करनाल जिला सचिवालय के सामने पिछले लगभग दो महीनों से डटे PGI रोहतक के सुगम स्वच्छता व अन्य संविदा कर्मचारी अब 8 दिसंबर को CM हाउस चंडीगढ़ कूच करने की तैयारी में हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे कुल 1271 हैं और बीते लगभग छह–सात महीनों से लगातार अपनी एक ही मुख्य माँग—एचकेआरएन (HKRN) पॉलिसी में शामिल किए जाने—को लेकर धरना, हड़ताल और प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया।
कर्मचारियों ने बताया कि चार महीने तक वे रोहतक PGI में धरने पर बैठे रहे, इसके बाद 26 सितंबर को चंडीगढ़ की ओर पैदल यात्रा शुरू की, लेकिन 29 सितंबर को करनाल प्रशासन ने उन्हें जाट धर्मशाला में रोककर आश्वासन दिया कि एक सप्ताह में काम करवा दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि CM नायब सैनी व प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात और लिखित आश्वासन के बावजूद अभी तक उनकी किसी मांग पर अमल नहीं हुआ, बल्कि उन्हें “बार-बार गुमराह” किया जा रहा है।
एक प्रतिनिधि ने बताया कि जनवरी 2025 में भी उन्होंने HKRN को लेकर हड़ताल की थी, जिसमें PGI प्रशासन ने आठ लिखित मांगें मानी थीं और हड़ताल 20 जनवरी को खत्म हुई, लेकिन उन मांगों में से “एक भी पूरी नहीं हुई”। इसके बाद 2 जून 2025 को दोबारा हड़ताल शुरू की गई और चार महीने रोहतक में धरना देने के बाद वे शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद से चंडीगढ़ के लिए निकले, पर करनाल में रोके जाने के बाद भी उनका काम अटका हुआ है।
कर्मचारियों का कहना है कि वे सरकार से कोई नई पॉलिसी नहीं, बल्कि 2021 में जारी की गई HKRN पॉलिसी ही अपने लिए लागू करवाना चाहते हैं, जो उनके अनुसार PGI की कुछ अन्य कैटेगरी (जैसे सिक्योरिटी, स्वीपर, फार्मासिस्ट) पर लागू हो चुकी है। उनका आरोप है कि PGI में वर्तमान में AP Security Service नामक एक ही ठेकेदार के माध्यम से टेंडर चल रहा है और बाकी कर्मचारियों को HKRN में शामिल करने में “जानबूझकर देरी और भेदभाव” किया जा रहा है।
महिला कर्मचारियों ने भावुक होकर कहा कि वे पढ़ी-लिखी होने के बावजूद सड़कों पर धरने पर बैठने को मजबूर हैं, अपने छोटे बच्चों और घर-परिवार से दूर रहकर ठंड में दिन–रात धरने पर हैं, लेकिन फिर भी सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। उन्होंने सवाल उठाया कि बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ के नारे देने वाली सरकार को क्या सड़कों पर बैठी ये बेटियाँ, बहनें और माताएँ दिखाई नहीं देतीं, और माँग की कि या तो सभी को समान रूप से HKRN में शामिल किया जाए, नहीं तो जिनको दिया है, उनसे भी यह सुविधा वापस ले ली जाए, ताकि सबके साथ समान व्यवहार हो।
कर्मचारियों ने प्रशासन और सरकार पर आरोप लगाया कि अधिकारी बार–बार फाइलों या लिस्टों में “गड़बड़ी” का बहाना बनाकर काम टाल रहे हैं और स्पष्ट रूप से यह नहीं बता रहे कि HKRN में शामिल किया जाएगा या नहीं। उन्होंने कहा कि अब वे केवल एक हफ्ते का समय और देंगे; अगर 8 दिसंबर तक उन्हें बुलाकर साफ–साफ यह न बताया गया कि उनका काम होगा या नहीं, तो वे किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेंगे और लाठीचार्ज या गिरफ्तारी की परवाह किए बिना चंडीगढ़ के लिए पैदल कूच करेंगे।
एक कर्मचारी नेता ने कहा कि ये सब “गरीब मज़दूर परिवारों” से हैं, कोई टाटा–बिड़ला का बेटा नहीं, इसलिए सरकार का ‘गरीब को साथ लेकर चलने’ वाला वादा यहाँ लागू होता नहीं दिख रहा। उन्होंने जनता से भी हाथ जोड़कर अपील की कि वे उनके संघर्ष में नैतिक समर्थन दें और सरकार से आग्रह करें कि PGI रोहतक के सभी 1271 कर्मचारियों को HKRN पॉलिसी के तहत समान अधिकार दिए जाएँ।
धरने पर बैठे कर्मचारियों ने नारे लगाकर अपनी एकजुटता दिखाई और कहा कि अब उनकी लड़ाई “आर-पार” की होगी—या तो HKRN में शामिल किया जाए या फिर पॉलिसी ही सबके लिए बंद कर दी जाए। महिला प्रतिनिधि अनीता ने स्पष्ट कहा कि अगर 8 दिसंबर तक काम नहीं हुआ तो “लेडीज़ सबसे आगे होंगी” और वे घर–बार छोड़ चुके हैं, अब पीछे मुड़कर नहीं देखेंगी।