प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित गांव भादसो स्थित नंदीशाला में गोवंश मर रहा है। इतना ही नहीं मरने के बाद वहीं पर सड़ रहा है। सप्ताह में शायद ही कोई दिन ऐसे जाता होगा, जिस दिन कोई न कोई गोवंश दम न तोड़ता हो। गोवंश की देखभाल तो दूर की बात है,
मृतक गोवंश को गोशाला से उठाया नहीं जा रहा है। अब नंदीशाला से सड़ाक आने लगी है। इतना कुछ होने पर भी जिला प्रशासन को गायों कराहट सुनने की फुरसट नहीं है।
गौरतलब है कि इंद्री के गांव भादसों में नंदीशाला बनाई गई है। इसका उद्घाटन 2 फरवरी, 2017 को राज्य मंत्री कर्ण देव द्वारा किया गया था। नंदीशाला पर करीब 40 से 45 लाख रुपये खर्च किये गए थे। इसमें 509 नंदी रखने की व्यवस्था की गई थी, परंतु अब भादसों नंदीशाला में केवल 400 के करीब नंदी बचे हैं।
बुधवार को अमर उजाला की टीम ने नंदीशाला का मुआयना किया तो हकीकत सामने आई। नंदीशाला के अंदर की गोवंश मरा पड़ा है। मृतक गोवंश से अब बदबू आने लगी है, इससे अंदाजा है कि कई कई दिन तक मृतक गाोवंश को उठाया नहीं जाता।इससे अन्य गोवंश में भी बीमारियों आदि फैलने का खतरा बना रहता है।
सबसे अमीर पंचायत, नंदीशाला गरीब
खंड इंद्री के गांव भादसों की पंचायत सबसे अमीर पंचायत है, जिसकी सालाना आय करीब 65 से 70 लाख रुपए है। ग्राम पंचायत द्वारा करीब 40 लाख रुपए की राशि नंदीशाला पर खर्च की गई थी, ताकि गोवंश की सुरक्षा की जा सके, परंतु पंचायत द्वारा करीब 40 लाख रुपए खर्च करने उपरांत भी नंदीशाला में अब तक 100 से ज्यादा नंदी मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं, इसके अतिरिक्त कुछ नंदी तो ऐसे हैं जो मरने की का कगार पर हैं। इस मामले में पशु चिकित्सक डॉक्टर रामपाल का कहना है कि अब तक कई गोवंश मर चुके हैं। इनकी मौत का कारण केवल उनकी कमजोरी है।
गोवंश को बचाने को बनाई है नंदीशाला
हरियाणा प्रदेश को शहर व गांव में घूमते बेसहारा गोवंश से मुक्त करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा नंदी शाला योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत नंदीशाला स्थापित करने की इच्छुक पंचायत खंड के बीडीपीओ को प्रस्ताव डाल कर देती है। बीडीपीओ पंचायत द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर संबंधित पंचायत को नंदीशाला स्थापित करने की इजाजत देता है।
जमीन 13 एकड़, चारा केवल 4 एकड़ में नंदीशाला के लिए भादसों पंचायत द्वारा करीब 13 एकड़ भूमि हरे चारे के लिए छोड़ी गई है, परंतु अब केवल 4 एकड़ में ही पंचायत द्वारा गोवंश के लिए चारा तैयार किया जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है की क्या केवल 4 एकड़ के चारे से लगभग 400 गोवंश पेट भर पाएंगे। बता दें कि सरकार द्वारा जितना मजबूत कानून गाय के संबंध में बनाया गया है। उससे कहीं ज्यादा लचर नीति नंदीशाला के संबंध में बनाई गई है। सरकार अनुसार, नंदीशाला केवल दान के भरोसे ही चलेगी, ऐसे में जब नंदीशाला में दान ही नहीं आएगा तो गोवंश की सुरक्षा की जिम्मेवारी कौन लेगा।.
सरकारी मदद जरूरी : सरपंच प्रतिनिधि
क्या कहते हैं सरपंच प्रतिनिधि सुखविंदर सिंहइस मामले में सुखविंदर सिंह का कहना है कि केवल दान के भरोसे नंदीशाला नहीं चल सकती सरकार को इसके लिए नई नीति बनानी चाहिए। हम लगातार दान के लिए कोशिश करते हैं, लेकिन दान कम आने के कारण दिक्कतें आ रही हैं।
एसडीओ बोले, मुझे गोवंश के मरने की जानकारी नहीं
गोवंश के मरने के मामले में जब एसडीओ पंचायती राज गौरव भारद्वाज से बात की गई तो उनका कहना था कि सरकार द्वारा 5 लाख रुपए की राशि से नंदीशाला में शेड का निर्माण करवाया गया था। गोवंश के मरने का मुझे कोई पता नहीं है।