करनाल शहर में स्ट्रीट डॉग बाइट्स के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। हर दिन 10 से अधिक केस सामने आ रहे हैं, जिनमें बुजुर्ग और छोटे बच्चे सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं। स्थानीय नागरिकों में डर और गुस्सा दोनों देखने को मिल रहा है, क्योंकि आम लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
नगर निगम के अधिकारी और पशु प्रेमी दोनों ही समाधान की तलाश में हैं, लेकिन अभी तक ठोस कदम नज़र नहीं आ रहे। नसबंदी अभियान और शेल्टर होम जैसी योजनाएँ सुस्त पड़ी हैं—आठ महीने में केवल 3,500 कुत्तों की नसबंदी हो पाई है, जबकि शहर में करीब 20,000 से ज़्यादा आवारा कुत्ते घूम रहे हैं। नागरिक अस्पताल में रोज़ाना 25-30 लोग दूसरी या तीसरी एंटी-रेबीज डोज़ लगवाने पहुँच रहे हैं।
स्थानीय समाजसेवी और एनिमल लवर पवन शर्मा के अनुसार सरकार को चाहिए कि वह कुत्तों के लिए सुरक्षित और सीमित जगह तैयार करे, जहाँ उनका इलाज और टीकाकरण किया जा सके। वह कहते हैं, “अगर सरकार और समाज मिलकर ज़िम्मेदारी लें, तो इन घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। बेजुबान जानवरों के लिए रहम जरूरी है, लेकिन आम लोगों की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है”।
व्यक्तिगत घटनाओं में, जिला कोर्ट के बाहर एक बुजुर्ग पर झुंड में घूमते कुत्तों ने हमला किया और करन विहार की कॉलोनी में बच्चे खेलने पर डरते हैं, क्योंकि रात में कुत्ते झुंड में घूमते हैं।
समाप्ति में, पवन शर्मा और कई नागरिकों ने सरकार से मांग की है कि वह एक स्पष्ट प्रोटोकॉल और इलाज के लिए सीमित स्थान बनाए, जिससे इंसानों और जानवरों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
यह स्क्रिप्ट आपके यूट्यूब विडियो के तथ्यों और ताज़ा समाचारों के हवाले से, सही और पत्रकारिता शैली में हिंदी में तैयार की गई है।