December 23, 2024
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करनाल पुलिस की क्राइम युनिट सी.आई.ए-01 टीम के इन्चार्ज निरीक्षक दीपेन्द्र राणा द्वारा अपनी एक टीम को ए.एस.आई. चन्देष्वर कुमार की अध्यक्षता में थाना शहर करनाल क्षेत्र में गस्त करके अपराधों को रोकने व अपराधीयों को पकड़ने के लिए रवाना किया। जो दौराने गस्त ए.एस.आई. चन्देषवर को गुप्त तरीके से चोरी का मोबाईल बेचने वाले दो व्यक्तियों के संबंध में सुचना प्राप्त हुई।

सुचना मिलते ही उसने अपनी टीम के साथ आरोपीयों को पकड़ने के लिए योजना तैयार की और अपनी टीम के सभी सदस्यों को बताया कि उन दो व्यक्तियों के साथ-साथ उनके आसपास भी नजर रखें, ताकि यदि उनका कोई साथी ईधर-उधर हो तो व उन्हें छुड़ाने के लिए मदद न कर सके और उसे भी गिरफतार किया जा सके। इस प्रकार योजना के साथ पुलिस टीम द्वारा बांसो गेट करनाल से दो आरोपीयों….. अजय उर्फ सोटिया पुत्र विजय वासी मद्रासी मौहल्ला रामनगर करनाल और अरूण पुत्र राजु वासी मद्रासी मौहल्ला रामनगर करनाल को चोरी के मोबाईल के साथ गिरफतार किया गया।

पुलिस टीम द्वारा पुछताछ पर आरोपीयों द्वारा घरों व दूकानों में चोरी की चार वारदातों के संबंध में खुलासा किया गया। जिसके लिए दिनांक 06.01.18 को आरोपीयों को माननीय अदालत के सामने पेषकर पुलिस रिमांड हासिल किया।

दौरान रिमांड आरोपीयों की निषानदेही पर उनके कब्जे से चोरीषुदा….. दो लैपटाप, दो टी.वी., चार जोड़ी टोपस सोने के, एक सोने की चेन, एक इनवरटर-एक बैटरा, बिजली की तारों के 22 बंडल और दो सिलिंग फैन बरामद किए गए।

पुलिस जांच और आरोपीयों से पूछताछ में सामने आया कि आरोपी….. अजय के खिलाफ करनाल में साल 2008 से पहले चोरी के कई मामले दर्ज थे और उनमें गिरफतार होकर वह जेल भी जा चुका था, जिनमें वह अपनी सजा भी पूरी कर चुका था। साल 2009 के बाद से आरोपी करनाल छोड़कर षिमला के पास रामपूरा में रहने लग गया था और अब पिछले एक साल में वह रात के समय षिमला से आता था और अपने साथी अरूण के साथ चोरी की वारदात को अंजाम देकर सुबह ही षिमला वापिस चला जाता था।

दूसरे आरोपी अरूण के खिलाफ भी थाना सिविल लाईन करनाल व थाना शहर करनाल में चोरी के तीन मामलें दर्ज हैं, जिनमें इसे गिरफतार कर जेल भेज दिया गया था और करीब एक साल से यह जमानत पर जेल से बाहर आया हुआ था और इसके खिलाफ पहले से दर्ज चोरी के तीनों मामलें न्यायालय में विचाराधीन हैं। पुलिस टीम द्वारा आज दिनांक 09.01.19 को आरोपीयों की रिमांड अवधी समाप्त होने के बाद पूनः उन्हें अदालत के सामने पेष किया गया, जहां से अदालत के आदेष पर उन्हें जिला जेल भेज दिया गया।

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