करनाल में आयोजित कष्ट निवारण समिति की बैठक में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें पंजाब नेशनल बैंक में 39 साल सर्विस कर चुके रामकिशन नाम के पूर्व कर्मचारी के साथ ही 35 लाख रुपये की साइबर ठगी हो गई। रामकिशन ने मंत्री और अधिकारियों के सामने कहा कि वे खुद लोगों को साइबर फ्रॉड से सावधान करते रहे, लेकिन एक ऑनलाइन विज्ञापन के झांसे में आकर उनके साथ भी धोखाधड़ी हो गई।
पीड़ित ने बताया कि उनकी दो फिक्स्ड डिपॉज़िट – एक 15 लाख और दूसरी 20 लाख रुपये की – थी, जिन पर उनकी जानकारी के बिना 10–10 लाख के दो लोन ऑनलाइन निकाल लिए गए और रकम आरटीजीएस के जरिए पांच अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दी गई। इसके अलावा उनकी हाउसिंग स्कीम (RD/Audi हाउसिंग रूम) से भी करीब 1 लाख रुपये निकल गए और कुल मिलाकर लगभग 35 लाख रुपये का वित्तीय नुकसान हो गया।
रामकिशन के अनुसार उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक की एक ऑनलाइन ऐड के माध्यम से मोबाइल से आवेदन किया था, जिसमें सिर्फ नाम, डेट ऑफ बर्थ और मोबाइल नंबर डाला था, न तो उन्हें कोई ओटीपी आया और न ही कोई कॉल, लेकिन तीसरे दिन एक मैसेज के जरिए उन्हें खाते से लोन और ट्रांजैक्शन की जानकारी लगी। उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने एफडी के बदले लोन लिया और न ही किसी को अनुमति दी, यह सब कुछ पूरी तरह ऑनलाइन प्रोसेस के जरिए किया गया।
एसपी स्तर के अधिकारी ने बैठक में बताया कि इस साइबर गैंग से जुड़े करीब 1500 के आसपास लोगों को हाल ही में अरेस्ट किया जा चुका है और एक और संदिग्ध का नाम सामने आया है, जिसे अगले 3–4 दिनों में गिरफ्तार करने की उम्मीद है। उन्होंने आश्वासन दिया कि लगभग एक महीने के भीतर इस केस की जांच को निष्कर्ष तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा और जिम्मेदार आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी।
रामकिशन ने शिकायत की कि एफआईआर दर्ज होने और 1930 पर कॉल करने के बाद जिन खातों में ठगी का पैसा होल्ड हुआ था, वहां से भी बाद में रकम निकल गई। उन्होंने बताया कि एक खाते में लगभग 94,000 रुपये और दूसरे में 27,000 रुपये होल्ड दिख रहे थे, लेकिन बाद में कोर्ट के आदेशों के आधार पर, उन खातों से भी रकम रिलीज कर दी गई क्योंकि उन्हीं खातों पर पहले से अन्य मामलों की भी शिकायतें लंबित थीं।
मंत्री ने पीड़ित की बात सुनकर कहा कि घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इतनी बड़ी ठगी का शिकार होना गंभीर चिंता का विषय है, खासकर तब जब पीड़ित खुद बैंकिंग सिस्टम और जागरूकता से जुड़ा रहा हो। उन्होंने माना कि कुछ कमी पीड़ित की ओर से भी रही होगी, क्योंकि बैंक और एसबीआई जैसे संस्थान लगातार लोगों को ऑनलाइन फ्रॉड से सावधान करते हैं, लेकिन फिर भी ऐसे लिंक या विज्ञापन पर भरोसा नहीं करना चाहिए था।
मंत्री ने एसपी और पुलिस टीम से कहा कि इस केस को पेंडिंग रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर जल्द सुलझाया जाए और जहां तक संभव हो, रिकवरी की भी पूरी कोशिश की जाए। एसपी ने दोहराया कि तीन अन्य कंप्लेंट भी उसी संदिग्ध पर लंबित हैं और सभी मामलों को जोड़कर कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि साइबर गैंग पर मजबूत केस बन सके।
बैठक के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि साइबर फ्रॉड के मामलों में भले ही पैसा अस्थायी रूप से होल्ड हो जाए, लेकिन यदि उन खातों से संबंधित अन्य अदालतों के आदेश या पुराने मामले हों तो कोर्ट के निर्देश पर वह रकम रिलीज भी हो सकती है, जिससे रिकवरी प्रक्रिया और जटिल हो जाती है। अंत में मंत्री ने सभी उपस्थित लोगों से अपील की कि वे किसी भी ऑनलाइन विज्ञापन, लिंक या स्कीम पर बिना जांच–परख के भरोसा न करें और संदिग्ध स्थिति में तुरंत बैंक और अधिकृत हेल्पलाइन पर ही संपर्क करें।