रामनगर बिजली बोर्ड के SDO सर्वेश दहिया को सस्पेंड किए जाने से विभागीय कर्मचारियों और स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिली, जिसके चलते सभी ने मिलकर 1 घंटे का वर्क सस्पेंड कर विरोध जताया। कर्मचारियों का आरोप है कि बिना ठोस कारण बताए सिर्फ इतना कहकर सस्पेंशन ऑर्डर थमा दिए गए कि उनका व्यवहार ठीक नहीं है, जबकि क्षेत्र में उनकी पहचान मृदुभाषी और सहयोगी अधिकारी के रूप में रही है।
बिजली बोर्ड दफ्तर के बाहर जुटे कर्मचारी, सरपंच और आम लोग हाथों में लेटरपैड व ज्ञापन लेकर बैठे नजर आए और प्रबंधन के फैसले पर सवाल उठाए। कर्मचारियों ने कहा कि शाम को सूचना मिली कि सर्वेश दहिया को सस्पेंड कर दिया गया है और कारण के तौर पर सिर्फ व्यवहार को आधार बनाया गया, जिसे वे तानाशाही जैसा कदम मान रहे हैं।
कर्मचारियों ने SDO सर्वेश दहिया को बेहद ईमानदार, मिलनसार और जनता–कर्मचारी दोनों के प्रति संवेदनशील अधिकारी बताते हुए कहा कि ऐसा अफसर पूरे करियर में गिने-चुने ही देखने को मिलता है। उनका कहना था कि यदि कोई गरीब उपभोक्ता बिल में कुछ पैसे कम लेकर आता था तो SDO खुद कहकर कर्मचारी से रकम एडजस्ट करवा देते थे और किसी जरूरतमंद का काम अधूरा नहीं छोड़ते थे।
एक कर्मचारी ने बताया कि सर्वेश दहिया त्योहारों और महत्वपूर्ण मौकों पर सभी कर्मचारियों को बैठाकर न सिर्फ सुरक्षा और काम के प्रति जागरूकता की बात करते थे, बल्कि यह भी समझाते थे कि विभाग को बढ़िया तरीके से चलाना और जनता की सेवा करना सबसे बड़ा लक्ष्य है। कर्मचारियों के अनुसार वे रात को भी जरूरी शिकायत पर खुद मौके पर जाने को तैयार रहते थे और स्टाफ को भाईचारे से काम करने के लिए प्रेरित करते थे।
ग्रामीण प्रतिनिधि, जिनमें सरपंच और अन्य लोग भी शामिल थे, ने भी SDO के पक्ष में खुलकर बयान देते हुए कहा कि उन्होंने कभी उन्हें ऊंची आवाज में बोलते या अभद्र व्यवहार करते नहीं देखा। उनका कहना था कि सर्वेश दहिया पढ़े-लिखे, समझदार और जनता के बीच लोकप्रिय अधिकारी हैं, जिन्हें अचानक सस्पेंड कर देना न सिर्फ विभाग, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए नुकसानदायक फैसला है।
एक वक्ता ने बताया कि सर्वेश दहिया ने रामनगर सब-डिवीजन में रहते हुए 30–40 के करीब बड़े ट्रांसफार्मर लगाए और 100–200 के आसपास अन्य कार्य करवाए, जिससे बिजली आपूर्ति और ढांचा मजबूत हुआ। उन्होंने कहा कि SDO स्वयं गाड़ी लेकर साइट पर जाते थे, किसी पर आंख मूंदकर भरोसा करने की बजाय खुद मौके पर खड़े होकर काम करवाते थे, ताकि उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा मिल सके।
कर्मचारी संगठनों – सर्व कर्मचारी संघ, सर्व कर्मचारी महासंघ और अन्य यूनिटों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से सस्पेंशन का विरोध करते हुए बोर्ड मैनेजमेंट से जांच की मांग की। उनका कहना था कि यदि कोई शिकायत या आरोप है तो पहले निष्पक्ष इन्वेस्टिगेशन की जाए, SDO का पक्ष सुना जाए और उसके बाद ही कोई कार्रवाई हो, न कि सीधे सस्पेंड कर दिया जाए।
कर्मचारियों ने साफ कहा कि उन्हें अब तक SDO की कोई गलती नजर नहीं आई, इसलिए वे इस आदेश को अन्यायपूर्ण मानते हैं और चाहते हैं कि सर्वेश दहिया को जल्द से जल्द बहाल कर दोबारा रामनगर सब-डिवीजन में ही नियुक्त किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह तकनीकी काम वाला क्षेत्र है, जहां स्थानीय परिस्थितियों से परिचित अधिकारी का हटना आम जनता और सिस्टम दोनों के लिए नुकसानदायक है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान कई कर्मचारियों ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आंदोलन को आगे बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा, हालांकि फिलहाल प्रतीकात्मक रूप से 1 घंटे का वर्क सस्पेंड रखा गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बोर्ड प्रबंधन कर्मचारियों, आमजन और जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को समझते हुए SDO सर्वेश दहिया के निलंबन आदेश पर पुनर्विचार करेगा।