December 5, 2025
26 Nov 4
  • करनाल धान घोटाले में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के 5 इंस्पेक्टर सस्पेंड।​
  • फर्जी गेट पास के जरिए बकानपुर राइस मिल में धान की भारी कमी उजागर।​
  • एफआईआर के 25 दिन बाद हुई सस्पेंशन पर देरी और ढिलाई पर सवाल।​
  • आगे गिरफ्तारी और सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग तेज, बड़े अधिकारियों पर भी गाज गिराने की आवाज।

हरियाणा के करनाल में करोड़ों रुपए के धान घोटाले के मामले में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के पांच इंस्पेक्टरों को विभागीय कार्रवाई के तहत सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि फर्जी गेट पास के जरिए राइस मिल में धान की आपूर्ति में गड़बड़ी कर सरकारी धान में भारी कमी पाई गई, जिसके बाद एफआईआर दर्ज होने के करीब 25 दिन बाद अब विभाग ने यह कार्रवाई की है।​

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के डीएफएससी अनिल कुमार ने बताया कि करनाल की बकानपुर राइस मिल में बीवी के दौरान धान की जांच में भारी शॉर्टेज सामने आई, जिसके आधार पर संबंधित मंडियों के चार इंस्पेक्टरों के खिलाफ पहले एफआईआर दर्ज करवाई गई और अब उन्हें निलंबित किया गया है। इनके अलावा तरावड़ी केंद्र से जुड़े एक सब इंस्पेक्टर को बिना अनुमति मिलर्स को फड़ पर धान सुखाने की अनधिकृत परमिशन देने के आरोप में सस्पेंड किया गया है।​

डीएफएससी के अनुसार सस्पेंड किए गए अधिकारियों में करनाल मंडी के इंस्पेक्टर समीर वशिष्ठ, निसिंग मंडी के लोकेश, जंडला के संदीप शर्मा और घरौंडा मंडी के इंचार्ज यशवंत सिंह शामिल हैं, जिनके केंद्रों से धान बकानपुर मिल में पहुंचा था। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि किस मंडी से संबंधित धान में कितनी कमी है, इसलिए फिलहाल चारों के खिलाफ एफआईआर और सस्पेंशन की संयुक्त कार्रवाई की गई है।​

सस्पेंशन में 25 दिन की देरी पर सवालों के जवाब में डीएफएससी ने कहा कि निलंबन का अधिकार मुख्यालय के पास है और संभवतः पुलिस जांच व सभी केंद्रों से जुड़े तथ्यों को देखते हुए निर्णय में समय लगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोर्ट में पहली प्रेजेंट पीवी के समय जो कमी पाई गई, वही मामले का आधार मानी जाएगी और बाद में अगर किसी ने धान की भरपाई करने की कोशिश की है तो उसे मान्य नहीं किया जाएगा।​

डीएफएससी अनिल कुमार ने यह भी बताया कि जिन पांचों इंस्पेक्टरों को निलंबित किया गया है, वे पहले कभी सस्पेंड नहीं हुए थे और इंस्पेक्टर का काम स्वभाविक रूप से फील्ड से जुड़ा होता है, इसलिए उन्हें दफ्तर में रखने के बजाय मंडियों की जिम्मेदारी दी जाती है। उन्होंने कहा कि अगर आगे की जांच में इनका कसूर साबित होता है तो इनके खिलाफ और कड़ी कानूनी कार्रवाई, जैसे गिरफ्तारी या सेवा समाप्ति, भी संभव है।​

करनाल में फर्जी गेट पास और धान घोटाले के इस मामले में पहले ही कई मंडी अधिकारी, हैफेड अधिकारी, राइस मिलर्स और प्राइवेट दलालों पर कार्रवाई हो चुकी है, कुछ को सस्पेंड और कुछ को गिरफ्तार किया गया है। करनाल के एसपी गंगाराम पुनिया की टीम ने पहली बार इस प्रकार के मामलों में राइस मिलर्स और कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार कर सख्ती का संकेत दिया है, लेकिन अभी भी बड़े अधिकारियों और सेक्रेटरी स्तर के लोगों पर गाज गिरने की मांग उठ रही है।​

जब आम आदमी किसी अपराध में फंसता है तो तुरंत एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी कर ली जाती है, जबकि सरकारी अधिकारियों के मामलों में अक्सर लंबा समय देकर उन्हें कमी पूरी करने और मामले से बच निकलने का मौका मिल जाता है। पत्रकार ने 19 साल के अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि हर सीजन में घोटाले सामने आते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में खानापूर्ति के तौर पर सस्पेंशन और औपचारिक कार्रवाई से आगे बात नहीं बढ़ती।​

करनाल में सामने आए इस करोड़ों रुपए के धान घोटाले ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों बड़े अधिकारियों और जिम्मेदार सेक्रेटरी स्तर के लोगों पर तुरंत और कठोर कार्रवाई नहीं होती, जबकि सरकारी धान में भारी गड़बड़ी के बावजूद कई बार मामलों को समय देकर गोलमोल कर दिया जाता है। वीडियो के माध्यम से जनता से अपील की गई कि वे इस मुद्दे को ज्यादा से ज्यादा साझा करें ताकि धान घोटाले से जुड़े सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ पारदर्शी और कड़ी कार्रवाई हो सके।

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