November 4, 2024

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं का संघर्ष रंग लाया है. सरकार से हुए समझौते में हमें श्रमिक का दर्जा मिला है. यह लंबे संघर्षों की एक महत्वपूर्ण जीत है। सरकारी कर्मचारी बनने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। अब सभी को मानदेय भत्ते के स्थान पर वेतन मिलेगा। सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की पहल पर 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की यह एक सर्वसम्मत सिफारिश थी और 17 जनवरी की देशव्यापी हड़ताल की भी यह एक प्रमुख मांग थी। इसीलिए एआईयूटीयूसी से संबंधित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका यूनियन ने लंबी जद्दोजहद के बाद सरकार की इस घोषणा पर अपनी सहमति प्रकट की है।

प्रेस को जारी बयान में यूनियन की नेत्री बिमला नैन राज्य प्रधान और पुष्पा दलाल राज्य महासचिव व शीला मौण ने बताया कि कुशल श्रमिक का दर्जा मिलने से 10 साल की सेवा पूरी करने वाली आंगनवाड़ी वर्कर को वर्तमान 8140 रुपए में 3289 रुपए की बढ़ोतरी करके अब 11429 रुपए मासिक वेतन मिलेगा।

 10 वर्ष से कम सेवा वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को अर्ध कुशल श्रमिक का दर्जा दिया गया है. उसे वर्तमान 8140 रुपए में ₹2146 की बढ़ोतरी करके ₹10286 महीना वेतन मिलेगा। आंगनवाडी सहायिकाओं को वर्तमान 3750 रुपए में 1965 रुपए की बढ़ोतरी करके अब ₹5715 महीना वेतन मिलेगा जो कार्यकर्ताओं के आधे के समान हैं। पीएफ, ईएसआई समेत अन्य सामाजिक सुरक्षा मिलने का भी रास्ता खुल गया है।

 इसके अलावा हर 6 महीने बाद सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को महंगाई भत्ता मिलेगा। तीनो  नेत्रियों ने कहा कि पिछले 15 सालों से केवल हमारी यूनियन है जो केंद्र व प्रदेश सरकार से इस मांग को पूरा करने के लिए अपनी तर्कसंगत आवाज उठा रही थी। पूरे देश में हम सबसे पहले यह मांग जीतने में कामयाब हुई हैं। हर छह माह पूरे होने पर वेतन में स्वतः बढ़ोतरी होगी। समझौता एक फरवरी 2018 से लागू होगा।

 अन्य मांगों पर सरकार ने जल्द से जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है जिसमें रिटायर होने पर  पेंशन के साथ  एकमुश्त आर्थिक सहायता, आंगनवाड़ी सेंटरों का किराया बढ़ाने, गैर आंगनवाड़ी कार्य न कराने, पदोन्नति व समायोजन जैसे मुद्दे शामिल है।

  यूनियन नेत्रियों ने याद दिलाया कि यह केवल हमारी यूनियन थी जिसने पिछले साल फरवरी महीना में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर सरकार की घोषणा को अपर्याप्त बताया था व आन्दोलन किये थे. जब सोनीपत में मुख्यमंत्री के विरुद्ध रोष प्रकट करने पर चार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नौकरी समाप्त कर दी थी और पूरे जिले की कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया गया था तो  यह केवल एकमात्र हमारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका यूनियन ही थी जिसने 87 दिनों का लंबा धरना व भूख हड़ताल करके सभी बहनों की ससम्मान नौकरी बहाल करायी थी।

 किसी भी अन्य यूनियन की सरकार की इस भीषण ज्यादती के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं हुई थी। हमारे उस संघर्ष के फलस्वरुप प्रदेश में आंदोलन की एक नई जमीन तैयार हुई है। यह जीत आंगनवाड़ी आंदोलन में एक बड़ी व मौलिक उपलब्धि है.सरकारी कर्मचारी के दर्जे व न्यूनतम वेतन समेत शेष सभी मांगे पूरी कराने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी जिला मुख्यालयों पर विशाल सभाएं करके हम अपने संघर्ष के अगले चरण व रणनीति की घोषणा करेंगी। आंगनवाड़ी के हितों के लिए सरकार की गलत नीतियां बदलवाने के विरुद्ध हमारी लड़ाई अटल है।

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