करनाल/कीर्ति कथूरिया : हरियाणा विज्ञान मंच ने एनडीआरआई में आयोजित किए गए राष्ट्रीय डेयरी मेले में ग्रामीण आंचल से महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कर महिलाओं के लिए इस मेले को यादगार बना दिया।
हरियाणा विज्ञान मंच की जिला करनाल की टीम ने मेले से पहले कई दिन ग्रामीण क्षेत्र में राष्ट्रीय डेयरी मेले में भाग लेने के लिए लोगों को जागरूक किया। इसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।
मंच की राज्य कमेटी के सदस्य डा. राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहली बार राष्ट्रीय डेयरी मेला देखने वाली महिलाओं ने इसे अपने जीवन का यादगार मेला बताया। उन्होंने मेले से अर्जित अनुभव को जल्दी अपनी कार्यप्रणाली में इस्तेमाल करने के लिए हरियाणा विज्ञान मंच को अपनी कार्यसूची में परिवर्तन करने के लिए विवश किया है।
डा. राजेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में 85 प्रतिशत किसानों के पास पांच एकड़ से कम भूमि है।। प्रदेश की खेती योग्य भूमि का लगभग 48 प्रतिशत क्षेत्र में ठेके पर जमीन लेकर छोटे किसान अथवा भूमिहीन मजदूर खेती के बड़े साधन जैसे ट्रैक्टर ट्राली रीपर बनाकर खेती करते हैं।
इन्हें 50 हजार रुपए से लेकर 70 हजार रुपए तक प्रति एकड़ भूमि का ठेका देना पड़ता है। खेती में आई हरित क्रांति की वजह से जिला करनाल में खेती में बहुत प्रगति हुई है लेकिन यह प्रगति ज्यादा ऊपरी स्तर के 30 प्रतिशत किसानों तक सीमित रही है।
इन किसानों ने संबंधित विभागों व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के संस्थानों चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से सबसे ज्यादा लाभ उठाया है, लेकिन इन्हीं किसानों में से 90 प्रतिशत अवॉर्डी बनते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में लघु व सीमांत किसान तथा ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले भूमिहीन किसान व खेती से संबंधित महिलाओं को इनके मुकाबले नाम मात्र का लाभ मिला है।
उपरोक्त कैटेगरी के किसानों को संबंधित विभागों से नई तकनीकों का लाभ बचाने की कोई ठोस योजना नहीं है, क्योंकि इनके पास संपर्क करने के लिए संबंधित विभाग के जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कर्मचारी भी बहुत कम जाते हैं ।
हरियाणा विज्ञान मंच का सुझाव है कि मेरा पानी मेरी विरासत को सफल बनाने के लिए ग्रामीण महिलाओं को सहकारिता से खेती करने का अवसर दिया जाना चाहिए। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से संबंधित समूह को जमीन ठेके पर लेने के लिए अनुदान देने के साथ उन्हें कृषि किसान कल्याण विभाग हरियाणा बागवानी विभाग हरियाणा से अनुदान व नई नई किस्म के बीज उपलब्ध कराना व राष्ट्रीय कृत बैंकों से खेती खर्च के लिए सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाए।