हरियाणा के पानीपत स्थित प्राचीन देवी मंदिर से मां वैष्णो देवी दरबार के लिए पारस भाई गुरु जी की पैदल यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। यात्रा दिल्ली से निकली, सोनीपत होते हुए पानीपत पहुंची और अब सैकड़ों भक्तों के साथ करनाल व आगे कुरुक्षेत्र की ओर रवाना है।
मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष “जय माता दी” के जयकारों के बीच पारस गुरु जी से आशीर्वाद लेते नजर आए। श्रद्धालुओं ने कहा कि पारस गुरु जी से मिलकर वे स्वयं को भाग्यशाली मानते हैं और मां वैष्णो के दरबार की यह यात्रा उनके लिए आध्यात्मिक अनुभव है।
पारस भाई गुरु जी ने बताया कि यात्रा का उद्देश्य केवल और केवल “माता नाम” का प्रचार और सनातन धर्म के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि जैसे विभिन्न धर्मों के लोग अपना-अपना संदेश फैलाते हैं, वैसे ही वे भगवती जगदंबा के नाम और भक्ति को लोगों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।
गुरु जी ने संदेश दिया कि मां से बढ़कर कोई नहीं और धर्म भी यही सिखाता है कि सबसे पहले माता-पिता, परिवार और समाज की सेवा की जाए। उनके अनुसार, मां जगदंबा शक्ति स्वरूपा होकर भी गृहस्थ धर्म निभाते हुए तीनों लोकों का संचालन करती हैं और यह संदेश देती हैं कि आध्यात्म और जिम्मेदारी दोनों साथ चल सकते हैं।
पारस गुरु जी के अनुयायियों और भक्तों ने बताया कि वे उनकी बनाई कुंडली को बेहद सटीक मानते हैं और दावा किया कि कई नेता और कलाकार उनकी कुंडली के मार्गदर्शन से ऊंचे मुकाम तक पहुंचे हैं। अनुयायियों के अनुसार पारस गुरु जी के बताए उपाय सरल हैं, जैसे गाय को चारा खिलाना, पेड़-पौधों की सेवा करना और जीव-जंतुओं की रक्षा करना, जिन्हें हर व्यक्ति सहज रूप से कर सकता है।
गुरु जी ने युवाओं को नशे से दूर रहने का संदेश देते हुए कहा कि जो भी उनके संपर्क में आता है, वह सांसारिक नशों को छोड़कर “भगवती के नशे” में आ जाता है। उन्होंने कहा कि सनातन सत्य और सूर्य की तरह शाश्वत है और मां भगवती जगदंबा ही सबकी मूल शक्ति हैं, इसलिए सभी को भक्ति और सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए।
पानीपत के प्राचीन देवी मंदिर में रात्रि विश्राम के बाद यह यात्रा सुबह जयकारों के बीच आगे के लिए रवाना हुई। आयोजन पक्ष का कहना है कि यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर भंडारा, कीर्तन और सत्संग का आयोजन किया जाएगा और लक्ष्य मां वैष्णो देवी दरबार तक यह पैदल यात्रा पूर्ण करना है।