कांग्रेस पार्टी में 43 वर्षों तक रहे वरिष्ठ नेता सरदार त्रिलोचन सिंह ने एक ताज़ा बातचीत में बूथ कैप्चरिंग और वोट चोरी पर बड़ा खुलासा किया है। सिंह, जो अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं, ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर चुनावी ड्यूटी के दौरान हथियारों और कारतूस के साथ बूथ कैप्चरिंग की गई थी। उन्होंने बताया कि विशेष ड्यूटी के लिए उन्हें असला लेकर पहुंचना था, जिस दौरान कारतूस खत्म हो जाने पर पीएम हाउस से मैसेज मिला और नए कारतूस महैया कराए गए।
सिंह का कहना है कि उस दौर में चुनाव के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं थे और जिस पार्टी की सरकार होती, उसी के अनुसार चुनावी प्रक्रिया चलती थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस नेताओं को स्थानीय स्तर पर हथियार भी उपलब्ध कराए गए थे और कई बार ठप्पे मारने का काम खुलेआम किया गया। त्रिलोचन सिंह ने बताया कि उन्होंने अंबाला और आंध्र प्रदेश में भी बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं में भाग लिया था।
नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि 1982 में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस में आए थे और तब मतदान के अधिकार सीमित थे। उन्होंने अन्य वरिष्ठ नेताओं, जैसे शमशेर सिंह गोगी, राकेश कमोज और सुंदर नरवाल का जिक्र किया, जिनसे बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं सत्यापित की जा सकती हैं। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने आंध्र प्रदेश में चुनाव के दौरान हुए एक्सीडेंट और अस्पताल में भर्ती होने की घटना का भी उल्लेख किया।
सिंह ने सवाल उठाया कि आज जब कांग्रेस के नेता ‘वोट चोर-गद्दी छोड़’ के नारे लगा रहे हैं, तो उन्हें अपनी पार्टी के इतिहास की हकीकत भी स्वीकारनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज की तुलना में उस समय चुनावी गड़बड़ियों पर कठोर कार्रवाई नहीं होती थी और कांग्रेस कार्यकर्ता अलग-अलग राज्यों में बूथ कैप्चरिंग जैसी गतिविधियों में संलिप्त थे।
सभी नागरिकों से अपील की गई है कि वे इस सच्चाई को जानें और वीडियो को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता को लेकर जागरूकता बढ़े।