December 11, 2025
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करनाल के कुंजपुरा थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां 16 साल के एक किशोर ने अपनी ही किडनैपिंग की झूठी साजिश रच दी। किशोर ने घर से निकलने के बाद अपने पिता को एक अनजान नंबर से कॉल करवा कर यह संदेश भिजवाया कि उसे अगवा कर लिया गया है और उसकी रिहाई के बदले 2 लाख रुपये की फिरौती की मांग रखी गई है। परिवार को यह एक वास्तविक अपहरण का मामला लगा और घर में अफरा-तफरी मच गई।​

घबराए हुए परिजनों ने तुरंत कुंजपुरा थाने की पुलिस से संपर्क किया और पूरा मामला विस्तार से बताया। उन्हें लगा कि उनका 16 वर्षीय बेटा किसी गिरोह के चंगुल में फंस गया है और उसके साथ किसी भी तरह की अनहोनी हो सकती है। पुलिस ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे संवेदनशील केस मानकर तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी।​

शुरुआती जानकारी के अनुसार, कॉल एक अननोन नंबर से किया गया था, जिससे यह आभास हो कि यह किसी बाहरी व्यक्ति या गैंग का काम है। कॉल पर धमकी भरे लहजे में बात की गई और यह संदेश दिया गया कि यदि पैसे नहीं दिए गए तो बच्चे को सुरक्षित वापस नहीं छोड़ा जाएगा। इस तरह की बातों से परिवार काफी सहम गया और उन्होंने बिना देरी किए पुलिस से मदद मांगी।​

कुंजपुरा पुलिस ने तकनीकी और मानवीय दोनों स्तरों पर जांच शुरू की। कॉल डिटेल रिकॉर्ड, मोबाइल लोकेशन और अन्य तकनीकी इनपुट की मदद से उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि कॉल कहां से और किसके द्वारा किया गया। कुछ ही घंटों में जांच की दिशा बदलने लगी और पुलिस को शक हुआ कि मामला वास्तविक किडनैपिंग का नहीं, बल्कि किसी अंदरूनी साजिश का हिस्सा हो सकता है।​

तकनीकी जांच के आधार पर पुलिस एक लोकेशन तक पहुंची, जहां 16 साल का किशोर सुरक्षित मिल गया। उसे बरामद कर पूछताछ शुरू की गई। पूछताछ के दौरान किशोर ने आखिरकार स्वीकार किया कि उसकी कोई किडनैपिंग नहीं हुई थी, बल्कि यह पूरी कहानी उसी की बनाई हुई थी। उसने खुद ही अनजान नंबर से कॉल करवाकर अपने पिता से 2 लाख रुपये की फिरौती मांगने का खेल रचा था।​

प्राथमिक जानकारी के अनुसार, इस तरह की हरकत के पीछे बच्चे के कुछ निजी कारण, दबाव या गलत सोच हो सकती है, जिनकी जांच आगे की प्रक्रिया में की जा रही है। हालांकि, यह स्पष्ट हो गया कि किसी बाहरी गैंग या अपराधी द्वारा अपहरण जैसा कोई अपराध नहीं हुआ था। इस खुलासे के बाद परिवार ने राहत की सांस तो ली, लेकिन साथ ही हैरानी और दुख भी जाहिर किया कि उनका अपना ही बच्चा ऐसी योजना बना सकता है।​

पुलिस अधिकारियों ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि जिस तरह से यह साजिश रची गई, वह न सिर्फ परिवार को मानसिक रूप से झकझोरने वाली है, बल्कि कानून और पुलिस संसाधनों के दुरुपयोग की श्रेणी में भी आती है। अपहरण और फिरौती जैसे संगीन अपराधों को लेकर झूठी कहानी बनाना स्वयं में गंभीर गलत कदम है, जिस पर कानूनन कार्यवाही हो सकती है।​

इस घटना ने अभिभावकों के सामने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं – बच्चों की मानसिक स्थिति, उनकी संगत, मोबाइल फोन और इंटरनेट के इस्तेमाल पर निगरानी कितनी जरूरी है, यह मामला इसका एक उदाहरण बनकर सामने आया है। पुलिस ने माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों से संवाद बढ़ाएं, उनकी परेशानियों को समझें और उन्हें गलत राह पर जाने से रोकने का प्रयास करें।​

कुंजपुरा पुलिस ने यह भी स्पष्ट संदेश दिया कि वास्तविक अपराध की जानकारी मिलने पर पुलिस हर संभव प्रयास और संसाधन लगाकर पीड़ितों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती है। लेकिन यदि कोई झूठा नाटक रचकर व्यवस्था के साथ छल करने की कोशिश करता है, तो इससे न केवल संसाधन व्यर्थ होते हैं, बल्कि किसी दूसरे वास्तविक जरूरतमंद तक मदद पहुंचने में भी देरी हो सकती है।​

इस पूरे प्रकरण ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किशोरावस्था में बच्चों की मनोस्थिति और उनकी गतिविधियों पर संवेदनशील नज़र रखना कितना जरूरी है। साथ ही यह घटना एक सख्त चेतावनी भी है कि कानून के साथ खिलवाड़ करने वाली ऐसी हरकतें मज़ाक नहीं, बल्कि गंभीर परिणाम लेकर आ सकती हैं।

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