डीएवी पीजी कॉलेज में वाणिज्य विभाग की ओर से डिजीटल इकोनॉमी की चुनौतियां और अवसर विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया। जिसमें भारतवर्ष के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के बुद्धिजीवियों, प्रोफेसर्स, शोधार्थियों ने भाग लिया। सेमीनार में चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा और जीजेयू हिसार के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. राधेश्याम शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। पूर्व वाइस चांसलर का महाविद्यालय में पहुंचने पर कॉलेज की प्रबंधन समिति के प्रधान रमेश वर्मा और कॉलेज प्राचार्य डॉ. रामपाल सैनी सहित स्टाफ सदस्यों ने पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। डॉ. शर्मा, प्रबंधक समिति प्रधान रमेश वर्मा और प्राचार्य ने मां सरस्वती की तस्वीर के समक्ष दीप प्रजवल्लित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
प्रबंधन समिति के प्रधान रमेश वर्मा ने राष्ट्रीय सेमीनार के विषय डिजीटल इकॉनोमी की चुनौतियां और अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश में डिजीटल लेनदेन की व्यवस्था को लागू करना एक सराहनीय कदम है। लेकिन वर्तमान में इसके संचालन को लेकर जो चुनौतियां नागरिकों और उपभोक्ताओं को आ रही हैं। हमें शीघ्र ही उनके समाधान के रास्ते खोजनें होंगे। प्राचार्य डॉ. रामपाल सैनी ने कहा कि डिजीटल इंडिया कार्यक्रम ने देश में एक क्रांति लाने का काम किया है। बिना रुपये के लेनदेन की जो प्रक्रिया अब देश में शुरू हुई है, वास्तव में इससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा। डिजीटल नकदी रहित अर्थव्यवस्था में लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। क्योंकि भारत एक ग्रामीण परिवेश का राष्ट्र है। जहां आज भी लोग नवीन अविष्कारों से अनजान हैं।
मुख्य अतिथि पूर्व वाइस चांसलर डॉ. राधेश्याम शर्मा ने कहा कि आज के युग की डिमांड के अनुसार ही इस सेमीनार के विषय का चयन किया गया है। शर्मा ने कहा कि डिजीटल इकोनोमी केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की जरूरत है। उन्होंने डिजीटल के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि डिजीटल इंडिया और मेक इन इंडिया शिक्षा और शोध से संबंधित होना चाहिए। ताकि आम आदमी तक इसकी पहुंच बनाई जा सके। इस क्षेत्र में ओर अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के संयोजक वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. लवनीश बुद्धिराजा ने सभी का धन्यवाद किया। मंच संचालन प्रो. दीपिका कथूरिया और प्रो. महिमा राणा ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्रोफेसर, प्राध्यापक एवं प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के विद्वान उपस्थित रहे।