करनाल। राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. आरआरबी सिंह के मार्गदर्शन में चल रहे हिन्दी चेतना मास की कड़ी में शुक्रवार को हिन्दी आशु-भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ-साथ शोद्यार्थी एवं तकनीकी अधिकारियों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया। प्रतिभागियों को लोटरी प्रणाली के माध्यम से मौके पर ही विषय आबंटित किए गए। जिनमें से किसी ने संयुक्त परिवार के महत्व पर प्रकाश डाला, तो किसी ने मोबाइल के गुण व दोषों का वर्णन किया। आशु-भाषण के माध्यम से जहां स्चच्छता एवं राष्ट्र हित का संदेश देने का प्रयास किया गया तो, वहीं भारतीय संस्कृति पर पढऩे वाले पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव पर विडंबना व्यक्त भी की गई।
प्रतियोगिता के अन्तर्गत वित नियंत्रक श्री डीडी वर्मा की अध्यक्षता में प्रधान वैज्ञानिक डा. अर्चना वर्मा एवं डा. राकेष कुमार तथा वित्त एवं लेखा अधिकारी कुणाल कालड़ा की समिति ने मूल्यांकन किया। जिसमें डा. नीलम उपाध्याय को प्रथम पुरस्कार, सोनीका यादव को द्वितीय और मनजीत सिंह को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके अलावा दीपक यादव, शीला बर्मन तथा डा. उत्तम कुमार को प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त हुआ। डीडी वर्मा ने विजेताओं को बधाई दी और कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताओं से हिन्दी प्रेमियों का उत्साह बढ़ाना जाता है, ताकि वे राजभाषा हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग कर सके।
सहायक निदेशक (राजभाषा) राकेश कुमार कुशवाहा ने बताया कि संस्थान में 14 सितम्बर से प्रारंभ हुए हिन्दी चेतना मास के दौरान शोध-पत्र व पोस्टर प्रदर्शन प्रतियोगिता, हिन्दी कार्यशाला, हिन्दी निबंध प्रतियोगिता एवं हिन्दी आशुभाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। इन सभी प्रतियोगिताओं के विजेताओं को आगामी माह 13 अक्तूबर को प्रस्तावित राजभाषा पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।