December 21, 2025
21 Dec 16

हरियाणा के हिसार जिले में आयोजित एक विशाल सम्मान समारोह में संत रामपाल महाराज को ‘किसान रत्न’ की उपाधि से नवाजा गया। भारतीय किसान यूनियन और क्षेत्र की दर्जनों ग्राम पंचायतों की मौजूदगी में आयोजित इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु और किसान एकत्रित हुए। यह सम्मान उन्हें कृषि क्षेत्र में उनके योगदान, विशेषकर बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के समय किसानों की सहायता करने के लिए दिया गया है।

समारोह के दौरान उपस्थित किसान नेताओं ने बताया कि पिछले दिनों हरियाणा के कई जिलों सहित पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ के दौरान संत रामपाल महाराज के अनुयायियों ने जमीनी स्तर पर बड़ी मदद की थी। विशेष रूप से हिसार और आसपास के क्षेत्रों के लगभग 86 गांवों में जब सरकारी मशीनरी फेल हो गई थी, तब संत के अनुयायियों ने अत्याधुनिक पंपों और अपनी मेहनत से खेतों से पानी निकाला, जिससे किसान अपनी गेहूं की फसल बोने में सक्षम हो सके। किसानों ने उन्हें ‘किसान मसीहा’ और ‘किसानों का भगवान’ कहकर संबोधित किया।

सम्मान स्वरूप संत रामपाल महाराज को भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दिलबाग हुड्डा और उनकी टीम द्वारा गदा, हल, पगड़ी और स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। समारोह में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि संत ने न केवल आपदा में मदद की, बल्कि समाज को नशा मुक्ति, दहेज प्रथा के उन्मूलन और फिजूलखर्ची रोकने का जो संदेश दिया है, वह किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में अत्यंत सहायक सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि किसान इन बुराइयों से बचेगा, तो उसकी खेती और घर दोनों सुरक्षित रहेंगे।

आयोजन के दौरान संत द्वारा चलाई जा रही ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ की भी चर्चा की गई, जिसके तहत बेघर और गरीब बच्चों को मकान बनाकर दिए जा रहे हैं और जरूरतमंद परिवारों को रसोई का सामान व अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। समारोह में उपस्थित महिलाओं और युवाओं में भारी उत्साह देखा गया, जिन्होंने भजनों और जयकारों के साथ इस सम्मान समारोह का स्वागत किया।

विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंचों और पूर्व सरपंचों ने अपने संबोधन में कहा कि यह पहली बार है जब किसी धार्मिक गुरु को किसानों के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए इस तरह के बड़े नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। उन्होंने संत के कार्यों को ईश्वरीय कार्य बताते हुए कहा कि संकट की घड़ी में जब कोई साथ नहीं खड़ा था, तब संत के अनुयायियों ने निस्वार्थ भाव से समाज सेवा की। इस अवसर पर हजारों लोगों ने उनके बताए मार्ग पर चलने और समाज कल्याण के कार्यों में योगदान देने का संकल्प लिया।

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