करनाल शहर के सरकारी पटवारखाने में बीते तीन दिनों से बिजली आपूर्ति पूरी तरह से ठप है और कर्मचारी व अधिकारी अंधेरे में काम करने को मजबूर हैं। इसका मुख्य कारण है—महीनों से बिजली का बिल पेंडिंग होना, जिसकी रकम लाखों रुपये तक पहुंच गई है और अब तक उसका भुगतान नहीं हो सका है।
स्टाफ सदस्यों ने बताया कि, “कामकाज में भारी दिक्कत हो रही है। खिड़कियां खोल-खोलकर थोड़ी बहुत रोशनी में कागजात तैयार कर रहे हैं। बार-बार विभाग को याद दिलाने के बाद भी फंड्स जारी नहीं हुए, पिछले बार भी रिक्वेस्ट के बाद ही कुछ दिन के लिए बिजली चालू हुई थी, लेकिन फिर वही समस्या आ गई।”
पटवारखाने के कानूनगो रमेश कुमार ने भी बताया कि बिना बिजली के काम करना न सिर्फ मुश्किल है, बल्कि जनता व कार्यालय कर्मचारियों दोनों के लिए परेशानी का कारण बन चुका है। कई लोग नकल निकलवाने, अपने आय-जाति प्रमाणपत्र आदि बनवाने आते हैं, लेकिन बिजली न होने के कारण उनका भी वक्त और काम दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
वहीं, रिपोर्टर ने दिखाया कि करोड़ों रुपये का राजस्व एकत्रित करने वाला यह ऑफिस खुद इतने फंड्स के अभाव में है कि बिजली का बिल तक जमा नहीं करा पा रहा। दीवारों व छत की जर्जर हालत कार्यालय की और भी दयनीय तस्वीर पेश करती है।
इस गंभीर समस्या के चलते सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अंधेरे में काम करना पड़ रहा है। प्रशासन से साफ मांग की गई है कि यह कोई प्राइवेट ऑफिस नहीं, सरकारी कार्यालय है—जहाँ प्रदेशभर के किसान व नागरिक रोजाना काम के लिए आते हैं।