November 7, 2024

करनाल/कीर्ति कथूरिया :   हीमोफीलिया सोसायटी करनाल के द्वारा कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज करनाल में विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया गया। इस प्रोग्राम में सम्मानित डॉक्टर एम के गर्ग निर्देशक कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।

उन्होंने विशेष रूप से पधारे सभी डॉक्टर और हीमोफीलिक को संबोधित करते हुए सबको हीमोफीलिया दिवस की शुभकामनाएं दी और बताया कि इस दिन की नींव 1989 में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया द्वारा रखी गई थी।

संगठन के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल को सम्मानित करने के लिए हर साल 17 अप्रैल को स्वास्थ्य दिवस मनाने की तारीख तय की गई थी, लेकिन यह अप्रैल माह में किसी भी दिन मनाया जा सकता है जिन्होंने हीमोफिलिया जागरूकता और उपचार की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विकार से पीड़ित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।

हीमोफीलिया एक दुर्लभ रक्त स्राव विकार है जिसमें रक्त ठीक से नहीं जमता है। पुरुषों में यह बीमारी उन जीनों में परिवर्तन के कारण होती है जो हमारे शरीर में रक्तस्राव को रोकने के लिए नियमन करते हैं।

यह दिन वैश्विक रक्तस्राव विकार समुदाय का समर्थन करने और उम्र, लिंग या उनके स्थान की परवाह किए बिना ऐसे विकारों से पिडि़त सभी लोगों के लिए देखभाल और उपचार तक पहुंच की वकालत करने के लिए समर्पित है। रक्तस्राव विकार का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है और इसके प्रबंधन के लिए उपाय करना महत्वपूर्ण है।

रोहतक पीजीआइएमएस के जाने माने हेमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर सुधीर अत्री ने इस जागरूकता का प्रोग्राम में मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया और वहां पर उपस्थित सभी डॉक्टर की टीम और हीमोफीलिया रोगियों को संबोधित किया उन्होंने शिविर में विशेष रूप से आए सभी हीमोफीलिया रोगियों को जागरूक किया तथा हीमोफीलिया के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि हीमोफीलिया आमतौर पर एक वंशानुगत रक्तस्राव विकार है, जिसमें रक्त ठीक से नहीं जमता है।

इससे स्वत: रक्तस्राव के साथ-साथ चोट लगने या सर्जरी के बाद भी रक्तस्राव हो सकता है। रक्त में कई प्रोटीन होते हैं जिन्हें क्लॉटिंग फैक्टर कहते हैं, जो रक्तस्राव को रोकने में मदद कर सकते हैं। हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों में फैक्टर-8 या फैक्टर-9 का स्तर कम होता है।

किसी व्यक्ति में हीमोफीलिया की गंभीरता रक्त में फैक्टर की मात्रा से निर्धारित होती है। फैक्टर की मात्रा जितनी कम होगी, रक्तस्राव होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर गुलशन गर्ग ने प्रोग्राम में उपस्थित सभी लोगों को बताया की हरियाणा में लगभग 900 के करीब हीमोफीलिक है हरियाणा सरकार हरियाणा के सभी 22 जिलों में मुफ्त जीवन रक्षक दवाई की उपलब्ध करवा रही है।

उन्होंने प्रोग्राम में उपस्थित सभी को आश्वस्त किया कि जल्द ही हीमोफीलिया के इलाज और प्रशिक्षण की सुविधा कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में शुरू करने के लिए उच्च अधिकारियों से बातचीत करके यह सुविधा उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जाएंगे और इसी संस्थान में कार्यरत डॉक्टर सचिन गर्ग ने हीमोफीलिया इलाज के दौरान आने वाली कठिनाइयों के बारे में जानकारी दी हीमोफीलिया और वॉन विलेब्रांड रोग (वीडब्ल्यूडी) टाइप 3 से पीड़ित कुछ लोगों में इंनहिबिटर विकसित हो जाते है इंनहिबिटर के कारण रक्तस्राव की घटना को रोकना अधिक कठिन हो जाता है, क्योंकि वे उपचार को प्रभावी होने से रोकते हैं।

इसलिए हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों को समय-समय पर अपनी इंनहिबिटर की जांच करवाते रहना चाहिए। अभी यह सुविधा चंडीगढ़ और दिल्ली में ही उपलब्ध है लेकिन जल्द ही या सुविधा रोहतक के पीजीआइएमएस में भी शुरू हो जाएगी।

इस शिविर में हीमोफीलिया सोसायटी करनाल की ओर से प्रमोद कुमार एवं सभी सोसाइटी सदस्यों ने वहाँ आई डॉक्टरो की टीम और कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज करनाल के निर्देशक का विशेष रूप से धन्यवाद किया जिन्होंने यह प्रोग्राम को आयोजित करने और सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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