December 11, 2025
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करनाल में स्विगी इंस्टामार्ट के दर्जनों डिलीवरी वर्कर्स ने कामकाजी हालात, कम कमाई और आईडी ब्लॉक/हैकिंग के आरोपों को लेकर खुलकर विरोध दर्ज कराया। उनका आरोप है कि 18–18 घंटे तक काम करने के बावजूद उन्हें दिनभर की कुल अर्निंग सिर्फ 700 से 900 रुपये तक मिलती है, जिसमें वाहन और फ्यूल का सारा खर्च भी उन्हीं का होता है। वर्कर्स का कहना है कि कम वेतन और लगातार बढ़ते दबाव के खिलाफ आवाज उठाने पर उनकी आईडी ब्लॉक कर दी गई और काम से बाहर कर दिया गया।

18 घंटे ड्यूटी, सिर्फ 700–900 रुपये कमाई

डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि उनसे करीब 18 घंटे तक ड्यूटी करवाई जाती है, लेकिन दिन भर की कुल कमाई कभी 800, कभी 900 और कभी 1000 रुपये तक ही दी जाती है। पहले कंपनी की ओर से डीएमजी (डेली मिनिमम गारंटी) मिलती थी, जिसके तहत 15 रुपये से 60 रुपये तक के ऑर्डर पर बेहतर पेआउट और 30 ऑर्डर पूरे करने पर करीब 1200 रुपये तक की अर्निंग हो जाती थी, जिसमें से फ्यूल और बाइक मेंटेनेंस का खर्च वे खुद उठाते थे। अब उनके अनुसार डीएमजी हटा दी गई है और ऑर्डर पेआउट घटाकर 15–18 रुपये कर दिया गया है, चाहे डिलीवरी 1–1.5 किलोमीटर हो या ज्यादा दूरी पर।

वर्कर्स ने बताया कि 10 मिनट के भीतर डिलीवरी पूरी न करने पर पेआउट और इंसेंटिव पर भी असर पड़ता है। समय सीमा कम होने की वजह से उन्हें गर्मी, सर्दी, धुंध और ट्रैफिक जाम में भी तेज रफ्तार से चलना पड़ता है, जिससे एक्सीडेंट और चालान का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन यदि दुर्घटना हो जाए या चालान कट जाए तो उसका पूरा बोझ भी उन्हीं पर पड़ता है।

आईडी ब्लॉक/हैक और फ्लीट मैनेजर पर गंभीर आरोप

कई वर्कर्स ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने कम वेतन और काम के हालात पर आवाज उठाई तो करनाल के फ्लीट मैनेजर द्वारा उनकी आईडी ब्लॉक कर दी गई। कुछ वर्कर्स ने कहा कि उनकी आईडी “हैक” या बंद कर दी गई, जिसके बाद वे ऐप पर लॉगिन करके काम नहीं कर पा रहे हैं, जबकि कंपनी की ओर से उन्हें कहा गया कि इस बारे में फील्ड/फ्लीट मैनेजर से बात करें।

वर्कर्स का दावा है कि फ्लीट मैनेजर द्वारा उन्हें धमकाया जाता है कि अगर वे सवाल उठाएंगे या विरोध करेंगे तो उनकी आईडी बंद कर दी जाएगी। आरोप यह भी है कि मैनेजर माफीनामा लिखवाने का दबाव बना रहे हैं और कह रहे हैं कि लिखित माफी देने पर ही आईडी दोबारा चालू की जाएगी। वर्कर्स का कहना है कि जब गलती उनकी नहीं है, तो वे माफीनामा नहीं देंगे।

स्ट्राइक, 112 नंबर पर पुलिस बुलाने का मामला

कम अर्निंग और आईडी ब्लॉक के खिलाफ वर्कर्स ने स्ट्राइक शुरू की, जिसके दौरान उन्होंने काम ठप कर विरोध जताया। उनका आरोप है कि फ्लीट मैनेजर ने सुबह डायल 112 पर कॉल करके पुलिस बुला ली और पुलिस की मौजूदगी में उन पर दवाब बनाने की कोशिश की गई। वर्कर्स ने बताया कि वे अपना पक्ष रखने के लिए पुलिस के पास भी गए और लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामले में आगे की सुनवाई का आश्वासन दिया गया।

