November 14, 2024
करनाल 17 नवम्बर, महिला एवं बाल विकास विभाग की पहल पर शुरूआत समिति के माध्यम से आरपीआईआईटी बसताडा के परिसर में वैश्विक परिदृश्य में स्त्री स्वर विषय पर राज्य स्तरीय विमर्श का आयोजन किया गया। जिसमें कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के सम्बद्ध कॉलेजों के वुमैन शैल के सदस्यों ने सक्रीय हिस्सेदारी की। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करते हुए  महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएस ढिल्लों ने कहा कि भारतीय समाज में स्त्री नदी की तरह निर्मल है। उन्होंने कहा कि मां की ममता नदी की धारा की तरह बचपन को पे्रम का संचार करती है। उन्होंने कहा कि मां जीवन और समाज की पहली शिक्षक है। जिस समाज का मातृत्व सम्पन्न होता है वह राष्ट्र सम्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का अभिप्राय ही है कि स्त्री पुरूष का भेद खत्म हो। आधुनिक समय की आधुनिकता का अभिप्राय ही है कि औरत को आर्थिक और राजनैतिक आजादी हासिल हो। समाज को चाहिए कि वह महिलाओं को भी आम नागरिक की तरह देखने की दृष्टि विकसित करे।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता  हिन्दी विभाग जामीया मिलिया की अध्यक्ष डा0 हेम लता महेश्वर ने कहा कि स्त्री को जब समाज नागरिक की तरह देखना शुरू करेगा तब स्त्री बराबरी का अहसास होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के मन्दिरों में बेटियां पढऩे तो आती है पर अभी भी उन पर संदेह किया जाता है जब तक हम उन पर विश्वास नही करेगें, तब तक वह नागरिक भूमिका में नही आएगी। उन्होंने कहा कि अभी घर और परिवार के संचालन में पुरूष का ही फैसला माना जाता है यह परिदृश्य तभी बदलेगी जब आधी दुनिया सम्पूर्ण रूप से शिक्षित होगी।
कार्यक्रम में प्रख्यात साहित्यकार प्रो0 रहमान ने कहा कि औरत पैदा नही होती है बना दी जाती है। हमारा पारिवारिक संस्कार बेटो को रोने नही देता और बेटियों को खुलकर हंसने नही देता जब तक यह फर्क खत्म नही होता तब तक समाज में गैर बराबरी बनी रहेगी । कार्यक्रम में हस्ताक्षेप करते हुए गणेशदास डीएवी कॉलेज एजुकेशन फार वुमैन की प्राचार्य डा0 राकेश संधू ने कहा कि अभी भी बेटियों को शैक्षणिक कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की वैसी आजादी नही है जैसी बेटों को है। दयाल सिंह कालेज के डा0 अनिता अग्रवाल ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में स्त्री सशक्तिकरण के लिए नये पाठ्यक्रम निर्धारित करने होगें।
वुमैन शैल की ईचार्ज डा0 मुक्ता जैन ने कहा कि देखने में दुनिया बदल रही है पर औरत आज भी राजनैतिक से लेकर परिवार तक फैसले में हाशिए पर है। पर्वतारोही अनिता ने कहा कि बेटियों को अपना हिस्सा खुद लेना होगा। शिक्षा रजनी सेठ ने कहा कि शैक्षिण परिसरों से ही नई दुनिया में आधी आबादी का नेतृत्व वैश्विक स्तर पर स्थापित होगा। स्वागत करते हुए संस्थान के डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारे परिसर में वुमैन शैल के माध्यम से आज की संगोष्ठि कई मायनों में महत्वपूर्ण है। निदेशक सौरव गुप्ता ने कहा कि स्त्री आजादी की यह पाठशाला करनाल में नई पहल है। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के सचिव भरत सिंगल ने की तथा डीएवी कॉलेज करनाल के प्राचार्य डा0 आरपी सैनी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। कार्यक्रम के आयोजन समिति में डा0 डीएन मित्तल ने सक्रिय भूमिका निभाई।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्कृत कर्मी राजीव रंजन ने कहा कि भारतीय समाज में गालियों का समाज शास्त्र स्त्री अपमान की गाथा है। समाज को गालियों के बहिष्कार का अभियान चलाना होगा तभी समाज में महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा।   जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनी पसरीचा ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि हम सभी संस्थाओं में सक्रिय कामकाजी महिलाओं को जागरूक करेगें कि वह समाज के सभी स्त्रियों को उत्पीडन और हिंसा के खिलाफ कानून सम्मत व्यवहार करें। कार्यक्रम के अंत में शुरूआत समिति के रंगकर्मियों ने स्त्री आजादी को समर्पित साधना नाटक का मंचन किया, जिसका निर्देशन शुरूआत समिति के सचिव रीता रंजन ने किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि ने चित्रकला के लिए प्रथम पुरस्कार अंशु पुनिया, द्वितीय सृष्टि व कणिका तथा तृतीय पुरस्कार प्रिया और तनिष्का को प्रदान किया। वादविवाद प्रतियोगिता के लिए प्राची और खुशी को सम्मानित किया। इस अवसर पर हरियाणा पुलिस की उप निरीक्षक अनिता कुंडू को पर्वतारोहण के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.