WhatsApp, Telegram, Signal सहित सभी मैसेजिंग ऐप्स के लिए केंद्र सरकार सिम बाइंडिंग नाम का नया सुरक्षा सिस्टम लागू करने जा रही है, जिसके बाद बिना सिम के किसी भी पुराने नंबर पर बना अकाउंट नहीं चल पाएगा। अभी तक लोग पुराने नंबर की सिम निकाल देने के बाद भी उसी नंबर पर बना WhatsApp या Telegram लंबे समय तक चलाते रहते थे, लेकिन नया सिस्टम यह सुविधा पूरी तरह खत्म कर देगा।
मोबाइल शोरूम में बातचीत के दौरान विशेषज्ञ नवीन जी ने बताया कि पहले WhatsApp को एक ओटीपी के जरिये लॉगिन करके एक साथ पांच डिवाइस जैसे लैपटॉप, टैब, iPad आदि में लिंक किया जा सकता था। अब फरवरी 2026 से बदलाव के बाद WhatsApp उसी सिम से बाइंड रहेगा, जो नंबर अकाउंट पर रजिस्टर्ड है, और जैसे ही वह सिम मोबाइल से निकाली जाएगी, WhatsApp तुरंत लॉग आउट हो जाएगा।
नए प्रावधान के तहत WhatsApp Web, Telegram Web या अन्य मैसेजिंग ऐप्स के वेब वर्जन को लैपटॉप या पीसी पर अनलिमिटेड समय तक लॉगिन करके नहीं रखा जा सकेगा। इन वेब सेशंस को हर 6 घंटे बाद ऑटो लॉग आउट कर दिया जाएगा और यूजर को दोबारा स्कैन करके फिर से लॉगिन करना होगा, ताकि किसी के सिस्टम पर ऐप्स हमेशा खुले न रहें।
सरकार ने सभी मैसेजिंग ऐप कंपनियों को सिम बाइंडिंग सिस्टम लागू करने के लिए 3 महीने यानी लगभग 90 दिनों का समय दिया है। यह नियम अगले साल फरवरी 2026 से लागू होगा और उसके बाद सभी ऐप्स को अपने सिस्टम को इस सुरक्षा मानक के मुताबिक अपडेट करना अनिवार्य होगा।
नवीन जी के अनुसार यह बदलाव मुख्य रूप से साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी पर लगाम लगाने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि अभी तक स्कैमर्स नकली लिंक भेजकर या ओटीपी के बहाने पूरे सिस्टम को हैक कर लेते थे। कई मामले सामने आए हैं, जहां EMI बाउंस के नाम पर बैंक या फाइनेंस कंपनी बनकर लिंक भेजा गया और कस्टमर के क्लिक करते ही उसकी बैंकिंग डिटेल और अकाउंट हैकरों के कब्जे में चले गए।
नई व्यवस्था में WhatsApp या अन्य मैसेजिंग ऐप किसी और के हाथ में सिर्फ ओटीपी से स्थायी रूप से नहीं जा सकेंगे, क्योंकि ऐप तभी चलेगा जब रजिस्टर्ड नंबर की सिम उसी फोन में लगी होगी। इससे खास तौर पर उन लोगों को राहत मिलेगी, जिनकी सिम भारत में रहती है और वे विदेश में रहकर सिर्फ इंटरनेट के जरिए WhatsApp चलाते हैं, क्योंकि अब यहां रह रही सिम का गलत उपयोग आसानी से नहीं हो सकेगा।
एंकर के मुताबिक अब यूजर को ये समझना होगा कि जिस नंबर से WhatsApp, Telegram या Signal अकाउंट बनाया गया है, वही सिम एक्टिव और फोन में होना अनिवार्य होगा। यदि सिम खराब, बंद या किसी और फोन में शिफ्ट की गई तो जिस फोन में पहले ऐप चल रहा था, वहां से वह पूरी तरह लॉग आउट हो जाएगा और दोबारा तभी चलेगा जब सिम उसी डिवाइस में डाली जाएगी।
नए सिस्टम के कारण WhatsApp Web या Telegram Web हमेशा के लिए ऑफिस पीसी या किसी और सिस्टम पर लॉगिन करके रखने की पुरानी आदत पर भी असर पड़ेगा। अब हर 6 घंटे बाद ऑटो लॉग आउट होने से यूजर को समय-समय पर खुद दोबारा लॉगिन करना पड़ेगा, जिससे अनअटेंडेड सिस्टम पर खुले खातों से होने वाली हैकिंग की संभावनाएं कम होंगी।
मोबाइल शोरूम विशेषज्ञ ने बताया कि जैसे बैंक की ऐप्स और Google Pay पहले से ही सिम आधारित वेरिफिकेशन पर चलती हैं और सिम निकालते ही लॉग आउट हो जाती हैं, ठीक वैसा ही मॉडल अब मैसेजिंग ऐप्स पर भी लागू होगा। सरकार डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाते हुए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने पर जोर दे रही है, क्योंकि साइबर फ्रॉड के मामले बड़े अधिकारियों तक के साथ सामने आ रहे हैं।
बदलाव से कुछ दिक्कतें भी सामने आ सकती हैं, जैसे जिनका सिम खराब होने के बाद भी उसी नंबर से WhatsApp चल रहा है, उन्हें जल्द से जल्द सिम अपडेट करवानी पड़ेगी। इसके अलावा जिनका काम ऑर्डर लेने पर आधारित है और जो अपने डेस्कटॉप या सिस्टम में WhatsApp Web को हमेशा लॉगिन रखकर काम करते थे, उन्हें हर 6 घंटे बाद दोबारा लॉगिन करना होगा, जिससे वर्कफ्लो में हल्की दिक्कत आ सकती है।
कई पेरेंट्स जो बच्चों का WhatsApp अपने सिस्टम पर लॉगिन करके उनकी एक्टिविटी पर नजर रखते थे, उन्हें भी इस ऑटो लॉग आउट सिस्टम के कारण बार-बार रीलॉगिन करना पड़ेगा। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि थोड़ी असुविधा के बदले लाखों–करोड़ों रुपये के संभावित साइबर फ्रॉड से बचाव कहीं अधिक अहम है और यह कदम लंबे समय में यूजर्स के लिए फायदेमंद साबित होगा।