करनाल – महाप्रभावी श्री घंटाकर्ण महावीर देवता के विशेष कृपा दिवस कृष्ण चौदस पर भक्ति संगम का आयोजन श्री घंटाकर्ण महावीर तीर्थस्थान इंद्री रोड़ पर भक्ति भावनापूर्वक किया गया। सर्वप्रथम श्री घंटाकर्ण बीजमंत्र के सामूहिक जाप से लोकमंगल तथा सभी के कल्याण की कामना की गई। साध्वी जागृति, कर्मवीर, जयपाल सिंह, अनिता जैन, निशा जैन, पुष्पा गोयल, सुधा जैन ने सुमधुर भक्तिगीतों से समा बांधा।
दादा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए; सच कहता हूं मेरी तकदीर बदल जाए, इंद्री वाले की मैंने जब से पकड़ी है बांह; बदली है तकदीर और बदले हालात, तू प्यार का सागर है और भक्तों का रहबर है, जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा यह जीवन समर्पण चरण में तुम्हारे; लाखों भक्त है तेरे दादा एक और बढ़ा ले मुझे अपना बना ले, आदि भजनों के बोलों ने सभी को झूमने के लिए विवश किया।
महासाध्वी श्री प्रमिला जी महाराज ने महाप्रभावी श्री घंटाकर्ण देवता के संदर्भ में बतलाया कि श्री घंटाकर्ण कृपानिधान भक्तों पर वात्सल्य बरसाने वाले देवता हैं जो सबको निहाल तथा मालामाल करते हैं। इनके उपासक का कोई विपत्ति कुछ बिगाड़ नहीं पाती और सभी अनुकूलताएं चुम्बकीय आकर्षण से उसकी ओर खिंची आतीं है। श्री घंटाकर्ण जी बावन वीरों में तीसवें वीर शिरोमणि तथा वीरों की परिषद में सेनापति का गौरवमयी स्थान प्राप्त प्रभावशाली देवता हैं जिन्हें जैन, हिंदू तथा बौद्ध तीनों परंपराओं में विशेष पूजनीय तथा आराध्य स्थान प्राप्त है।
जैन परंपरा में इन्हें चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का शासनरक्षक देव माना जाता है। वैदिक परंपरा में इन्हें बद्रीनाथ तीर्थ का क्षेत्रपाल देवता, शिवजी का गण तथा उनके पुत्र कार्तिकेय का अभिन्न सहयोगी माना जाता है। मंत्र शास्त्रों में श्री घंटाकर्ण के मंत्रों तथा साधना-विधियों का उल्लेख मिलता है जो मनोरथ पूर्ति, संकल्प सिद्धि, भय निवारण, शारीरिक कष्ट मुक्ति, भूत-प्रेत संबंधित बाधा निवारण, राजकीय संकट से छुटकारा पाने में रामबाण औषधि के समान कार्य करती हैं।
उन्होंने कहा कि दैवी शक्तियों में अलौकिक क्षमताओं से संपन्न होने के कारण भक्तजनों के अभावों को दूर करने और उनके लिए शुभ तथा मंगल सुनिश्चित करने की अपूर्व शक्ति रहती है। हरियाणा, विशेष रूप से करनाल अंचल के निवासियों के सौभाग्य से यहां श्री घंटाकर्ण देव तीर्थस्थान की विद्यमानता सभी के लिए कुशल-क्षेम, सद्भाग्य निश्चित करने के कारण सभी वर्गों का श्रद्धा-केंद्र है। इस दरबार में सच्चे मन से आने वाला अपनी मुरादें पूरी करता है और झोलियां भर लेता है। राष्ट्र संत वाचनाचार्य श्री मनोहर मुनि जी और सेवामूर्ति समन्वयवादी श्री पीयूष मुनि जी की साधना, तपस्या की ऊर्जा से इस धर्मस्थान में दुख निवारण और सुख सृजन की अप्रतिम योग्यता है।
प्रीतिभोज तथा आरती का लाभ टी.आर.जे ऑटोमोबाइल्ज सोनीपत के सेवा शुभारंभ पर राहुल जैन ने लिया।
सारा दिन मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी चहल-पहल रही।