हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के लगभग 3000 सरकारी डॉक्टर आज 8 और 9 दिसंबर को दो दिन की हड़ताल पर हैं, जिससे पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। करनाल सहित विभिन्न जिलों में नियमित चिकित्सीय सेवाएं बाधित हैं और केवल ट्रेनी डॉक्टरों व सीमित स्टाफ के सहारे मरीजों की प्राथमिक जांच की व्यवस्था की गई है।
डॉक्टरों का कहना है कि हड़ताल उनका अंतिम विकल्प था और वे नहीं चाहते कि मरीजों को किसी भी प्रकार की असुविधा हो, लेकिन लंबे समय से मांगों पर ठोस कार्रवाई न होने के कारण वे मजबूर होकर स्ट्राइक पर गए हैं। डॉक्टरों ने मरीजों से हाथ जोड़कर माफी मांगी और भरोसा दिलाया कि सरकार से बात बनते ही वे तुरंत ड्यूटी पर लौटकर और अधिक मेहनत से इलाज करेंगे।
डॉक्टरों की प्रमुख मांगे
एएसोसिएशन के प्रतिनिधि डॉ. दीपक गोयल ने बताया कि उनकी दो मुख्य मांगें हैं—पहली, डायरेक्ट एसएमओ (सीनियर मेडिकल ऑफिसर) भर्ती को समाप्त करना, और दूसरी, डायनेमिक/मॉडिफाइड एसीपी स्ट्रक्चर को लागू कर वेतनमान को आकर्षक बनाना। उनका कहना है कि 2024 में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने लिखित रूप से इन मांगों को जायज़ मानते हुए 14 अगस्त 2024 तक समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक वित्त विभाग स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
डॉ. संजय ने बताया कि डायरेक्ट एसएमओ भर्ती से पूरी कैडर में स्टैग्नेशन पैदा हो गई, क्योंकि 18–20 साल सेवा देने के बाद प्रमोशन से एसएमओ बनने वाले डॉक्टरों की तुलना में सीधे एसएमओ भर्ती हुए डॉक्टर जल्दी सिविल सर्जन, डायरेक्टर और डीजी स्तर तक पहुंच जाते हैं। उन्होंने बताया कि सिविल सर्जन व समकक्ष 50 पदों में से 36 पर डायरेक्ट एसएमओ से आए अधिकारी हैं, जबकि प्रमोशन वाले बहुत कम हैं और अधिकांश को जिम्मेदारी मिलते ही कुछ महीनों में रिटायर होना पड़ता है।
डायनेमिक एसीपी की मांग
डॉक्टरों ने कहा कि फिलहाल डॉक्टरों को भी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह 5, 10 और 15 वर्ष की नौकरी पर एसीपी मिलती है, लेकिन उसका वित्तीय पैकेज इतना आकर्षक नहीं कि स्पेशलिस्ट डॉक्टर सरकारी सेवा में टिके रहें। डायनेमिक/मॉडिफाइड एसीपी लागू होने पर बेहतर वेतनमान और करियर प्रोग्रेशन के कारण अधिक डॉक्टर सरकारी क्षेत्र में रहकर जनता की सेवा करेंगे और निजी सेक्टर की ओर कम आकर्षित होंगे।
उनका तर्क है कि यदि सरकारी अस्पतालों की सुविधाएं, ढांचा और डॉक्टरों की ग्रोथ बेहतर होगी तो प्रदेश की बड़ी आबादी को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ इलाज सरकारी व्यवस्था के भीतर ही मिल सकेगा। इसीलिए वे इसे केवल अपने हित नहीं, बल्कि जनता के हित से जुड़ा मुद्दा बता रहे हैं।
सरकार से संवाद और अगला कदम
डॉक्टर नेताओं ने बताया कि वे स्वास्थ्य मंत्री, एसीएस हेल्थ, मुख्य सचिव, वित्त विभाग और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों से बार‑बार मीटिंग कर चुके हैं, यहां तक कि रात 10 बजे तक भी वार्ताएं चलीं, लेकिन केवल डायरेक्ट एसएमओ भर्ती बंद करने पर सहमति बनी, डायनेमिक एसीपी पर नहीं। उनका कहना है कि 16 महीने पहले मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज के बावजूद इस मांग पर अमल न होना उनके लिए निराशाजनक है।
डॉक्टरों को पूर्ण आशा है कि मुख्यमंत्री उनकी बात सुनेंगे और बातचीत के लिए बुलाएंगे; वे कहते हैं कि यदि रात 12 बजे भी बुलाया गया तो वे चर्चा के लिए तैयार हैं। फिलहाल दो दिन की स्ट्राइक घोषित है, आगे की रणनीति सरकार के रुख और संवाद पर निर्भर होगी।