करनाल: 16 दिसंबर को मनाए जाने वाले विजय दिवस के उपलक्ष्य में करनाल के शहीदी स्मारक पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में करनाल के अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और पूर्व सैनिकों, वीर नारियों तथा सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की।
एडीसी ने शहीदी स्मारक पर पुष्प अर्पित कर शहीदों को नमन किया। उन्होंने अपने संबोधन में विजय दिवस मनाने के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस दिवस के माध्यम से हम उन गुणों को युवाओं के सामने लाना चाहते हैं, जो हमारे सशस्त्र बलों की पहचान हैं—जैसे समर्पण (डेडीकेशन), अनुशासन (डिसिप्लिन) और देशभक्ति (पेट्रियटिज्म)। उन्होंने अपील की कि अधिक से अधिक युवा इन गुणों को अपनाएँ और देश की सेवा के लिए सशस्त्र बलों में शामिल हों।
कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व सैनिकों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि विजय दिवस हर फौजी के दिल के बहुत करीब रहता है। उन्होंने 1971 के युद्ध की ऐतिहासिक जीत को याद किया, जब भारतीय सेना ने मात्र 13 दिनों में ‘ऑपरेशन कैक्टस लिली’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और पाकिस्तानी सेना के 92,000 कर्मियों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया था। उन्होंने इस जीत को भारतीय फौजियों के लिए गर्व का विषय बताया और कहा कि दुश्मन को घुटनों पर लाने का जोश हमेशा कायम रहना चाहिए। उन्होंने करनाल वासियों से भी आह्वान किया कि वे इस जोश और उत्साह को बनाए रखें।
एक अन्य कर्नल ने बताया कि यह कार्यक्रम उन शहीदों की याद में रखा गया जिन्होंने देश के लिए अपनी कुर्बानी दी। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य वीर नारियों (युद्ध विधवाओं) और सभी पूर्व सैनिकों को सम्मानित करना है। उन्होंने एडीसी का विशेष धन्यवाद किया जो उपायुक्त की ओर से कार्यक्रम में शामिल हुए और अपनी उपस्थिति से इस दिवस के महत्व को बढ़ाया। उन्होंने सभी को विजय दिवस की बधाई दी और कहा कि यह छोटा सा कार्यक्रम शहीदों और राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य योगदान को समर्पित है।
इस अवसर पर जिला आर्मी सैनिक बोर्ड के अधिकारियों और अन्य सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों ने भी शिरकत की, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए संकल्प लिया। यह कार्यक्रम न केवल 1971 के युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि देने का माध्यम बना, बल्कि इसने वर्तमान पीढ़ी को राष्ट्र सेवा और समर्पण की भावना से जोड़ने का भी प्रयास किया।