December 22, 2024
21057665_1841835849166757_1779296529_o
शहर में स्थित 650 करोड़ की लागत से बने मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड कराने से पहले रातभर लाइन में लगकर जागने का रिवाज सा बन गया है। अल्ट्रासाउंड टेस्ट से पहले यह एक कड़ी परीक्षा है, जिसमें हर उस औरत को गुजरना पड़ता है, जो निजी अस्पताल में पैसे देकर यह टेस्ट नहीं करा सकती और सरकार की निशुल्क सेवा लेना चाहती है।
खुले आसमान के नीचे ये महिलाएं इस टेस्ट के लिए रातभर जागती हैं और सुबह का इंतजार करती हैं। सुबह फिर से टोकन के लिए मारामारी और फिर से खाली हाथ बेबस रह जाती हैं। यह दास्तां है उन दूर दराज से आई गर्भवती महिलाओं की, जिनके पास निजी अस्पतालों के लिए पैसे नहीं हैं। हालांकि, सुबह 8 बजे से टेस्ट के लिए पर्ची कटनी शुरू होती है, लेकिन उस समय इस खिड़की पर इतनी लंबी लाइन होती है कि कोई देखकर ही वापस चला जाता है। क्योंकि यहां पर रातभर से ही महिलाएं व उनके परिजन लाइन में लगे होते हैं। अब हालात ये हैं कि कॉलेज में पांच रेडियोलॉजिस्ट आ चुके हैं और अल्ट्रासाउंड के लिए दो मशीनें चालू हैं। प्रतिदिन केवल 100 अल्ट्रासाउंड किए जा रहे हैं। इनमें केवल 25 गर्भवती महिलाओं के टेस्ट होते हैं। मात्र 15 मिनट में ही ये टोकन खत्म हो जाते हैं और उसके बाद किसी गर्भवती महिला को टोकन नहीं मिलता।
अल्ट्रासांउड केंद्र का मुआयना किया तो गर्भवती महिलाओं का दर्द जुबान पर आया। महिलाओं ने बताया कि हर रोज 50 से 60 गर्भवती महिलाएं अपना काम छोड़कर रात को भी नंबर लगवाने के लिए मेडिकल कॉलेज में डटती हैं, ताकि सुबह उनका नंबर आ जाए। पिछले दिनों इस समस्या को लेकर गर्भवती महिलाएं सड़कों पर प्रदर्शन कर चुकी हैं, लेकिन मेडिकल कालेज का प्रबंधन उनकी टोह नहीं ले रहा रहा वे करें क्या और जाएं कहां ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.