गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार की महान शहादत के सप्ताह में 27 दिसम्बर को छोटे साहिबज़ादे बाबा ज़ोरावर सिंह व बाबा फ़तह सिंह को जिंदा दीवारों में चिन कर शहीद कर दिया गया था, लेकिन ये ज़ुल्म भी उनके बुलंद इरादों व देश धर्म के प्रति उनके जुड़ाव को कम नहीं कर पाया। ये उदगार आज छोटे साहिबज़ादों व माता गुजऱी को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए निफ़ा संयोजक एडवोकेट नरेश बराना ने व्यक्त किए। सेक्टर 12 स्थित निफ़ा कार्यालय में आज निफ़ा सदस्यों ने माता गुजऱी, बाबा ज़ोरावर सिंह व बाबा फ़तह सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनकी शहादत को नमन किया व उनके जीवन पर चर्चा की।
निफ़ा के महासचिव हरीश शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष परमिंदर पाल सिंह, सह सचिव जस्विंदर सिंह बेदी, क्षेत्रीय संयोजक एस आर पाहवा, आजीवन सदस्य ओ पी सचदेवा, समाज सेवी राज सिंह, समाज सेवी व पत्रकार आज़ाद सिंह, शैलेंद्र जैन, पवन शर्मा व प्रीतपाल सिंह पन्नु ने साहिबज़ादों के जीवन पर विचार व्यक्त किए। मात्र 9 व 7 वर्ष की आयु में हँसते हँसते ज़िंदा दीवार में चिन कर शहादत स्वीकार करने को भारतीय इतिहास की लासानी घटना बताया। हरीश शर्मा ने कहा कि जहा गुरु जी के बड़े साहिबज़ादे बाबा अजीत सिंह व बाबा जूझार सिंह 21 दिसम्बर को चमकौर के युद्ध में वीरता पूर्वक लड़ते हुए शहीद हुए वहीं 27 दिसम्बर को छोटे साहिबज़ादों को सरहिंद के नवाब वज़ीर खान के आदेश पर शहीद किया गया। गुरु गोबिंद सिंह जी के माता गुजऱी जी भी सरहिंद के ठंडे बुर्ज में शहीद हुए। उन्होंने बताया कि आज की पीडी को देश के ऐसे महान इतिहास से जोडऩे के लिए स्कूलों की छुट्टियाँ ख़त्म होने के बाद विद्यार्थियों को चार साहिबज़ादे फि़ल्म दिखाई जाएगी व प्रश्नोत्रि कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएँगे। यह कार्यक्रम सफऱ ए शहादत के नाम से किया जाएगा। आज छोटे साहिबज़ादों व माता गुजऱी को पुष्प अर्पित करने वालों में समाज सेवी सूरजीत संधु, निफ़ा के कार्यकारिणी सदस्य पवन शर्मा, अरुण, युवा विंग प्रधान हितेश गुप्ता, उपेन्द्र सिंह, क्षात्र विंग सचिव देवेश सागर, सुमित पाल सिंह, यशपाल, दीपक यादव, चंदन गिरधर व चेंकी शामिल
रहे।