पुलिस की कथित मनमानी और एक अधिवक्ता के साथ हुई मारपीट के विरोध में आज हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के वकीलों ने एकजुट होकर कार्य बहिष्कार (वर्क सस्पेंड) किया। इस विरोध प्रदर्शन का मुख्य केंद्र करनाल जिला अदालत भी रही, जहाँ वकीलों ने कामकाज पूरी तरह ठप रखा। यह हड़ताल पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के आह्वान पर की गई है, जिसका समर्थन राज्य की तमाम जिला और उपमंडल अदालतों ने किया है।
मामला कुछ दिन पहले का है, जब मोहाली में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के प्रैक्टिसिंग एडवोकेट अमित के साथ हिसार सीआईए, नारायणगढ़ और अंबाला पुलिस के कर्मियों द्वारा मारपीट किए जाने की घटना सामने आई थी। इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए माननीय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। हालांकि, वकीलों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन ने अपने साथियों को बचाने के लिए जानबूझकर ‘अज्ञात’ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जबकि शिकायत में पुलिसकर्मियों के नाम स्पष्ट रूप से दिए गए थे।
करनाल बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस पुलिसिया कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जब एक शिक्षित वर्ग और कानून के ज्ञाता के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है और हाईकोर्ट के आदेशों की इस तरह अनदेखी की जा सकती है, तो आम जनता के साथ पुलिस का व्यवहार कैसा होता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वकीलों ने स्पष्ट किया कि वे पुलिस के उस अहंकार के खिलाफ लड़ रहे हैं जो उन्हें कानून से ऊपर समझने पर मजबूर करता है।
हड़ताल के कारण अदालतों में आने वाले आम लोगों और याचिकाकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, जिसके लिए बार एसोसिएशन ने खेद व्यक्त किया है। हालांकि, वकीलों का कहना है कि यह लड़ाई केवल उनके समुदाय की नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था की गरिमा बचाने की है। उनकी मुख्य मांग है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ उनके नाम के साथ एफआईआर दर्ज की जाए और उन्हें तुरंत प्रभाव से गिरफ्तार किया जाए। वकीलों ने चेतावनी दी है कि जब तक न्याय नहीं मिलता, वे अपने संघर्ष को और तेज करेंगे और भविष्य की रणनीति उच्च बार एसोसिएशन के निर्देशों के आधार पर तय की जाएगी।