कुछ देर पहले बेंगलुरु में भी ऐसा मामला सामने आया है। कि कुछ बच्चे परिजनों से छुप कर सुसाइड गेम ब्लू वेल खेल रहे थे। जो कि बहुत बड़े खतरे का सिग्नल है। कल झज्जर में भी यह गेम खेलते एक बच्चे की डेथ हो गई , करनाल ब्रेकिंग न्यूज़ करनाल के सभी परिजनों से अपील करता है। कि वो अपने बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नज़र बना कर रखे। अगर कोई बच्चा जरूरत से ज्यादा इंटरनेट इस्तमाल करता है।तो उसकी कॉउंसलिंग जरूर करें।
खतरनाक कारनामों के लिए यंग लोगों को उकसाने वाला ऑनलाइन गेम ब्लू-वेल चैलेंज पिछले काफी समय से भारत में चर्चित है। लगभग 50 दिन तक चलने वाले इस खेल में खिलाड़ी को 50 टास्क्स करने होते हैं, जिनमें से कई में खुद को नुकसान भी पहुंचाना होता है। इस खेल के आखिर में खिलाड़ी को करना होता है सुइसाइड। इस पूरे खेल के दौरान खिलाड़ी को अपने सभी कारनामों के विडियो बनाकर उस ‘वेल’ या इंस्ट्रक्टर को भेजने होते हैं जो अभी तो उसे इंस्ट्रक्ट करता रहा हो। दुनियाभर में इस चैलेंज की वजह से लगभग 130 मौतें हो हो चुकी हैं। भारत में भी कई यंगस्टर्स इसके चलते अपनी जान गंवा चुके हैं।
कैसे हुई शुरुआत?
कहते हैं कि इस खेल की शुरुआत 2013 में रूस से हुई। सोशल नेटवर्किंग साइट VKontakte के एक ग्रुप F57, जिसे डेथ ग्रुप कहा जाता था, की वजह से पहली मौत 2015 में हुई। रूस की एक यूनिवर्सिटी से बाहर किए गए स्टूडेंट फिलिप बुदेकिन ने दावा किया था कि उसने यह खेल बनाया है। उसके मुताबिक उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह चाहता था कि समाज साफ हो जाए। उसके मुताबिक उन लोगों को खुदकुशी के लिए उकसाकर ऐसा किया जा सकता है जिनकी, उसके मुताबिक, कोई वैल्यू नहीं थी। उसे 16 टीनेजर्स को कुदकुशी के लिए उसकाने के आरोप में गिराफ्तार कर लिया गया। 11 मई को बुदेकिन को आरोपी करार देकर 3 साल की सजा सुना दी गई।
क्या है ब्लू-वेल का मतलब?
ब्लू-वेल का संबंध वेल्स के सुइसाइड से है। पानी में रहने वाले स्तनधारी जीव बीच पर चले जाते हैं। वहां उनकी डिहाइड्रेशन, अपने खुद के वजन या हाई-टाइड की वजह से मौत हो जाती है।
भारत में हुए हादसे
भारत में ब्लू-वेल चैलेंज की वजह से मौतों का सिलसिला तब शुरू हुआ जब 30 जुलाई को मुंबई में एक 14 साल के बच्चे ने कथित तौर पर एक इमारत से कूदकर अपनी जान दे दी। इसके बाद इंदौर में 7वीं क्लास में पढ़ने वाले एक लड़के ने 10 अगस्त को खुदकुशी करने से ठीक पहले बचा लिया गया। बताया जाता है कि उसने अपनी स्कूल डायरी में पहले के 50 स्टेज के बारे में लिख रखा था। पश्चिम बंगाल में 12 अगस्त को 10वीं क्लास के एक बच्चे का शरीर पाया गया। उसका सिर प्लास्टिक में लिपटा हुआ था और उसके गले में एक रस्सी बंधी हुई थी।
क्या कहते हैं कानून?
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने गूगल, फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और याहू से इस खेल से जुड़े लिंक्स हटाने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने इस खेल पर बैन लगाने की मांग की थी।
रूसी संसद ने सोशल मीडिया पर खुदकुशी को बढ़ावा देने वाले ग्रुप बनाने को अपराध के दायरे में रखने संबंधी बिल को 26 मई को पास किया। राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने नाबालिग बच्चों को खुदकुशी के लिए उकसाने पर क्रिमिनल पेनल्टी लगाने को लेकर एक कानून पर भी हस्ताक्षर किए। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 6 साल तक की सजा हो सकती है।
दूसरे देशों में हुए मामले
वेनेजुएला
26 अप्रैल को एक 15 साल के बच्चे ने कथित तौर पर इस खेल के लिए जान दे दी।
ब्राजील
क्रिश्चियन सोशल पार्टी के पास्टर ने दावा किया कि उसकी भतीजी ने इस खेल के चलते अपनी जान दे दी।
एक 15 साल की छात्रा को उसकी जान लेने के ठीक पहले ही रोक लिया गया। उसके हाथ पर वेल के शेप में कई कट्स लगे थे।
एक 17 साल के बच्चे ने खुदकुशी की कोशिश से पहले फेसबुक पर लिखा- ‘ब्लेम इट ऑन द वेल’ यानी इसका दोष ‘वेल’ पर लगाया जाए।
अर्जंटीना
एक 16 साल के बच्चे ने फाइनल स्टेज के लिए अपनी जान दे दी वहीं एक 14 साल के बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
इटली
मार्च में अखबारों में इस खेल की चर्चा हुई। इसे असली रूसी खेल करार देते हुए इसके नियमों के बारे में बताया गया। कुछ दिन बाद एक टीनएजर की खुदकुशी को इस खेल से जोड़कर देखा गया।
कीनिया
नैरोबी में एक स्टूडेंट ने 3 मई को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
पुर्तगाल
18 साल की एक लड़की को रेलवे लाइन के पास पाया गया। उसके हाथ पर कई चोटें पाई गईं। उसने बताया कि उसे किसी ब्लू-वेल नाम के शख्स ने उकसाया था।
सऊदी अरब
5 जून को एक 13 साल के बच्चे ने अरपने प्लेस्टेशन के तारों से खुद की जान लेने की कोशिश की। यह इस खेल का सऊदी में पहला मामला था।
चीन
एक 10 साल की बच्ची ने खेल के चलते खुद को नुकसान पहुंचाया और एक सुइसाइड ग्रुप भी बनाया। भव वहां इस खेल पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
रूस
मार्च, 2017 में प्रशासन ने इस खेल से जुड़े मामलों की जांच शुरी की। फरवरी में 15 साल के 2 बच्चों ने साइबेरिया में एक इमारत से कूदकर जान दे दी। ऐसा कदम उठाने से पहल उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वेल की फोटो शेयर करते हुए कैप्शन दिया