करनाल के नेशनल हाईवे के नजदीक स्थित बीजेपी दफ्तर के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाथों में पौधे लेकर अनोखा विरोध दर्ज करवाया और उसी ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में पौधारोपण किया, जहाँ से 40 पेड़ काटे जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि बीजेपी ने अपने कार्यालय के लिए ग्रीन बेल्ट से “नाजायज रास्ता” निकालते हुए दर्जनों हरे-भरे पेड़ों की “हत्या” की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है।
कांग्रेस के जिला व ग्रामीण अध्यक्षों सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पौधे लगाते और उन्हें पानी देते नजर आए, जबकि ठीक सामने करण कमल स्थित बीजेपी कार्यालय दिख रहा था। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पहले यह इलाका घने पेड़ों और हरियाली से भरा हुआ “जंगल जैसा” था, लेकिन अब वहां सड़क बना दी गई है और हरे पेड़ काट दिए गए हैं, जो पर्यावरण के लिए गंभीर नुकसान है।
एक कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि “एक पेड़ काटना मानो एक हत्या के बराबर” है, तो 40 पेड़ काटने पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक से सवाल किया कि एयर क्वालिटी इंडेक्स, प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण की बात करने वाली सरकार खुद ही ग्रीन बेल्ट उजाड़ कर अपने दफ्तर के लिए रास्ता कैसे बना सकती है।
नेताओं ने प्रधानमंत्री द्वारा “एक पेड़ मां के नाम लगाने” की अपील का जिक्र करते हुए कहा कि एक ओर मंचों से पेड़ लगाने की बातें होती हैं, दूसरी ओर करनाल जैसे शांत, हरे-भरे शहर में 40 पेड़ काट दिए गए, जो “कथनी–करनी में बड़ा विरोधाभास” दिखाता है। सिरसा में मंत्री अनिल विज द्वारा “एक पेड़ काटने पर उम्र कैद जैसी सजा” की बात का संदर्भ देते हुए कांग्रेस ने तंज कसा कि फिर 40 पेड़ काटने वालों के लिए क्या सजा तय होगी।
ग्रामीण जिला अध्यक्ष ने कहा कि NHAI के नियमों के अनुसार ग्रीन बेल्ट से रास्ता निकालना अवैध है और किसी भी नेशनल हाईवे से सीधे इस तरह की एंट्री नहीं दी जा सकती, इसके बावजूद यहां सड़क बना दी गई। उन्होंने रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर का धन्यवाद किया, जिन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाकर मुद्दा उठाया, और भरोसा जताया कि सुप्रीम कोर्ट इस रास्ते को बंद करवा कर पुनः यहां हराभरा जंगल बनवाएगा।
कांग्रेस नेताओं ने करनाल के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में गिरावट और बच्चों व बुजुर्गों में सांस संबंधी दिक्कतों का जिक्र कर लोगों से अपील की कि यह लड़ाई किसी एक पार्टी की नहीं, बल्कि पूरे शहर के पर्यावरण और अधिकारों की है। उन्होंने “चिपको आंदोलन” की तर्ज पर नागरिकों से पेड़ बचाने और पेड़ लगाने की मुहिम में आगे आने की बात कही, ताकि अगली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण मिल सके।
प्रदर्शन के दौरान नेताओं ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता लगभग 100 पौधे लेकर आए, जिनमें से 40 पौधे प्रतीकात्मक रूप से उन 40 कटे पेड़ों की जगह लगाए गए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कानूनन यह रास्ता बंद नहीं किया गया तो जनता और कांग्रेस कार्यकर्ता भी इसे उखाड़कर ग्रीन बेल्ट बहाल करने के लिए आंदोलन तेज करेंगे, हालांकि फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और उसी पर भरोसा जताया गया है।
कार्यक्रम में मौजूद नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने “नियम–कानून ताक पर रखकर” रातों-रात पेड़ काटे और रास्ता बना लिया, जबकि आम नागरिक के एक पेड़ काटने पर भी कड़ी कानूनी सजा और बिना जमानत की धाराएँ लग जाती हैं। उनका कहना था कि जो लोग प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते, वे आम जनता की सुरक्षा–भलाई की रक्षा कैसे कर पाएंगे, इसलिए पर्यावरण से जुड़े ऐसे मामलों में किसी भी स्तर पर नरमी नहीं बरती जानी चाहिए।
कांग्रेस कार्यकर्ता नारे और संदेशों के माध्यम से “पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ” का संदेश देते हुए लोगों को जागरूक करते दिखे और दोहराया कि यह आंदोलन राजनीति से ऊपर उठकर शहर और वातावरण की सुरक्षा के लिए है। कार्यक्रम के अंत में नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि दोषी अधिकारियों और निर्णय लेने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए और करनाल की ग्रीन बेल्ट को फिर से बहाल करने की दिशा में ठोस आदेश दिए जाएं।