December 5, 2025
20 Nov 7

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर चल रही गीता जयंती में एक कश्मीरी कावा वाला भाई इन दिनों खास चर्चा में है, जिसकी अनोखी स्टाइल और हेल्दी–टेस्टी कावा लोगों का दिल जीत रही है। सोशल मीडिया पर डॉली चाय वाले की तरह इस भाई की भी वीडियो तेजी से वायरल हो रही है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उसके स्टॉल पर कश्मीरी कावा चखने पहुंच रहे हैं।​

कश्मीरी कावा बेचने वाला युवक लोगों को आकर्षित करने के लिए ऊंची आवाज में बार–बार यही लाइन दोहराता नजर आता है – “हेल्दी भी और टेस्टी भी है, इसमें ऑर्गेनिक शक्कर, कश्मीरी जड़ी-बूटी और ड्राई फ्रूट डलता है, एक बार कश्मीरी कावा जरूर ट्राई करो।” उसका कहना है कि यह कावा खांसी, जुकाम, गले की तकलीफ, छाती जाम और मांसपेशियों के लिए फायदेमंद है और किसी भी कस्टमर को नुकसान पहुंचाने वाली कोई चीज इसमें नहीं डाली जाती।​

भाई अपने स्पेशल कश्मीरी कावा के लिए खजूर, किशमिश, अखरोट समेत तमाम ड्राई फ्रूट और कश्मीरी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करता है। वह बताता है कि कावा बनाने के लिए ऑर्गेनिक शक्कर और महंगी इलायची जैसे ओरिजिनल मसाले डाले जाते हैं और यह सब कुछ ग्राहकों के सामने ही तैयार किया जाता है, ताकि क्वालिटी पर पूरा भरोसा बना रहे।​

कावा बनाने के लिए वह खास पुराना पतीले वाला बर्तन इस्तेमाल करता है, जिसे वह अपना घर का पारंपरिक बर्तन बताता है। उसका कहना है कि कावा को “कलई वाला” बर्तन में ही बनाने से असली स्वाद और फायदा मिलता है, इसलिए वह उसी में कश्मीरी जड़ी–बूटियों और ड्राई फ्रूट के साथ इसे तैयार करता है, ताकि हेल्थ बेनिफिट्स भी मिलें और टेस्ट भी अलग हो।​

फूड कोर्ट मैनेज करने वाले व्यक्ति ने बताया कि यह फूड कोर्ट पिछले पांच साल से लग रहा है और हर साल गीता जयंती मेले के लिए अलग–अलग जगहों की स्पेशलिटी यहां बुलाई जाती है। इस बार गोहाना की जलेबी, दिल्ली की चाट और कश्मीर का कावा जैसे स्टॉल लगाकर लोगों को ऑथेंटिक रीजनल फ्लेवर एक ही जगह पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि मेले का अनुभव और भी यादगार बन सके।​

कश्मीरी कावा वाला भाई अपने प्रोडक्ट को लेकर इतना कॉन्फिडेंट है कि कहता है – “ये टेस्ट मार्केट में कहीं नहीं मिलेगा, या तो कश्मीर जाना पड़ेगा या फिर आशीष भाई के पास आना पड़ेगा।” वह दावा करता है कि कश्मीर में आमतौर पर पानी वाला या पिंक चाय मिलती है, जबकि उसने चाय और कॉफी का मिश्रित एहसास देते हुए अपना यूनिक कंसेप्ट तैयार किया है, जो हेल्दी भी है और टेस्टी भी।​

मेले में पहुंचे लोग ड्राई फ्रूट से भरपूर इस गर्मागरम कश्मीरी कावा का स्वाद लेते हुए इसे सर्द मौसम के लिए परफेक्ट ड्रिंक बता रहे हैं। कई श्रद्धालु और पर्यटक भाई से कावा लेते–लेते उसके साथ फोटो और वीडियो भी बना रहे हैं, जिससे सोशल मीडिया पर उसकी पहचान और मजबूत हो रही है और वह गीता जयंती का लोकल स्टार बनता दिख रहा है।​

कावा वाला भाई सिर्फ चाय नहीं, अपनी मस्तीभरी शायरी और गाने से भी लोगों का मनोरंजन करता है। वह मजाकिया अंदाज में शेर सुनाता है – “ए लड़कियों, तुम चाय की तरह मोहब्बत तो करो, हम बिस्किट की तरह पिघलने जाएं तो हमें कहना,” और फिर दूसरी शायरी में कहता है, “हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, हमारी तो किश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था,” जिस पर आसपास खड़े लोग ठहाके लगाते हैं।​

गीता जयंती मेले में मौजूद लोग इसे धर्म, संस्कृति और स्वाद का अनोखा संगम बता रहे हैं, जहां एक तरफ ब्रह्मसरोवर पर धार्मिक आयोजन हो रहे हैं तो दूसरी तरफ ऐसे कलाकार और फूड स्टॉल मेले के माहौल में रंग घोल रहे हैं। कश्मीरी कावा वाले भाई की लोकप्रियता देखकर लोग कह रहे हैं कि जैसे डोली चाय वाला वायरल हुआ था, वैसे ही अब कुरुक्षेत्र का यह कावा वाला भी सोशल मीडिया और मेले दोनों का फेवरेट बनता जा रहा है।

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