दिल्ली से मां वैष्णो देवी धाम के लिए निकली पारस भाई गुरु जी की पदयात्रा करनाल पहुंची, जहां निर्मल कुटिया गुरुद्वारे से आगे के पड़ाव के लिए यात्रा को विधिवत रवाना किया गया। जय माता दी के गगनभेदी जयकारों से करनाल हाईवे गुंजायमान रहा और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के ध्वज, भगवा पताका और भजन-कीर्तन के साथ यात्रा में शामिल होते नजर आए।
पदयात्रा दिल्ली से शुरू होकर सोनीपत, पानीपत होते हुए करनाल पहुंची, जहां स्थानीय श्रद्धालुओं, सामाजिक संस्थाओं और मंदिर कमेटियों ने पारस भाई गुरु जी और उनके साथ चल रहे भक्तों का गर्मजोशी से स्वागत किया। करनाल के निर्मल कुटिया गुरुद्वारे परिसर में भजन-सत्संग, आरती और प्रसाद वितरण के बाद यात्रा को अगले पड़ाव के लिए प्रस्थान कराया गया।
यात्रा से जुड़े संतों व श्रद्धालुओं ने इसे “पवित्र प्रेम पथ यात्रा” बताते हुए कहा कि मां वैष्णो देवी का बुलावा मिलने पर ही भक्त इस तरह की कठिन पदयात्रा के लिए प्रेरित होते हैं। उनका कहना था कि यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक संदेश लेकर चल रही है, जिसमें नशा मुक्ति, सदाचार, संस्कार और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार यह पदयात्रा पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, पटियाला, लुधियाना, जालंधर, पठानकोट और जम्मू होते हुए कटरा स्थित मां वैष्णो देवी धाम तक पहुंचेगी। तय कार्यक्रम के मुताबिक निर्धारित तिथि पर यह यात्रा माता के चरणों में समापन के साथ पूर्ण होगी, जिसमें उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों के सैकड़ों भक्त शामिल होने वाले हैं।
पारस भाई गुरु जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि लगातार नाम जप, सेवा और भक्ति की भावना ही कठिनाई, ठंड और लंबी दूरी को सहज बना देती है। उन्होंने माता के भक्तों से आह्वान किया कि जो लोग शारीरिक रूप से पदयात्रा में शामिल नहीं हो पा रहे, वे भी अपने-अपने घरों और मंदिरों में मां वैष्णो देवी के नाम का कीर्तन-स्मरण कर इस आध्यात्मिक यात्रा से मन से जुड़ें।
करनाल में यात्रा के गुजरने के दौरान हाईवे और आसपास का इलाका “जय माता दी” के उद्घोष, ढोल-नगाड़ों और भजन-संगीत से सराबोर रहा। स्थानीय निवासियों ने पुष्प वर्षा, जल-पान, लंगर और विश्राम की व्यवस्था कर यात्रियों के प्रति श्रद्धा और सेवा भाव का परिचय दिया।