करनाल/जठपुरा (तरावड़ी रोड): करनाल के जठपुरा गांव के पास नहर पर बने जर्जर पुल की टूटी दीवार और अंधेरे ने एक और किसान की जान ले ली। खेतों से गेहूं बोकर लौट रहे किसान संजीव उर्फ टीटू का ट्रैक्टर देर रात इस पुल पर अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरा, जिसके बाद से वह लापता है। ट्रैक्टर को तो रात में ही किनारे से निकाल लिया गया, लेकिन किसान का शव नहीं मिल सका और पूरी रात गांव वालों ने नहर किनारे टकटकी लगाए सर्च ऑपरेशन में प्रशासन का साथ दिया।
टूटी पुलिया, स्ट्रीट लाइट गायब, अंधेरे में हुआ हादसा
जठपुरा नहर पर बना यह पुलिया कई गांवों को जोड़ने वाला मुख्य रास्ता है, जिसके दोनों ओर की दीवार/रेलिंग काफी समय से टूटी पड़ी है। आसपास खेत–खलिहान हैं, और रात के समय यहां कोई स्ट्रीट लाइट नहीं जलती, जिससे “गुप अंधेरा” छाया रहता है। संजीव उर्फ टीटू, जिसकी उम्र परिवार के अनुसार लगभग 30–32 वर्ष बताई जा रही है, अपने ट्रैक्टर पर खेतों से वापस लौट रहा था।
परिवार और ग्रामीणों के मुताबिक, सामने से एक बाइक व पीछे चावलों से भरा कैंटर जैसे बड़े वाहन आ रहे थे। बचने–बचाने के प्रयास में ट्रैक्टर का अगला पहिया पुलिया के किनारे नीचे उतर गया, ट्रैक्टर आधा लटक गया और झटका लगते ही संजीव नहर में गिर गया और तेज बहाव में डूब गया।
“अगर दीवार होती, तो शायद बच सकते” – बेसुध पत्नी और परिजनों की पीड़ा
संजीव की पत्नी ने रोते हुए बताया कि वह सुबह खेत पर गेहूं बोने गए थे और आखिरी बार सुबह ही उनसे बात हुई थी। शाम को खेत की तरफ से आ रहे एक व्यक्ति ने घर आकर सूचना दी कि “संजीव ट्रैक्टर समेत नहर में गिर गया है।” पत्नी का कहना था, “अगर पुल की दीवार सही होती, तो शायद बचा जा सकता था, दीवार टूटी हुई है, स्ट्रीट लाइट नहीं है।”
परिवार में संजीव की दो बेटियां और एक बेटा है; सबसे बड़ी बेटी की उम्र लगभग 16–17 साल बताई जा रही है। पत्नी ने कहा कि “घर का सारा गुजर–बसर वही देखता था”, और बुजुर्ग माता–पिता भी उसी पर निर्भर थे।
गांव वालों का आरोप – प्रशासन की बड़ी लापरवाही
ग्रामीणों ने प्रशासन और नहरी विभाग पर सीधी लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि पुल की दीवार काफी समय से टूटी है, शिकायतें होने के बावजूद न मरम्मत की गई, न सुरक्षा के लिए कोई अस्थाई बैरिकेड, न ही रात को रोशनी की व्यवस्था की गई।
एक ग्रामीण ने बताया कि सामने से आने वाली तेज रोशनी और टूटी दीवार के कारण ट्रैक्टर का संतुलन बिगड़ा। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जठपुरा सहित आसपास के किसानों की ज्यादातर आवाजाही इसी पुल से होती है, रात–रात भर किसान सिंचाई और बुआई के लिए खेतों पर जाते–आते हैं, ऐसे में यहां स्ट्रीट लाइट और मजबूत रेलिंग होना जरूरी था।
रात भर चला सर्च ऑपरेशन, अब एसडीआरएफ और गोताखोर लगे
हादसे के बाद पूरी रात जठपुरा गांव के लोग नहर किनारे मौजूद रहे। गांव वालों ने खुद जनरेटर और बड़ी–बड़ी लाइटें लगवाकर नहर किनारे चांदनी की और अपने स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया। कई ग्रामीण तैराक भी नहर में उतरकर शव की तलाश करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली।
सुबह होते ही एसडीआरएफ की टीम और सरकारी गोताखोर नावों के साथ मौके पर पहुंचे और व्यवस्थित तरीके से सर्च ऑपरेशन शुरू किया। रिपोर्ट में दिखाया गया कि एसडीआरएफ की नावें नहर के विभिन्न हिस्सों में चक्कर लगाकर शव को ढूंढने का प्रयास कर रही थीं, जबकि पुल पर और किनारे पर सैकड़ों ग्रामीण टकटकी लगाए खड़े थे।
“बस शव मिल जाए, अंतिम संस्कार कर सकें” – परिवार की एकमात्र मांग
परिवार और गांव वालों की इस समय सबसे बड़ी इच्छा यही है कि जल्द से जल्द संजीव का शव मिल जाए, ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा सके। संजीव की मां, पत्नी, बच्चों और अन्य परिजन बार–बार यही गुहार लगाते दिखे कि “सरकार और प्रशासन कम से कम इतनी मदद तो करे कि शव तुरंत मिल जाए।”
रिपोर्ट के अंत में सवाल उठाया गया कि जब नहर, पुलिया और उससे जुड़े मार्गों की हालत पर पहले से ही कई बार बातें उठ चुकी हैं, हाल में अन्य गांवों में भी स्ट्रीट लाइट और ब्लाइंड मोड़ की कमी से दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, तो फिर प्रशासन कब तक ऐसी घटनाओं के बाद ही जागेगा और कब इन मौतों को “नहरी विभाग और प्रशासन की लापरवाही” की बजाय पुख्ता प्रिवेंटिव इंतज़ाम के ज़रिए रोका जाएगा।