करनाल सेक्टर-12 स्थित एचएसवीपी (HUDA) दफ्तर के बाहर हरियाणा के 9 जिलों से पहुंची सैकड़ों महिला कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर तीन दिन का महापड़ाव लगाया, जिसका आज अंतिम दिन ज्ञापन सौंप कर समाप्त किया गया। प्रदर्शन में आशा वर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर और मिड डे मील वर्कर सहित विभिन्न विभागों की महिलाएं शामिल रहीं।
आशा वर्कर्स की राज्य प्रधान ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बनने के बाद वे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलने के लिए पांच बार प्रतिनिधिमंडल के साथ गईं, लेकिन एक बार भी मुलाकात नहीं हो पाई, जबकि आरती राव से सिर्फ एक बार चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि 2023 में 73 दिन की हड़ताल के बाद भी उस अवधि का लगभग 10,000 रुपये प्रति वर्कर कटा हुआ मानदेय मुख्यमंत्री की टेबल पर लंबित फाइल में अटका हुआ है, जिसे तुरंत जारी किया जाना चाहिए।
महिला नेताओं ने कहा कि सरकार से बातचीत न होने पर वे पूरे हरियाणा में विरोध को तेज करेंगी और सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगी। उनका कहना था कि सरकार कम से कम प्रतिनिधिमंडल से बैठकर समस्याएं सुने, मांग मानना या न मानना बाद की बात है, लेकिन पद की गरिमा निभाते हुए संवाद होना ज़रूरी है।
केंद्र सरकार के नाम दिए गए ज्ञापन में आशा वर्कर्स ने मांग की कि अप्रैल 2025 में संसद में घोषित 1500 रुपये मानदेय वृद्धि का बजट और आधिकारिक नोटिफिकेशन तुरंत जारी किया जाए। उन्होंने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी अपील की कि पहले की तरह आशा वर्कर्स की समस्याओं पर पहल करते हुए वार्ता करवाई जाए।
मिड डे मील वर्कर्स ने आरोप लगाया कि जहां अन्य सभी कर्मचारी वर्ग को 12 महीने का मानदेय मिलता है, वहीं उन्हें केवल 10 महीने की तनख्वाह मिलती है, जिसमें 15 दिन की कटौती भी कर दी जाती है, जबकि काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। उनकी मांग है कि उन्हें भी 12 महीने का मानदेय, कम से कम 2000 रुपये मासिक वेतन, 65 वर्ष तक सेवा, ड्रेस भत्ता 2000 रुपये, रिटायरमेंट पर 5 लाख रुपये और घायल होने पर उचित मुआवजा दिया जाए।
मिड डे मील वर्कर्स ने यह भी कहा कि 2013 से अब तक केंद्र सरकार ने उनके मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की, जबकि सातवें वेतन आयोग का लाभ देने का आश्वासन भी अभी तक पूरा नहीं हुआ। उन्होंने 6000–7000 रुपये के वर्तमान मानदेय को बेहद कम बताते हुए समय पर भुगतान और मानदेय बढ़ाने की मांग दोहराई।
एचएसवीपी दफ्तर के बाहर सुरक्षा के मद्देनज़र बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया था, जबकि महिला कर्मचारी नारेबाज़ी और बैठकर प्रदर्शन करती रहीं। अलग‑अलग दिनों में अलग‑अलग कैटेगरी की महिलाओं ने शामिल होकर धरने को जारी रखा और आज संयुक्त रूप से ज्ञापन सौंपकर आंदोलन की अगली रणनीति सरकार के रुख पर छोड़ दी।