करनाल के सेक्टर-7 में SHM क्लासेस द्वारा खुले में लगाई गई विशेष केमिस्ट्री प्रैक्टिकल सेशन में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए, जहाँ उन्हें किताबों में पढ़े कॉन्सेप्ट्स को लाइव एक्सपेरिमेंट्स के ज़रिए practically समझाया गया। क्लासरूम से बाहर बनाए गए इस “ओपन साइंस लैब” में बच्चों ने खुद के हाथों पर केमिकल रिएक्शन से तैयार ब्लड-रेड कलर देख कर न केवल एक्साइटमेंट महसूस किया, बल्कि केमिस्ट्री के कठिन लगने वाले टॉपिक्स को भी आसानी से याद रखने की बात कही।
SHM क्लासेस के केमिस्ट्री फैकल्टी आलोक सर ने बताया कि KMnO4 एक ऑक्सीडाइजिंग एजेंट है, जिसमें सल्फ्यूरिक एसिड मिलाने पर अत्यंत अनस्टेबल कंपाउंड Mn2O7 बनता है, जो IIT और NEET एग्जाम्स में बार-बार पूछे गए प्रश्नों में शामिल है। एक अन्य डेमो में पोटेशियम साइनेट में FeCl3 मिलाने पर ब्लड-रेड कलर दिखाई दिया, जिसे वही रिएक्शन बताया गया जो कई बार फिल्मों और सीरियल्स में नकली खून तैयार करने के लिए उपयोग की जाती है, ताकि बच्चों को रिएक्शन, कलर और कंपाउंड का नाम व फार्मूला लंबे समय तक याद रहे।
आलोक सर ने कहा कि सिर्फ थ्योरी पढ़ाने से कई बार स्टूडेंट्स को रिएक्शन सीक्वेंस और कलर याद नहीं रहता, जबकि प्रैक्टिकल देखकर वे उसे लाइफटाइम नहीं भूलते। छात्रों ने भी माना कि क्लास में कभी-कभी नींद या डिस्ट्रैक्शन हो जाता है, लेकिन ऐसे लाइव एक्सपेरिमेंट्स में एक्साइटमेंट और क्यूरियोसिटी इतनी होती है कि कॉन्सेप्ट खुद-ब-खुद दिमाग में बैठ जाता है और एग्जाम में वह सवाल गलत नहीं होता।
एसएचएम के स्टूडेंट्स पुष्पराज, समीर रावल, खुशबू और सहजप्रीत ने बताया कि यहां उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज के साथ-साथ टीचर्स से लगातार पर्सनल अटेंशन मिलती है, जिससे पढ़ाई स्ट्रेस-फ्री और मजेदार लगने लगी है। स्टूडेंट्स ने कहा कि जब वे 10th से 11th में आए तो उन्हें लगा था कि लाइफ मुश्किल होगी, लेकिन SHM की फैकल्टी ने लो फेज़ में भी उनका साथ दिया और अब IIT-NEET जैसे कठिन एग्जाम की तैयारी भी कॉन्फिडेंस के साथ हो रही है, क्योंकि हर क्वेश्चन पर उन्हें समझाया जाता है कि गलती कहाँ हुई और दोबारा कैसे न हो।
एक छात्रा ने बताया कि वह पानीपत से पढ़ने आती है और SHM की ओर से कैब सुविधा उपलब्ध है, जो उसे घर से लेकर सेंटर तक और वापस घर छोड़ती है, साथ ही टाइमली शेड्यूल, सेल्फ-स्टडी टाइम और रेगुलर डाउट सेशंस से तैयारी व्यवस्थित रहती है। सहजप्रीत ने कहा कि वह पिछले दो साल से यहां NEET की तैयारी कर रहा है और इतने भारी सिलेबस के बावजूद उसे पढ़ाई में मज़ा आता है, जो पहले केमिस्ट्री जैसे सब्जेक्ट में मुश्किल लगा करता था।
संस्था के रविकांत सर ने जानकारी दी कि SHM क्लासेस जल्द ही “स्कॉलर हंट मिशन” नाम से स्कॉलरशिप टेस्ट आयोजित कर रही है, जिसमें 8वीं, 9वीं और 10वीं कक्षा में पढ़ रहे स्टूडेंट्स हिस्सा ले सकते हैं। यह टेस्ट आगामी रविवार को सुबह 11 बजे से 12 बजे तक SHM क्लासेस सेंटर पर होगा, जिसके लिए विद्यार्थी इंस्टिट्यूट के नंबर पर कॉल कर या फॉर्म भरकर पहले से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं और परफॉर्मेंस के आधार पर 100% तक स्कॉलरशिप जीतने का मौका पा सकते हैं।
रविकांत सर ने कहा कि SHM की टैगलाइन ही “पर्सनल अटेंशन” है और स्कॉलरशिप एग्जाम के दिन से ही स्टूडेंट्स यहां का अलग माहौल महसूस करने लगेंगे, जहाँ हर सब्जेक्ट पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि एक घंटे के एग्जाम के बाद बच्चों को कॅरियर काउंसलिंग भी दी जाएगी और लगभग एक हफ्ते के भीतर रिजल्ट घोषित कर योग्य छात्रों को स्कॉलरशिप ऑफर की जाएगी, साथ ही टेस्ट देने आने वाले हर बच्चे को घर ले जाने के लिए एक सरप्राइज़ गिफ्ट भी दिया जाएगा।
अमन सर ने बताया कि SHM क्लासेस को बेहतर बनाने में सबसे बड़ा योगदान करनाल के पेरेंट्स और मेहनती स्टूडेंट्स का है, जिन्होंने संस्थान पर भरोसा दिखाया। उन्होंने कहा कि यहां सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि मोरल वैल्यूज़ पर भी काम किया जाता है, ताकि बच्चा भविष्य में कमाए हुए पैसे और सफलता का सही इस्तेमाल करे, माता-पिता के साथ बॉन्डिंग मजबूत रखे और मोबाइल जैसी चीज़ों से दूरी बनाकर टाइम टेबल के अनुसार रोजाना पेरेंट्स के साथ आधा घंटा वॉक या टाइम स्पेंड करे।
अमन सर ने यह भी बताया कि सेंटर में सख्त नियम है कि किसी स्टूडेंट को क्लास में मोबाइल फोन की अनुमति नहीं है, जिससे फोकस और डिसिप्लिन बनाए रखने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि बैच साइज के मुकाबले SHM के रिजल्ट्स करनाल के बेस्ट रिजल्ट्स में गिने जा रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने पेरेंट्स के भरोसे और बच्चों की मेहनत के लिए धन्यवाद जताया।
रविकांत सर ने अंत में पेरेंट्स से अपील की कि जैसे ब्राज़ील में बच्चे फुटबॉलर और भारत में बच्चे क्रिकेटर बनने का सपना देखते हैं, वैसे ही अगर बच्चे को IIT या NEET जैसे कठिन एग्जाम क्लियर करने का माहौल चाहिए तो SHM जैसा परफेक्ट एनवायरनमेंट ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि जो स्टूडेंट पूरे साल मेहनत करें और फीस का बोझ कम करना चाहते हों, उनके लिए यह स्कॉलर हंट मिशन टेस्ट एक बड़ा मौका है, जहाँ मेहनत स्टूडेंट की होगी और खर्चा अधिकतर SHM क्लासेस का, बशर्ते वे मेरिट से क्वालिफाई कर जाएँ।