रोहतक लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा और भाजपा प्रत्याशी अरविंद शर्मा के बीच है कड़ा मुकाबला !
हुड्डा परिवार का गढ़ माना जाने वाली रोहतक लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा के लिए राह आसान नहीं होगी ! यहां उनकी टक्कर भाजपा प्रत्याशी अरविंद शर्मा से है ! भाजपा ने उनके लिए रोहतक में पूरी ताकत झोंक दी है ! हालांकि जजपा उम्मीदवार प्रदीप देशवाल भी मैदान में हैं लेकिन जीत की दौड़ में शामिल नहीं हैं, रोहतक में जातिगत समीकरण चुनाव में हावी रहेंगे और हार-जीत का फैसला करेंगे !
भाजपा ने अरविंद शर्मा को भले ही करनाल से लाकर रोहतक में उतारा हो लेकिन वे यहां कांग्रेस को पूरी टक्कर दे रहे हैं ! भाजपा अपने पूरे संगठन की ताकत से चुनाव लड़ रही है, रोहतक निगम चुनाव में मिली जीत का भी उसे फायदा मिलेगा ! जजपा और कांग्रेस के जाट उम्मीदवारों के बीच अरविंद शर्मा नॉन जाट उम्मीदवार हैं , ऐसे में उन्हें इस बात का पूरा फायदा मिलेगा ! हालांकि बाहरी उम्मीदवार होने की वजह से उन्हें भीतरघात का भी डर है लेकिन फिलहाल भाजपा ने सभी कार्यकर्ताओं को चुप करके चुनाव प्रचार में उतारा हुआ है !
वहीं बात करें दीपेंद्र हुड्डा की तो वे मौजूदा सांसद हैं , यहां पारिवारिक पैठ का उन्हें पूरा फायदा मिलेगा ! ग्रामीण इलाकों में उनका वोट बैंक काफी मजबूत है, हालांकि उनके पिता द्वारा सोनीपत में चुनाव लड़ने की वजह से उनकी ताकत कम हो गई है ! पिछले चुनाव में दीपेंद्र ने चुनाव प्रचार कम किया था जबकि उनके पिता भूपेंद्र हुड्डा ने ज्यादा प्रचार किया था ! इस बार दीपेंद्र अपनी मां और पत्नी के साथ प्रचार में जुटे हुए हैं, इस बार भाजपा से अपना गढ़ बचाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है !
हरियाणा बनने से पहले यह सीट पंजाब में थी, 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर आज तक 16 चुनावों में सबसे ज्यादा 10 बार कांग्रेस ही इस सीट पर जीत का परचम लहरा पाई है ! इस जीत में हुड्डा परिवार का अहम किरदार रहा क्योंकि 10 में से 8 बार हुड्डा परिवार कांग्रेस के द्वारे जीत लेकर आए, तभी रणबीर हुड्डा की तीसरी पीढ़ी दीपेंद्र हुड्डा मौजूदा सांसद हैं !
1952 में जब यह पंजाब का हिस्सा था तो रोहतक लोकसभा से जीत का खाता दीपेंद्र हुड्डा के दादा और भूपेंद्र हुड्डा के पिता रणबीर हुड्डा ने खोला था ! वे पहले चुनाव में जीत हासिल करके लोकसभा पहुंचे थे , इसके बाद 1957 में दूसरी बार फिर जीते ! 1967 में रणधीर सिंह हुड्डा और 1984 में हरद्वारी लाल ने कांग्रेस की झोली में जीत डाली ! 1991 में फिर से सत्ता हुड्डा परिवार के पास आ गई और भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे, उन्होंने 1996 और 1998 में यह सिलसिला जारी रखा !
1999 में इनेलो ने सेंधमारी की और भूपेंद्र हुड्डा के विजयरथ को रोक दिया ! इस चुनाव में हुड्डा हार गए , साल 2004 में फिर से भूपेंद्र हुड्डा जीतकर लोकसभा पहुंचे ! इस चुनाव के बाद उन्होंने हरियाणा की सत्ता की कमान संभाल ली और रोहतक लोकसभा सीट पर बेटे दीपेंद्र को चुनाव लड़ाया वे पहले उपचुनाव जीते और फिर 2009 में भी जीते ! 2014 में मोदी लहर के बीच हरियाणा की महज रोहतक सीट ऐसी थी, जिस पर कांग्रेस जीत हासिल कर सकी !
देवीलाल यूं तो सिरसा जिले से थे लेकिन 1989 में हुए 9वीं लोकसभा के लिए चुनाव में वे राजस्थान के सीकर और हरियाणा के रोहतक से लड़े ! दोनों सीटें जीते और लोकसभा पहुंच गए ! यहां वे जनता दल सरकार में उपप्रधानमंत्री चुने गए !
भारतीय जनता पार्टी आज तक के इतिहास में एक बार भी रोहतक लोकसभा सीट नहीं जीत सकी है ! मोदी लहर में भी रोहतक एकमात्र सीट थी, जिस पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी , हालांकि इस सीट पर 1962 में जनसंघ के उम्मीदवार लहरी सिंह विजय हासिल कर देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचे थे ! 1971 में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार मुख्तियार सिंह चुनाव जीते थे, 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के बाद पूरे देश में कांग्रेस विरोधी लहर थी ! 1977 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो इस सीट पर भारतीय लोकदल के उम्मीदवार शेर सिंह जीते थे ! इस चुनाव में भारतीय लोकदल ने हरियाणा की सभी 10 सीटें जीती थी !
रोहतक सीट पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा एकमात्र ऐसे सांसद है जो चार बाद संसद पहुंचे हैं ! वे 1991, 1996, 1998 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीते, उनके विजय रथ को 1999 में इंडियन नेशनल लोकदल के कैप्टन इंद्र सिंह ने रोका था ! उस वर्ष भारतीय जनता पार्टी ने इनेलो के साथ गठबंधन किया था , रोहतक में रैली करने के लिए खुद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आए थे , गठबंधन के चलते इनेलो उम्मीदवार की जीत हुई और भूपेंद्र हुड्डा लगातार चौथी चुनाव जीतने से चुक गए थे !
रोहतक लोकसभा में 17.37 लाख वोटर हैं, जिनमें 9,37,701 पुरुष तो 7,99,422 महिलाएं हैं ! कुल वोटर में 6.70 लाख जाट, 3 लाख अनुसूचित जाति, 1.75 लाख अहीर, 1.20 लाख पंजाबी, 1.35 लाख ब्राह्मण, 80 हजार अग्रवाल और 3 लाख अन्य है !