करनाल: हरियाणा के किसानों और मजदूरों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर करनाल विधायक जगमोहन आनंद के निवास स्थान पर भारी संख्या में प्रदर्शन किया। यह विरोध प्रदर्शन ‘हरियाणा किसान मजदूर संघर्ष मोर्चे’ के बैनर तले आयोजित किया गया था। किसान नेता अमृत बुग्गा के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने आगामी 18 तारीख से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले विधायक को ज्ञापन सौंपने का प्रयास किया। विधायक के उपस्थित न होने पर, ज्ञापन उनके प्रतिनिधि को सौंपा गया।
प्रदर्शनकारी किसानों की मुख्य मांग हाल ही में सामने आए धान घोटाले के संबंध में है, जिसे वे करीब 5,000 करोड़ रुपये का बताते हैं। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि करनाल जिला धान घोटाले का मुख्य केंद्र रहा है, क्योंकि यहाँ एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी और राइस मिलों की सबसे बड़ी संख्या है। उनका कहना था कि जब इस घोटाले की शुरुआत हुई थी, तब विधायक महोदय राइस मिलरों के साथ मुख्यमंत्री से मिले थे। अब जब यह घोटाला बड़े पैमाने पर साबित हो चुका है, तो उनकी जिम्मेदारी है कि वे विधानसभा में किसानों की आवाज़ बुलंद करें।
किसान यूनियन ने मांग की है कि विधायक न केवल इस मुद्दे को उठाएं, बल्कि धान घोटाले में शामिल सभी दोषियों, चाहे वे राइस मिलर हों, आढ़ती हों, या अन्य प्रभावशाली लोग हों, उनके लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग करें। किसान नेताओं ने वर्तमान में चल रही जांच पर असंतोष व्यक्त करते हुए इसे केवल खानापूर्ति बताया। उनका आरोप है कि छोटे कर्मचारियों और क्लर्कों पर कार्रवाई करके बड़ी मछलियों को बचाया जा रहा है। एक महिला किसान नेता ने कहा कि बड़े घोटालेबाजों को करोड़ों रुपये देकर जमानत मिल रही है, जिससे स्पष्ट है कि सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है। किसानों ने यह भी मांग की कि दोषियों की संपत्ति की जांच और नीलामी करके लूटा गया पैसा गरीब किसानों में बांटा जाए।
धान घोटाले के अलावा, किसानों ने कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी उठाए, जिनके संबंध में विधानसभा में आवाज़ उठाने के लिए ज्ञापन सौंपा गया:
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कर्जा माफी: किसान मजदूर की संपूर्ण कर्जा माफी की जाए, क्योंकि उन्हें फसल का उचित मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल पा रहा है और वे गहरे कर्ज में डूब चुके हैं।
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स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें: किसानों ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने की मांग की, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधर सके।
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ट्रैक्टर पंजीकरण शुल्क में वृद्धि: ट्रैक्टरों के पंजीकरण शुल्क में की गई दस गुना वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाए।
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पुराने वाहनों पर प्रतिबंध: 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों/ट्रैक्टरों पर लगाए गए मनमाने प्रतिबंध को हटाने की मांग की गई। किसानों का तर्क है कि प्रतिबंध की जगह वाहनों का फिटनेस टेस्ट किया जाना चाहिए, क्योंकि बहुत से किसान कम किलोमीटर वाहन चलाते हैं।
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ट्यूबवेल कनेक्शन और मुआवज़ा: ट्यूबवेल कनेक्शनों पर अनिवार्य किए गए फव्वारा सिस्टम की शर्तों को हटाया जाए, और हाल ही में आई बाढ़ या बारिश के कारण खराब हुई फसलों के लिए किसानों को जल्द से जल्द उचित मुआवज़ा दिया जाए।
प्रदर्शन के दौरान, सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर सिविल लाइन थाना क्षेत्र से भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। किसानों ने विधायक प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपने के बाद कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि यह आवाज़ मीडिया के माध्यम से विधायक और मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी और विधानसभा सत्र में किसान-हितैषी मुद्दों पर ज़ोर-शोर से कार्रवाई होगी, जिससे भविष्य में इस तरह के अपराधों पर रोक लग सके। किसानों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं होगी, उनका संघर्ष जारी रहेगा।