करनाल समेत हरियाणा के राईस शैलर्स द्वारा अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर किये गए करोड़ो रुपयों के धान घोटाले में गृह मंत्री अनिल विज और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के अलग अलग ब्यान क्यों ,देखें Live – Share Video
खटटर सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता कि जेजेपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार के मंत्रियों के बीच मतभेद सामने आने लगे हैं , बीजेपी के दबंग मंत्री माने जाने वाले यानी अनिल विज और सरकार में उप मुख्यमंत्री यानी जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला धान खरीद मामले में आमने सामने हैं।
दुष्यंत धान खरीद मामले में चोरी पर शक जाहिर होने और फिर राइस मिलर्स पर एक्शन लेने पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं तो वहीँ प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज दुष्यंत से बिलकुल उल्ट घोटाला न होने और राईस मिलर्स को क्लीन चिट देने का काम कर रहे हैं।
सूबे में धान खरीद घोटाले का मामला तूल पकड़ने लगा है। आपको बता दे कि इस मामले को लेकर खाद्य आपूर्ति विभाग की कमान संभाल रहे दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही कई बार बयान दे चुके हैं कि वो किसानों की धान का एक एक दाना खरीदेंगे ।
बस इतना ही नहीं कांग्रेस द्वारा धान खरीद मामले को लेकर उठाये जा रहे घोटाले के सवालों पर भी उप मुख्यमंत्री खुद की पीठ थपथपा कर ये बयान दे रहे हैं कि हरियाणा में राजस्व के लुटेरों को बख्शा नहीं जायेगा। गौरतलब है कि धान खरीद मामले को लेकर उठ रहे सवालों के बाद अब सरकार ने राईस मीलों से धान के एक भी दाने के बाहर निकलने और अंदर जाने पर पाबंदी लगा दी है।
जिसके तहत राईस मीलों के बाहर ड्यूटी मजिस्ट्रेट की निगरानी में पुलिस कर्मचारी भी तैनात कर दिए गए हैं जो राईस मीलों के बाहर सख्त पहरा दे रहे हैं।
वहीँ दूसरी और हरियाणा के गृह मंत्री दुष्यंत चौटाला के विपरीत राईस मिलरों को क्लीन चिट देते नजर आ रहे हैं। मामले को लेकर अनिल विज ने कहा कि ऐसा कोई घोटाला नहीं हुआ ये तो सरकार ने अपनी धान पर नजर रखने के लिए अपने नुमाइंदे राईस मिलों में बिठाये हैं।
विज का कहना है कि राईस मिल संदेह के घेरे में नहीं हैं ये तो ज्वाइंट कस्टडी होती है। ऐसे में सरकार अगर अपना आदमी मिल के बाहर खड़ा करती है तो इसका ये मतलब नहीं है कि कोई घोटाला हुआ है। वहीँ विज ने मामले में किसी भी प्रकार की जांच जारी होने की बातों को भी पूरी तरह से खारिज कर डाला।
नई नवेली सरकार के शुरूआती दिनों में ही दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच का आपसी मतभेद आने वाले समय में क्या रुख अख्तियार करेगा ये तो समय ही बताएगा मगर मौजूदा हालात इस और इशारा कर रहे हैं कि शायद बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को विपक्ष की जरूरत नहीं है ये गठबंधन में रहकर भी खुद एक दूसरे के लिए विपक्ष की भूमिका अदा करेंगे।