करनाल: हजरत बू अली शाह कलंदर रहमतुल्लाह अलैह की याद में करनाल शहर में 22वां सालाना उर्स बड़े धूमधाम और आध्यात्मिक उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उर्स मुबारक के उपलक्ष्य में शहर के चांद सराय/चांदराय क्षेत्र से एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसे करनाल के विधायक जगमोहन आनंद और मेयर रेनू बाला गुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
MLA और Mayor ने दिखाई हरी झंडी, निकली भव्य शोभायात्रा
वीडियो में दिखाया गया कि मंच से हरी झंडी दिखाते ही शोभायात्रा की शुरुआत हुई और “जय गुरु महाराज की”, “सांचे दरबार की जय” और “वाहेगुरु जी की फतेह” जैसे जयकारों के बीच श्रद्धालु झूम उठे। विधायक जगमोहन आनंद, मेयर रेनू बाला गुप्ता और दरगाह से जुड़े संत–महापुरुष मंच पर मौजूद रहे और उर्स मुबारक की बधाई देते हुए शोभायात्रा को रवाना किया।
राम मंदिर से ऑपरेशन सिंदूर तक, कई झांकियों ने खींचा ध्यान
शोभायात्रा में कई आकर्षक धार्मिक व सामाजिक झांकियां शामिल थीं। इन झांकियों में भगवान राम से जुड़ी झांकी, “ऑपरेशन सिंदूर” की झांकी, भारत माता की झांकी, कन्या बचाओ का संदेश देती झांकी और अन्य कई धार्मिक–सांस्कृतिक प्रतीक शामिल थे, जो शहर भर में सर्वधर्म समभाव और सामाजिक जागरूकता का संदेश दे रहे थे।
“गंगा–जमुनी तहज़ीब का गुलदस्ता” – संतों का संदेश
दरगाह से जुड़े संत–महापुरुषों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हजरत बू अली शाह कलंदर की दरगाह शुरू से ही गंगा–जमुनी तहज़ीब और सर्वधर्म एकता की प्रतीक रही है। एक संत ने गुरु नानक देव जी की पंक्तियाँ “अवल अल्लाह नूर उपाया, कुਦरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपज्या, कौन भले को मंदे” का हवाला देते हुए कहा कि ईश्वर/अल्लाह/वाहेगुरु एक ही हैं, रास्ते अलग–अलग हो सकते हैं, पर मंज़िल एक ही है। उन्होंने कहा कि जैसे एक गुलदस्ते में गेंदा, गुलाब, मोगरा जैसे अलग–अलग फूल मिलकर सुंदरता बढ़ाते हैं, वैसे ही अलग–अलग धर्म और जातियों के लोग मिल–जुलकर इस देश की खूबसूरती और ताकत बढ़ाते हैं।
“धर्म जोड़ता है, बांटता नहीं” – जनप्रतिनिधियों का संदेश
MLA जगमोहन आनंद ने कहा कि उर्स मुबारक का यह पर्व करनाल की उस मिट्टी की पहचान है जो दानवीर राजा कर्ण की धरती के रूप में जानी जाती है और जहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा कि शोभायात्रा में शामिल रामलला की झांकी, भारत माता की झांकी, ऑपरेशन सिंदूर और कन्या बचाओ जैसे सामाजिक संदेश इस बात के प्रतीक हैं कि धर्म हमें जोड़ता है, बांटता नहीं।
मेयर रेनू बाला गुप्ता ने कहा कि बाबा बू अली शाह कलंदर का उर्स हर साल सभी धर्मों के लोगों को एक मंच पर लाता है और यह संदेश देता है कि समाज में शांति, सद्भाव और भाईचारा बनाए रखना ही सच्चा धर्म है। उन्होंने इसे शहर के लिए “एकता और शांति का प्रतीक कार्यक्रम” बताया और कहा कि वे स्वयं हर वर्ष श्रद्धा के साथ इस उर्स में शामिल होती हैं।
सर्वधर्म समभाव और सामाजिक समरसता का जिता–जागता उदाहरण
दरगाह के गद्दीनशीन बाबा रामकरण जी ने बताया कि 22 वर्षों से करनाल में यह उर्स लगातार मनाया जा रहा है और हर बार सभी धर्मों – हिंदू, सिख, मुस्लिम, अन्य – के लोग मिलकर इसे मनाते हैं। उन्होंने कहा कि मानस की कोई जात नहीं होती, “मानव की जात एक है” और यही संदेश बू अली शाह कलंदर, गुरु नानक देव जी और अन्य महापुरुषों ने दिया है।
उन्होंने कहा कि आज जब कुछ तत्व समाज में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं, ऐसे समय में उर्स जैसे आयोजन समाज को फिर से याद दिलाते हैं कि भारत की असली पहचान उसकी मिली–जुली संस्कृति, भाईचारा और सर्वधर्म समभाव है।
शहर के माहौल में भाईचारे का रंग
शोभायात्रा के दौरान पूरे मार्ग पर शहरवासी बड़ी संख्या में मौजूद दिखाई दिए, जिन्होंने फूल बरसाकर, नारे लगाकर और झांकियों का स्वागत कर अपनी आस्था और एकता का परिचय दिया। संतों, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और आम लोगों का एक ही स्वर था कि करनाल शहर में इस तरह के उर्स, शोभायात्राएं और धार्मिक–सामाजिक कार्यक्रम माहौल को सकारात्मक ऊर्जा देते हैं और आने वाली पीढ़ी को यह संदेश देते हैं कि “हम सब एक हैं, हमारा धर्म है – इंसानियत।”