करनाल: दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) करनाल में सीनियर स्टूडेंट्स का एनुअल फंक्शन इस बार समरागा थीम पर मनाया गया, जिसमें महाभारत के युग से लेकर आज के कलयुग तक की यात्रा को मंच पर जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में स्टार्टअप और फिनटेक की दुनिया में चर्चित चेहरे अशनीर ग्रोवर ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और छात्रों के लिए मोटिवेशनल सेशन लिया, जबकि मेयर अनुराधा गुप्ता सहित कई विशिष्ट अतिथियों ने भी बच्चों की प्रस्तुतियों की सराहना की।
समरागा: अलग–अलग प्रतिभाओं से बनी एक खूबसूरत ‘धुन’
फंक्शन का थीम समरागा रखा गया, जिसका अर्थ बताया गया कि जब अलग–अलग सुर मिलकर एक सुंदर संगीत बनाते हैं, उसी तरह बच्चों की अलग–अलग प्रतिभाएं मिलकर स्कूल के मंच पर खूबसूरत माहौल रचती हैं। कार्यक्रम की शुरुआत एंकरिंग के दौरान इस व्याख्या के साथ हुई कि डीपीएस करनाल का यह एनुअल फंक्शन बच्चों की विविध प्रतिभाओं को एक समग्र रूप में सामने लाने का प्रयास है।
स्टेज पर महाभारत की कथाओं, गीता के संदेशों और आधुनिक जीवन की परिस्थितियों को जोड़कर नाट्य–रूपांतरण, डांस और एक्ट्स के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जिसे अतिथियों और अभिभावकों ने “रोंगटे खड़े कर देने वाला” और “ब्रिलियंट” बताया।
एकेडमिक टॉपर्स को गोल्ड मेडल, हेड गर्ल–हेड बॉय ने साझा किया अनुभव
कार्यक्रम के दौरान स्कूल के एकेडमिक टॉपर्स को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया। हेड गर्ल अवंतिका गुप्ता ने बताया कि उन्हें और अन्य टॉपर्स को “अकादमिक एक्सीलेंस” के लिए गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया है और वे इस फेलिसिटेशन के लिए स्कूल की आभारी हैं। उन्होंने कहा कि वे डीपीएस कम्युनिटी की क्वालिटी और प्रेस्टिज को हर दिन और बेहतर बनाने के लिए काम करती रहेंगी।
एक अन्य स्टूडेंट हर्षिता शर्मा ने कहा कि गोल्ड मेडल उनके और टीचर्स के संयुक्त प्रयास और वर्षों की मेहनत का परिणाम है। उन्होंने बताया कि डीपीएस में पढ़ाई के साथ–साथ एक्स्ट्रा–करिकुलर गतिविधियों पर भी जोर दिया जाता है, जिससे कॉन्फिडेंस बहुत बढ़ता है और “टीचर्स द मोस्ट सपोर्टिव सेट ऑफ टीचर्स” हैं।
हेड बॉय प्रगुन चावला ने थीम समरागा की व्याख्या करते हुए कहा कि यह महाभारत की फिलॉसफी और वर्तमान जीवन, दोनों को जोड़ता है। उनके अनुसार, यदि कोई अपनी हिस्ट्री (इतिहास) को नहीं समझता तो वह भविष्य की दिशा नहीं पहचान सकता; समरागा विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल लाइफ की महत्ता और खुद के लिए सही सलाह–मार्गदर्शन चुनने की सीख देता है।
समावेशी और होलिस्टिक डेवलपमेंट पर जोर
स्टूडेंट भव्या दीवान ने बताया कि डीपीएस करनाल एक इंक्लूसिव स्कूल है, जहां होलिस्टिक डेवलपमेंट पर पूरा फोकस है। उन्होंने बताया कि स्कूल में स्पोर्ट्स, डांस, सिंगिंग और एकेडमिक्स, सभी के लिए अलग–अलग समर्पित टीचर्स और बेहतरीन सुविधाएं हैं, और गर्ल्स को भी लीडरशिप में पूरा मौका दिया गया है – यहां के स्टूडेंट कैबिनेट में वुमेन प्रीफेक्ट्स की भी अहम भूमिका है।
छात्राओं ने बताया कि एनुअल फंक्शन में डांस, स्पीचेस, मोटिवेशनल सेशंस और गोल्ड मेडल–ट्रॉफी वितरण जैसे कई सेगमेंट्स के माध्यम से उन्हें नई यादें, सीख और आत्मविश्वास मिला है, खासकर उन बच्चों को जो अभी अपने भविष्य को लेकर कंफ्यूज़ रहते हैं।
अशनीर ग्रोवर की मौजूदगी से बढ़ा उत्साह
