सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा कानून का उल्लंघन कर नौकरी से बर्खास्त किए गए जेबीटी शिक्षकों का आमरण अनशन जारी है। 17 शिक्षक, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं 13 दिनों से अनशन पर हैं। शिक्षिकाओं ने चेतावनी दी है कि दो दिन में सकारात्मक फैसला नहीं आया तो वह जल भी त्याग देंगी। इधर तबियत बिगडऩे की वजह से तीन शिक्षक कल्पना चावला मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती हैं। धरने पर बैठे शिक्षकों का नेतृत्व कर रहे जसमेर, मुकेश डिडवानिया, राकेश जांगड़ा और सर्वप्रीत ने कहा कि सरकार शिक्षा और शिक्षक विरोधी है। पूरी योग्यता के साथ परीक्षा पास करने के बाद 1259 जेबीटी को नौकरी पर लगाया गया था। एक महीने तक नौकरी पर रखने के बाद तानाशाह सरकार ने एक झटके में शिक्षकों पर अत्याचार करते हुए नौकरी से निकाल दिया।
यह सरेआम कानून का उल्लंघन है। सरकार ने शिक्षकों का अपमान किया है और 1259 परिवारों के साथ भद्दा मजाक किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग जवाब दे कि 2011 में पात्रता परीक्षा पास और विज्ञापन तीथि तक हर प्रकार की योग्यता पूरी करने वालों को नौकरी से क्यों निकाला गया है। यह सरकार की घटिया मानसिकता है। जबकि सरकार ने 2013 पात्रता पास केंडिडेट जोकि विज्ञापन तिथि के बाद के थे, उन्हें नौकरी दे दी गई। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशो का उल्लंघन है। आज तक पूरे भारत में कहीं भी ऐसा नहीं हुआ जो हरियाणा सरकार और शिक्षा विभाग ने किया है। शिक्षकों ने कहा कि सरकार बड़े हादसे का इंतजार कर रही है। शिक्षक भूख हड़ताल पर अडिग है और किसी भी सूरत में नौकरी लेकर ही दम लेंगे। अनशन पर बैठने वाले शिक्षकों में सत्यवान सचिन, वीर सिंह, सोनू कुंडु, महेश, पंकज रानी, राज कुमार, सीमा रानी, सुनीता, ऋषिपाल, ब्रह्म प्रकाश, सूरज प्रकाश, वीरेंद्र, सोनू, कुलदीप और रेशमा कांबोज शामिल हैं। साथ में बड़ी संख्या में शिक्षक और परिवार के लोग धरना दे रहे हैं। कर्मचारी संगठन भी जेबीटी शिक्षकों के पक्ष में उतर आए हैं।