गीता मंदिर की 12 वी वर्ष गाँठ के उपलक्ष्य में महाराज श्री मुक्तानंद जी भिक्षु के पवन सानिध्य में श्री मद भगवत महापुराण में आज के दिन हरिद्वार से आये बारह वर्षीय पंडित बरह्मरात एकलव्य जी द्वारा श्री कृष्ण जी बाल लीला एवं गोवर्धन पूजा के बारे में बताया। शुक्रवार की कथा में मुख्य यजमान के रूप में डॉ नीलिमा जी, डिस्ट्रिक्ट सेशन जज, संतोष देवी ,एवं अनिल अरोड़ा जी द्वारा व्यास जी को तिलक किया गया। देवराज इन्द्र को अपने ऊपर अभिमान हो गया था उसी अभिमान को चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण जो सवंय लीलाधारी ने ऐसे लीला रची की मुरलीधर ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया भगवान् इन्दर का अभिमान चूर चूर कर दिया।
इन्द्र देवता ने श्री कृष्ण को कहा प्रभु आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। बाल लीला में श्री कृष्ण माखन चोरी , कान्हा जी ने माखन चोरी इसीलिए की क्योकि गोपिया भगवान से प्रेम करती थी। भगवान् अपनी लीला के माध्यम से उनेह प्रेम देना चाहते थे। भगवन ब्रिज में नित्य ऐसे लीला करते थे। माँ यशोदा को सम्पूरन ब्रह्माण्ड का दर्शन कराने हेतु भगवन ने मिटटी भी खायी। कथा के अंत में सेशन जज नीलिम शांगला ने आरती की। मंदिर के प्रधान कैलाश गुप्ता जी ने जानकारी दी की कल की कथा में व्यास जी द्वारा रुक्मणि विवाह का वर्णन किया जायेगा।