करनाल: धान कटने के उपरान्त धान के फसलोवषेषों फानों में आग नहीं लगाएं किसान उक्त संदेष आज यहां स्थित राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डा. दलीप गोसांई द्वारा आज से एक महीने तक चलने वाले फसलोवषेष न जलाने वाले अभियान के अवसर पर जिला के 42 गांवों तथा कुरूक्षेत्र, पानीपत, यमुनानगर के किसानों और ग्रामीण महिलाओं को संबोधित करते हुए कहे।
डा. गोसांई ने बल देते हुए कहा कि किसान परिवार हर संभव प्रयास करें कि वह खेत के अवषेष खेत में ही डालें क्योंकि फानों को जलाने से वातावरण होता है प्रदूषित तथा साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति को होता है नुकसान।
डा. गोसांई ने कहा कि सुगन्धि बासमती और पी.आर धान की किस्मों की पुराल किसान परिवार घर में इसलिए ही नहीं रखें कि इसे दूुधारू प्षुओं को सर्दियों में बचाने हेतु बिछाने के काम आयेगी जबकि यह अन्य सूखे भूसों की तरह दुूधारू प्षुओं को सीमित मात्रा में प्रतिदिन खिलाई जा सकती है जिसके चलते दुघारू प्षुओं को गेहूं के भूसे खिलाने पर होने वाले पूरे साल के खर्चे में कमी भी आएगी।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक परिवार की यह जिम्मेदारी है कि वह वातावरण को स्वच्छ और साफ रखने में अपना सहयोग दें। इस संदर्भ में के.वी.के 7 नवम्बर तक विभिन्न गांवों में किसानों को प्रेरित करने हेतु विभिन्न कार्यक्रम भी चलायेगा।
उन्होंने उपस्थित किसानों, युवाओं और महिलाओं को खेत के अवषेष खेत में तथा धान के फानों में आग न लगाने पर संकल्प भी दिलवाया।