(मालक सिंह) दसवें पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह की शहीदी को समर्पित लगने वाले जोड़ मेले फतेहगढ़ साहिब के उपलक्ष्य में राजगढ़ गाँव के लोगों ने नीलोखेड़ी राजमार्ग एक पर लंगर लगाया। इस मौके पर गुरुद्वारा सिंह सभा के प्रधान कमलप्रीत सिंह ने बताया कि समूह संगत सहयोग से समाज को जागरूक करने व छोटे साहिबजादों को सच्ची श्रद्धांजली के श्रद्धा सुमन अर्पित करने का प्रयास राजगढ़ व आसपास की संगत द्वारा किया गया। इस मौके पर काफी संख्या में राजगढ़ वासी व गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य मौजूद रहे।
शहीदी और कुर्बानी की ऐसी मिसाल इतिहास में कोई दूसरी नहीं है। मानवता और धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह ने कई युद्ध लड़े जिसमे चमकौर के युद्ध मे दो साहिबजादे मात्र 17 वर्ष और 14 वर्ष की आयु में शहीद हुए
दो छोटे साहिबजादों को सरहिन्द के सूबेदार वजीर खान द्वारा दीवारों में चिनवा कर शहीद कर दिया गया। माता गुजरी जी भी सरहिन्द में ही शहीद हुईं। चमकौर साहिब से गुरु जी पांच प्यारों का हुक्म मानकर माछीवाड़े के जंगलों में जा पहुंचे,
जहां गुरु जी ने पंजाबी में शब्द उचारा:-
‘मित्तर प्यारे नूं हाल मुरीदां दा कहणा॥ तुधु बिनु रोगु रजाइयां दा ओढण नाग निवासां दे रहणा।।
सूल सुराही खंजर प्याला बिन्ग कमाइयां दा सहणा॥ यारड़े दा सानू सत्थरु चंगा भट्ठ खेडिय़ां दा रहणा।।’