हरियाणा के करनाल में कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस संघ के कार्यकर्ताओं ने मनरेगा योजना के नाम और इसके संचालन नियमों में किए जा रहे बदलावों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिला सचिवालय पर बड़ी संख्या में एकत्रित होकर कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी की और जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति एवं सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों का मुख्य आरोप है कि केंद्र सरकार न केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से जुड़ी इस योजना की पहचान मिटाना चाहती है, बल्कि इसे व्यावहारिक रूप से खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
प्रदर्शन के दौरान संघ के नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के वित्तीय ढांचे में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकारों को वहन करनी होगी। उनका तर्क है कि जिन राज्यों में पहले से ही वित्तीय संकट है, वे 40 प्रतिशत हिस्सेदारी देने में असमर्थता जता सकते हैं। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार भी अपना हिस्सा देने से मना कर देगी, जिसका सीधा खामियाजा उन गरीब मजदूरों को भुगतना पड़ेगा जिनकी आजीविका पूरी तरह से मनरेगा पर टिकी है।
कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि पहले यह योजना पूरी तरह से केंद्र के अधीन थी और इसका लाभ समाज के सबसे निचले स्तर के व्यक्ति तक पहुँचता था, लेकिन अब इसमें ‘आइडेंटिफिकेशन’ और नई शर्तों को जोड़कर इसे जटिल बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि अब यह केंद्र सरकार तय करेगी कि किन दिनों में और किन क्षेत्रों में रोजगार देना है, जिससे स्थानीय स्तर पर मजदूरों के अधिकार सीमित हो जाएंगे।
संघ के जिला प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि महात्मा गांधी का नाम मजबूती का प्रतीक है और उसे हटाकर योजना का नाम बदलना करोड़ों श्रमिकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मनरेगा के पुराने स्वरूप को बहाल नहीं किया और मजदूरों के अधिकारों का हनन जारी रहा, तो यह आंदोलन और भी उग्र रूप धारण करेगा। फिलहाल, कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को रखते हुए मेमोरेंडम सौंपा है और सरकार से इस जनहित योजना को सुरक्षित रखने की अपील की है।