करनाल। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेक्टर सात सेवा केंद्र में जगदंबा सरस्वती प्रथम मुख्य प्रशासिका ब्रह्माकुमारीज का स्मृति दिवस मनाया गया। नेशनल कोर्डिनेटर आर्ट एंड कल्चर विंग बी.के. प्रेम दीदी ने कहा कि जगदंबा सरस्वती जोकि एक कन्या थी, जिनका जन्म अमृतसर में हुआ व लालन पालन पढ़ाई सिंध हैदराबाद पाकिस्तान में हुई। वह 1937 में ब्रह्माकुमारी संस्था के संपर्क में आई। उन दिनों ब्रह्मा बाबा ऊँ की ध्वनि किया करते थे। जगदंबा मां को ओम ध्वनि बहुत अच्छी लगती थी। इस ध्वनि के माध्यम से उन्हें परमात्मा की ओर आकर्षण होता था।
जगदंबा मां जबकि कन्या कुमारी थी फिर भी उनके गुणों को देखकर बड़े छोटे सब उन्हें मम्मा कहने लगे। वे ममता, वात्सल्य, करूणा, दया, सहनशीलता की चेतन मूर्ती थी। वे सभी ब्रह्मा वत्सों के लिए आदर्श बनी। उस समय संस्था में जितनी भी कुमारियां थी उन सबमें अपने गुणों के आधार से वह नंबर वन बनी। उनकी बुद्धि बचपन से ही कुशाग्र थी।
वो एक बार जो सुन लेती थी उसी समय उसे कर्म में शामिल कर लेती थी। 24 जून 1965 को उन्होंने अपना नश्वर देह त्याग कर संपूर्णता को प्राप्त किया था। इस मौके पर ब्रह्माकुमारी शिखा बहन ने कहा कि मम्मा स्नेह, वात्सल्य, करूणा की मूर्ती गुणों की खान थी।
इस मौके पर उपस्थित जनसमूह ने जगदंबा मां सरस्वती को मौन श्रद्धांजलि व पुष्पांजलि अर्पित की तथा परमात्मा शिव के साथ जगदंबा मां को भी भोग स्वीकार कराया गया। सुरिंद्र मोहन गाबा ने मम्मा की याद में तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है तथा वंदे मातरम गीत गाकर सबको भाव विभोर कर दिया। सुशील शर्मा, अनीता शर्मा, सुषमा शर्मा ने अपने माऊंट आबू प्रवास के सुंदर सुंदर अनुभव सुनाए।
बीके आरती ने जगदंबा मां पर सुंदर स्वरचित कविता सुनाई। इस अवसर पर बीके रीटा, बीके शिविका, रजनी कौशल, रीतू चौहान, छवि चौधरी, सुनीता मदान, कृष्णा कुमारी, सुदेश गुप्ता, सोनिया, रूपवती, उर्मिल राणा, पूनम, बिमला, राकेश, स्नेह नांगरू, सुनीता जगिया, शशि मेहता, मंजू, सुरेश गोयल, डा. डीडी शर्मा, शाम सुंदर परूथी, हरीश कुमार, रामलाल कटारिया, रमेश कुमार व हरिकृष्ण नारंग आदि मौजूद रहे।