करनाल/कीर्ति कथूरिया : लोकसभा और करनाल विधानसभा उपचुनाव के दृष्टिगत आज यहां डा. मंगलसेन सभागार में पीठासीन(पीओ) और सहायक पीठासीन अधिकारियों(एपीओ)के तीसरे समूह को ट्रेनिंग के नोडल अधिकारी एवं जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक चौधरी ने प्रशिक्षण दिया।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे चुनाव संबंधी हैंडबुक का भी अध्ययन करें ताकि डयूटी संबंधी हर बिंदु स्पष्ट हो सके। प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने मतदान खत्म होने पर ईवीएम तथा वीवीपैट को सील करने के तरीके की जानकारी दी।
चौधरी ने बताया कि चुनाव संबंधी सामग्री को इस बार छह श्रेणियों में बांटा गया है। किस लिफाफे में कौन सा फार्म डाला जायेगा यह भी स्पष्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि मतदान से एक दिन पहले बूथों पर पहुंचने के बाद फार्मों को भरने की कुछ औपचारिकतायें पूरी की जा सकती हैं, इससे उनका समय बचेगा।
उन्होंने कहा कि एक बस में जितनी भी पोलिंग पार्टियां बूथों पर पहुंचेंगी उसी बस पर उन्हें लौटना है। बहुधा एक स्कूल में तीन से चार मतदान केंद्र होते हैं। यदि किसी एक बूथ पर समय पर मतदान खत्म हो जाता है और दूसरे पर लंबी लाईन लगी है तो पहले वाले बूथ के कुछ कर्मचारियों को मदद के लिये वहां भेजा जा सकता है। पुलिस अथवा अर्र्ध सैनिक बलों के जवान भी ड्यूटी पर उनके साथ तैनात रहेंगे ताकि किसी भी अप्रिय घटना के समय उनकी मदद ली जा सके।
चौधरी ने बताया कि जो नेत्रहीन मतदाता यदि ब्रेल लिपि पढऩे में सक्षम है तो उसे ब्रेल बैलेट पेपर उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने टेंडर वोट, चैलेंजिंग वोट, मतदाता पहचान पत्र के दस्तावेज, प्रयोग में लाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के फार्म, पोस्टल वोट, माइक्रो पर्यवेक्षक, पोलिंग बूथ के अंदर प्रवेश करने वाले अधिकृत लोगों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने पीओ तथा एपीओ को बताया कि वे अपने स्तर पर मतदान केंद्र के निर्धारित स्थान में बदलाव नहीं कर सकते। अपरिहार्य स्थिति में इसके लिये उन्हें पहले सहायक निर्वाचन अधिकारी को बताना होगा। ऊपर से मंजूरी मिलने पर ही इस दिशा में कोई कदम उठाया जा सकता है।
जिस भी स्कूल/धर्मशाला/सामुदायिक केंद्र अथवा अन्य संस्था मेेंं पोलिंग बूथ बनाया गया है उसकी चारदीवारी से 200 मीटर की दूरी पर ही राजनीतिक दलों की ओर से निर्धारित आकार में टेंट लगाया जा सकता है। यदि इससे कम दूरी पर टेंट लगा है तो पीठासीन अधिकारी उसे हटवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ईवीएम व वीवीपैट को मतदान केंद्र की खिडक़ी के पास नहीं रखा जाना चाहिये और ईवीएम पर ऊपर से सीधी रोशनी नहीं पडऩी चाहिये।
अलग-अलग रंग की पर्चियां
श्री चौधरी ने बताया कि लोकसभा चुनाव के लिये सफेद और विधानसभा उप चुनाव के लिये गुलाबी रंग की पर्ची निश्चित की गई है। करनाल के लोगों को पहले लोकसभा के लिये और फिर विधानसभा सीट के लिये वोट डालनी होगी। उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मचारी, विधायक, मंत्री, सरकार से मानदेय प्राप्त करने वाले, आंगनवाड़ी वर्कर आदि पोलिंग एजेंट नहीं बन सकते। पोलिंग एजेंट के नियुक्ति पत्र पर प्रत्याशी के दस्तखत होने चाहिये। अधिकारियों को बताया कि वे जिस भी फार्म (17 ए, 17 बी, 17 सी आदि) को भरें उस पर पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर अवश्य करायें।
मतदान से पूर्व मॉक पोल
उन्होंने बताया कि मतदान आरंभ होने से पहले पोलिंग एजेंट के समक्ष मॉक पोल कराना सुनिश्चित करें। चुनाव आयोग की हिदायत अनुसार मॉक पोल के दौरान 50 वोट डालना जरूरी है।
मॉक पोल के दौरान डाले गये वोट और वीवी पैट से निकलने वाली पर्चियों व कंट्रोल यूनिट में कुल वोट के मिलान होने पर पोलिंग एजेंट के दस्तखत अवश्य करायें तथा मॉक पोल के बाद इसका रिकार्ड रखें। मॉक पोल की स्लिप के पीछे मुहर लगाकर उसेे काले रंग के लिफाफे में सीलबंद करके रखें।
इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर द्वारा सीयू्/बीयू, वीवीपैट के बारे में भी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।