वर्कर्स ने कहा कि कंपनी से उन्हें सीधी शिकायत कम है, उनकी मुख्य समस्या स्थानीय फील्ड/फ्लीट मैनेजर के रवैये को लेकर है। उनका कहना है कि मैनेजर को फील्ड में वर्कर्स की सुविधा, पार्किंग, अतिरिक्त प्रोत्साहन और समस्याओं की सुनवाई के लिए जिम्मेदार होना चाहिए, लेकिन इसके बजाय उनकी आवाज दबाने और आईडी बंद कराने का काम किया जा रहा है।

डिलीवरी प्रेशर, सुरक्षा जोखिम और राष्ट्रीय मुद्दे की बात

डिलीवरी बॉयज़ का कहना है कि उन्हें मात्र 10 मिनट के भीतर ऑर्डर ग्राहक तक पहुंचाने का लक्ष्य दिया जाता है, चाहे मौसम खराब हो, सर्दी–गर्मी हो या सड़कों पर धुंध और जाम हो। समय पर डिलीवरी न हो पाने पर उन्हें पेआउट कटने, इंसेंटिव न मिलने और कस्टमर की शिकायत झेलनी पड़ती है, यहां तक कि कई बार ग्राहक देर होने पर ऑर्डर लेने से इनकार कर देते हैं और उनका पेमेंट कट जाता है।

वर्कर्स ने यह भी कहा कि यह सिर्फ करनाल या एक स्टोर की समस्या नहीं, बल्कि पूरे देश के डिलीवरी वर्कर्स का मुद्दा है। उन्होंने याद दिलाया कि संसद में भी डिलीवरी बॉयज़ की सुरक्षा और काम के दबाव को लेकर आवाज उठ चुकी है। उनका मानना है कि यदि कंपनियां “चंद मिनटों में डिलीवरी” का वादा करती हैं, तो उन्हें वर्कर्स की सुरक्षा, बीमा, उचित पेआउट और इंसेंटिव का जिम्मा भी ईमानदारी से उठाना चाहिए।

स्टोर बंद, पार्किंग और स्थानीय व्यापारियों की परेशानी

वर्कर्स के अनुसार पहले करनाल में स्विगी इंस्टामार्ट के तीन स्टोर थे—एक रावर रोड पर, दूसरा बीरू कॉलोनी आईटीआई चौक के पास और तीसरा मौजूदा स्टोर—जिनमें से दो स्टोर बंद हो चुके हैं। उनका आरोप है कि मैनेजमेंट के गलत व्यवहार और मिसमैनेजमेंट की वजह से ही यह स्थिति बनी है और अब तीसरे स्टोर को लेकर भी तनाव चल रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि स्टोर के पास पार्किंग की कोई उचित व्यवस्था नहीं है, करीब 50 मोटरसाइकिलें बाहर खड़ी रहती हैं और बड़े वाहनों की अनलोडिंग के कारण आसपास की मंडी के व्यापारी भी परेशान हैं। वर्कर्स का कहना है कि कंपनी और स्थानीय प्रबंधन को एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिसमें डिलीवरी पार्टनर्स की पार्किंग, सुरक्षा और ट्रैफिक बाधा दोनों का समाधान निकले।

वर्कर्स की मांग और जनता से अपील

डिलीवरी वर्कर्स ने साफ कहा कि वे कंपनी का काम बंद नहीं करना चाहते, बल्कि सम्मानजनक अर्निंग और सुरक्षित कामकाजी माहौल चाहते हैं। उनकी मुख्य मांगें हैं:

  • पुरानी डीएमजी/गारंटी व्यवस्था बहाल की जाए

  • प्रति ऑर्डर पेआउट व्यावहारिक स्तर पर बढ़ाया जाए

  • ब्लॉक की गई आईडी तुरंत चालू की जाए

  • फ्लीट मैनेजर के रवैये की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए

कुछ वर्कर्स ने जनता से भी अपील की कि जब तक उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार न हो, लोग कंपनी के प्रति भी सवाल उठाएं और डिलीवरी पार्टनर्स के पक्ष को समझें। उन्होंने कहा कि वे किसी भी तरह की गलत हरकत नहीं, सिर्फ अपने हक की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि उनकी आवाज बड़े स्तर तक पहुंचे, ताकि नीति और प्रबंधन स्तर पर बदलाव हो सके।

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