कार्यक्रम में स्टार्टअप वर्ल्ड और टीवी शो शार्क टैंक इंडिया से लोकप्रिय एंटरप्रेन्योर अशनीर ग्रोवर के आने को लेकर बच्चों में काफी उत्साह देखा गया। कई छात्रों ने स्वीकार किया कि वे उनके बड़े फैन हैं और उनकी “दोगला” जैसी स्टेटमेंट्स भी युवाओं के बीच चर्चा में रहती हैं।
हालांकि कई छात्र फंक्शन की व्यस्तता और अपने–अपने रोल की तैयारियों के कारण उनसे लंबा इंटरैक्शन नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने माना कि उनका मोटिवेशनल सेशन “बहुत इंस्पायरिंग” रहा।
मेयर अनुराधा गुप्ता ने की तारीफ, कहा – अब बच्चों को बाहर भेजने की जरूरत नहीं
करनाल की मेयर अनुराधा गुप्ता ने कार्यक्रम में पहुंचकर बच्चों की प्रस्तुतियों और स्कूल के स्तर की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि समरागा जैसे इवेंट में बच्चों का कॉन्फिडेंस और IQ लेवल दोनों बड़े अच्छे तरीके से विकसित होता दिखा, और यहां मॉडर्न एजुकेशन के साथ–साथ संस्कार और “अपनी जमीन से जुड़ाव” भी साफ नजर आया।
उन्होंने कहा कि जिस तरह का लेवल यहां दिखा, उससे लगता है कि अब शहर के बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए बाहर भेजने की ज़रूरत नहीं; माता–पिता ऐसे स्कूलों पर पूरा भरोसा कर सकते हैं। अविनाश बंसल के विज़न को याद करते हुए उन्होंने डीपीएस प्रबंधन – अमन जी, पूर्ति जी, सुमन जी – को बच्चों की ग्रोथ और संस्कारों के लिए एक “माइलस्टोन” स्थापित करने के लिए बधाई दी।
स्टूडेंट्स ने महाभारत से लेकर कलयुग तक सीखी जीवन–दर्शन की बातें
स्टेज पर अर्जुन जैसे पात्र निभा रहे विद्यार्थियों ने बताया कि उन्हें “पुरानी संस्कृति को जानने” और स्कूल की ओर से दी गई इस प्रतिनिधित्व की “बहुत अच्छी अपॉर्चुनिटी” मिली। एक महीने तक चली तैयारियों के दौरान उन्होंने टीम वर्क, डेडिकेशन और गुरु–कोरियोग्राफर के मार्गदर्शन में काफी कुछ सीखा और कई यादगार मेमोरीज़ बनीं।
टीचर्स ने बताया कि फिनाले में जब राधा–कृष्ण पर आधारित गीत चला तो पूरा हॉल थिरक उठा और सभी को “गूसबंप्स” महसूस हुए। उनके अनुसार, चाहे हम कितने भी मॉडर्न क्यों न हो जाएं, भारतीय आध्यात्मिकता और संस्कृति की धुन बजते ही मन स्वतः उसकी ओर खिंच जाता है।
प्रिंसिपल का संदेश – गीता सिर्फ मिथक नहीं, जीवन की फिलॉसफी है
स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. सुमन मदान ने बताया कि समरागा थीम पर काम करते समय उनका उद्देश्य यह दिखाना था कि गीता केवल एक मिथॉलॉजिकल बुक नहीं, बल्कि जीवन जीने की फिलॉसफी है, जिसे आज की रियल लाइफ में भी अपनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में स्टूडेंट्स गलत नहीं हैं, बस उनके अपने तरीक़े हैं और उन्हें सही–गलत की दिशा दिखाने के लिए पेरेंट्स, टीचर्स और पूरा एजुकेशन सिस्टम मिलकर गाइड करे तो वे गीता के कुछ संदेशों को अपनी लाइफ में इंकल्केट कर सकेंगे और सफलता उनसे दूर नहीं रहेगी।
थीम के बारे में उन्होंने बताया कि “समरागा – द बैटल विदिन द वर्ल्ड बियॉन्ड” का मकसद यह दिखाना था कि हर इंसान के भीतर एक अंदरूनी संघर्ष चलता रहता है – मन और दिमाग के बीच – और सही रास्ता चुनकर, बिना शॉर्टकट के, ही सच्ची सफलता हासिल की जा सकती है।
पूरे कैंपस को फेरी लाइट्स से सजाया गया था और महाभारत से लेकर कलयुग तक का युग–यात्रा रूपांतरण बच्चों की प्रस्तुतियों के माध्यम से दिखाया गया, जिसने एनुअल फंक्शन को छात्रों, अभिभावकों और अतिथियों के लिए यादगार बना दिया।